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भक्त आचार्यकी आदर्श विनम्रता  [आध्यात्मिक कथा]
Spiritual Story - Story To Read (आध्यात्मिक कथा)

शेषावतार श्रीरामानुज महामुनीन्द्रके पवित्र सम्प्रदायमें श्रीवैष्णव-जगत्के महान् आचार्य श्रीवेङ्कटनाथका प्राकट्य विक्रम संवत् 1325 में विजयादशमीके दिन हुआ था। ये बहुत बड़े विद्वान्, प्रचारक, महान् भक्त, परम आदर्श-चरित्र महात्मा थे। श्रीवेदान्तदेशिकका चमत्कारपूर्ण जीवन सर्वथा वन्दनीय है। श्रीदेशिकजीके जीवनकी एक घटना यहाँ दी जाती है। श्रीदेशिककी प्रतिष्ठासे जलनेवाले कुछ लोग इनसे द्वेष करते थे और वे सदा यही सोचा करते थे कि किसी प्रकार श्रीदेशिककी प्रतिष्ठा भङ्ग हो।

एक दिन कुछ ईर्ष्यालु लोगोंने मिलकर आपके द्वारपर जूतोंकी माला लटका दी । वह इतनी नीची थी कि बाहर निकलते ही उसका सिरमें लगना अवश्यम्भावी था। जब श्रीदेशिकजी अपनी कुटीरसे | बाहर निकले तो उन्होंने इस कुकृत्यको देखा। देखकर वे शान्तिपूर्वक बाहर निकल आये और यह कहने लगे

कर्मावलम्बकाः केचित् केचिज्ज्ञानावलम्बकाः ।

वयं तु हरिदासानां पादरक्षावलम्बकाः॥

अर्थात् 'कोई कर्ममार्गका अनुसरण करते हैं और कोई ज्ञानमार्गका अनुसरण करते हैं, किंतु हम तो हरिदासों – भगवद्भक्तोंके जूतोंके अनुयायी हैं।'

इन शब्दोंको सुनकर आस-पासके लोग बहुत प्रभावित हुए; और जिन लोगोंने यह कुकृत्य किया था, उनको बड़ी लज्जा आयी। वे आकर श्रीदेशिकके चरणोंपर गिर पड़े और क्षमा माँगने लगे।



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bhakt aachaaryakee aadarsh vinamrataa

sheshaavataar shreeraamaanuj mahaamuneendrake pavitr sampradaayamen shreevaishnava-jagatke mahaan aachaary shreevenkatanaathaka praakaty vikram sanvat 1325 men vijayaadashameeke din hua thaa. ye bahut bada़e vidvaan, prachaarak, mahaan bhakt, param aadarsha-charitr mahaatma the. shreevedaantadeshikaka chamatkaarapoorn jeevan sarvatha vandaneey hai. shreedeshikajeeke jeevanakee ek ghatana yahaan dee jaatee hai. shreedeshikakee pratishthaase jalanevaale kuchh log inase dvesh karate the aur ve sada yahee socha karate the ki kisee prakaar shreedeshikakee pratishtha bhang ho.

ek din kuchh eershyaalu logonne milakar aapake dvaarapar jootonkee maala lataka dee . vah itanee neechee thee ki baahar nikalate hee usaka siramen lagana avashyambhaavee thaa. jab shreedeshikajee apanee kuteerase | baahar nikale to unhonne is kukrityako dekhaa. dekhakar ve shaantipoorvak baahar nikal aaye aur yah kahane lage

karmaavalambakaah kechit kechijjnaanaavalambakaah .

vayan tu haridaasaanaan paadarakshaavalambakaah..

arthaat 'koee karmamaargaka anusaran karate hain aur koee jnaanamaargaka anusaran karate hain, kintu ham to haridaason – bhagavadbhaktonke jootonke anuyaayee hain.'

in shabdonko sunakar aasa-paasake log bahut prabhaavit hue; aur jin logonne yah kukrity kiya tha, unako bada़ee lajja aayee. ve aakar shreedeshikake charanonpar gir pada़e aur kshama maangane lage.

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