रिश्तोंकी कमाई
बात आठ-दस साल पहलेकी है। मैं अपने एक मित्रका पासपोर्ट बनवानेके लिये दिल्लीके पासपोर्ट ऑफिस गया था। उन दिनों इन्टरनेटपर फॉर्म भरनेकी सुविधा नहीं थी। पासपोर्ट दफ्तर में दलालोंका बोलबाला था और खुलेआम दलाल पैसे लेकर पासपोर्टके फॉर्म बेचनेसे लेकर उसे भरवाने, जमा करवाने और पासपोर्ट बनवानेका काम करते थेI
मेरे मित्रको किसी कारणसे पासपोर्टकी जल्दी थी, लेकिन दलालोंके दलदलमें फँसना नहीं चाहते थे।
हम पासपोर्ट दफ्तर पहुँच गये, लाइनमें लगकर हमने पासपोर्टका तत्काल फॉर्म भी ले लिया। पूरा फॉर्म भर लिया। इस चक्करमें कई घण्टे निकल चुके थे और अब हमें किसी तरह पासपोर्टकी फीस जमा करानी थी।
हम लाइनमें खड़े हुए, लेकिन जैसे ही हमारा नम्बर आया, बाबूने खिड़की बन्द कर दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है, अब कल आइयेगा।
मैंने उससे मिन्नतें कीं, उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस, अब केवल फीस जमा करानेकी बात रह गयी है, कृपया फीस ले लीजिये ।
बाबू बिगड़ गया। कहने लगा, 'आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिये मैं जिम्मेदार है क्या ? अरे । सरकार ज्यादा लोगोंको कामपर लगाये। मैं तो सुबहसे अपना काम ही कर रहा हूँ।'
मैंने बहुत अनुरोध किया, पर वह नहीं माना। उसने कहा कि बस, दो बजेतकका ही समय होता है, दो बज गये। अब कुछ नहीं हो सकता।
मैं समझ रहा था कि सुबहसे वह दलालोंका काम कर रहा था, लेकिन जैसे ही बिना दलालवाला काम आया, उसने बहाने बनाने शुरू कर दिये हैं, पर हम भी अड़े हुए थे कि बिना अपने पदका इस्तेमाल किये और बिना ऊपरसे पैसे खिलाये इस कामको अंजाम देना है।
मैं ये भी समझ गया था कि अब कल अगर आये तो कलका भी पूरा दिन निकल ही जायगा; क्योंकि दलाल हर खिड़कीको घेरकर खड़े रहते हैं और आम आदमी वहाँतक पहुँचनेमें बिलबिला उठता है।
खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो, अब कल आयेंगे।
मैंने उसे रोका। कहा कि रुको, एक और कोशिश करता हूँ।
बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं, चुपचाप उसके पीछे हो लिया। वह उसी दफ्तरमें तीसरी या चौथी मंजिलपर बनी एक कैंटीनमें गया, वहाँ उसने अपने थैलेसे लंच-बॉक्स निकाला औरधीरे-धीरे अकेला खाने लगा।
मैं उसके सामनेकी बेंचपर जाकर बैठ गया। उसने मेरी ओर देखा और बुरा सा मुँह बनाया। मैं उसकी ओर देखकर मुसकराया। उससे मैंने पूछा कि रोज घरसे खाना साते हो ?
उसने अनमनेसे कहा कि हाँ, रोज घरसे लाता हूँ। मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत-से नये-नये लोगोंसे मिलते होगे ?
वह पता नहीं क्या समझा और कहने लगा कि हाँ, तो एक-से-एक बड़े अधिकारियोंसे मिलता हूँ। कई आई0ए0एस0 आई0पी0एस0, विधायक और न जाने कौन-कौन रोज यहाँ आते हैं। मेरी कुर्सीके सामने बड़े बड़े लोग इन्तजार करते हैं।.
मैंने बहुत गौरसे देखा, ऐसा कहते हुए उसके चेहरेपर अहंका भाव था।
मैं चुपचाप उसे सुनता रहा।
फिर मैंने उससे पूछा कि एक रोटी तुम्हारी प्लेटसे मैं भी खा लूँ? वह समझ नहीं पाया कि मैं क्या कह रहा हूँ। उसने बस 'हाँ' में सिर हिला
मैंने एक रोटी उसकी प्लेटसे उठा ली, सब्जीकेसाथ खाने लगा।
वह चुपचाप मुझे देखता रहा। मैंने उसके खानेकी तारीफ की और कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है।
वह चुप रहा।
मैंने फिर उसे कुरेदा। तुम बहुत महत्त्वपूर्ण सीटपर बैठे हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं। तो क्या तुम अपनी कुर्सीकी इज्जत करते हो ?
अब वह चौंका। उसने मेरी ओर देखकर पूछा किइज्जत ? मतलब ?
