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भक्तापराध  [हिन्दी कहानी]
Hindi Story - Moral Story (Hindi Story)

एक बार भक्त श्रीरूपगोस्वामीजी ध्यानमें यह झाँकी
कर रहे थे कि श्रीराधाजी तथा भगवान् श्रीकृष्ण खड़े
हैं और आपसमें एक दूसरेके मुँहमें पान खिला रहे हैं। उसी समय श्रीरूपगोस्वामीजीकी बड़ी ख्याति सुनकर एक गरीब ब्राह्मण वहाँ आ पहुँचा। गोस्वामीजी अपने ध्यानमें तन्मय थे। वे उससे कुछ नहीं बोले । यह देखकर उसके मनमें बहुत दुःख हुआ तथा वह गरीबभक्त यह सोचकर चला गया कि मुझ गरीबसे कौन बोलता है। उस भक्तके दुखी होकर जाते ही श्रीगोस्वामीजीके अन्तस्तलसे भगवान् अन्तर्हित हो गये। उसके बाद उनके मनमें ऐसा लगा मानो कोई कह रहा है कि 'तुमने भक्तका अपराध किया है।' उन्होंने उस भक्तका पता लगाकर जब उससे क्षमा माँगी, तभी उन्हें फिर भगवद्दर्शन हुए। सचमुच भक्त भगवान् से भी बढ़कर है।



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bhaktaaparaadha

ek baar bhakt shreeroopagosvaameejee dhyaanamen yah jhaankee
kar rahe the ki shreeraadhaajee tatha bhagavaan shreekrishn khada़e
hain aur aapasamen ek doosareke munhamen paan khila rahe hain. usee samay shreeroopagosvaameejeekee bada़ee khyaati sunakar ek gareeb braahman vahaan a pahunchaa. gosvaameejee apane dhyaanamen tanmay the. ve usase kuchh naheen bole . yah dekhakar usake manamen bahut duhkh hua tatha vah gareebabhakt yah sochakar chala gaya ki mujh gareebase kaun bolata hai. us bhaktake dukhee hokar jaate hee shreegosvaameejeeke antastalase bhagavaan antarhit ho gaye. usake baad unake manamen aisa laga maano koee kah raha hai ki 'tumane bhaktaka aparaadh kiya hai.' unhonne us bhaktaka pata lagaakar jab usase kshama maangee, tabhee unhen phir bhagavaddarshan hue. sachamuch bhakt bhagavaan se bhee badha़kar hai.

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