मैंने कहा कि तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें इतनी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, तुम न जाने कितने बड़े बड़े अफसरोंसे डील करते हो, लेकिन तुम अपने पदकी इज्जत नहीं करते।
उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने? मैंने कहा कि जो काम दिया गया है, उसकी इज्जत करते तो तुम इस तरह रूखे व्यवहारवाले नहीं होते।
देखो, तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम दफ्तरकी कैंटीनमें अकेले खाना खाते हो, अपनी कुर्सीपर भी मायूस होकर बैठे रहते हो, लोगोंका होता हुआ काम पूरा करनेकी जगह अटकानेकी कोशिश करते हो।
मान लो, कोई एकदम दो बजे ही तुम्हारे काउण्टरपर पहुँचा, तो तुमने इस बातका लिहाजतक नहीं किया कि वह सुबहसे लाइनमें खड़ा रहा होगा और तुमने फटाकसे खिड़की बन्द कर दी। जब मैंने तुमसे अनुरोध किया तो तुमने कहा कि सरकारसे कहो कि ज्यादा लोगोंको बहाल करे।
मान लो मैं सरकारसे कहकर और लोग बहाल करा लूँ, तो तुम्हारी अहमियत घट नहीं जायगी ? हो सकता है। तुमसे ये काम ही ले लिया जाय। फिर तुम कैसे आई0ए0एस0 आई0पी0एस0 और विधायकोंसे मिलोगे ?
भगवान्ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनानेके लिये, लेकिन अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठानेकी जगह रिश्ते बिगाड़ रहे हो।
मेरा क्या है, कल भी आ जाऊँगा, परसों भी आ जाऊँगा। ऐसा तो है नहीं कि आज नहीं काम हुआ तो कभी नहीं होगा। तुम नहीं करोगे तो कोई और बाबू कल करेगा।
पर तुम्हारे पास तो मौका था किसीको अपना अहसानमन्द बनानेका । तुम उससे चूक गये। वह खाना छोड़कर मेरी बातें सुनने लगा था।
मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते नहीं कमाये तो सब बेकार है। क्या करोगे पैसोंका ? अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे घरवाले भी तुमसे दुखी रहेंगे। यार-दोस्त तो नहीं हैं, ये तो मैं देख ही चुका हूँ। मुझे देखो, अपने दफ्तर में कभी अकेला खाना नहीं खाता।
यहाँ भी भूख लगी तो तुम्हारे साथ खाना खाने आ गया। अरे! अकेले खाना भी कोई जिन्दगी है? मेरी बात सुनकर वह रुआँसा हो गया। उसने कहा कि आपने बात सही कही है साहब मैं अकेला हूँ। पत्नी झगड़ा करके मायके चली गयी है। बच्चे भी मुझे पसन्द नहीं करते। माँ हैं, वह भी कुछ ज्यादा बात नहीं करती। सुबह चार-पाँच रोटी बनाकर दे देती है और मैं तनहा खाना खाता हूँ। रातमें घर जानेका भी मन नहीं करता। समझमें नहीं आता कि गड़बड़ी कहाँ है ?
मैंने हौलेसे कहा कि खुदको लोगोंसे जोड़ो। किसीकी मदद कर सकते हो तो करो। देखो, मैं यहाँ अपने दोस्तके पासपोर्टके लिये आया हूँ। मेरे पास तो पासपोर्ट है।
मैंने दोस्तकी खातिर तुम्हारी मिन्नतें कीं, निःस्वार्थभावसे। इसलिये मेरे पास दोस्त हैं, तुम्हारे पास नहीं हैं।
वह उठा और उसने मुझसे कहा कि आप मेरी
खिड़कीपर पहुँचो। मैं आज ही फॉर्म जमा करूँगा।
मैं नीचे गया, उसने फॉर्म जमा कर लिया, फीस ले ली और हफ्तेभरमें पासपोर्ट बन गया।
बाबूने मुझसे मेरा नम्बर माँगा, मैंने अपना मोबाइल नम्बर उसे दे दिया और चला आया।
कल दीवालीपर मेरे पास बहुत-से फोन आये। मैंने करीब-करीब सारे नम्बर उठाये। सबको हैप्पी दीवाली बोला।
उसीमें एक नम्बरसे फोन आया, 'रविन्द्र कुमार चौधरी बोल रहा हूँ साहब ! '
मैं एकदम नहीं पहचान सका। उसने कहा कि कई साल पहले आप हमारे पास अपने किसी दोस्तके पासपोर्टके लिये आये थे और आपने मेरे साथ रोटी भी खायी थी।
आपने कहा था कि पैसेकी जगह रिश्ते बनाओ।
मुझे एकदम याद आ गया। मैंने कहा, 'हाँ! जी चौधरी साहब, कैसे हैं ?'
उसने खुश होकर कहा, 'साहब! आप उस दिन चले गये, फिर मैं बहुत सोचता रहा। मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते हैं, लेकिन साथ खाना खानेवाला कोई नहीं मिलता। सब अपनेमें व्यस्त हैं। साहब! मैं अगले ही दिन पत्नीके मायके गया, बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया। वह मान ही नहीं रही थी।
वह खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेटसे एक रोटी उठा ली, कहा कि साथ खिलाओगी? वह हैरान थी।
रोने लगी। मेरे साथ चली आयी। बच्चे भी साथ चले आये।
साहब! अब मैं पैसे नहीं कमाता। रिश्ते कमाता हूँ। जो आता है, उसका काम कर देता हूँ।
साहब! आज आपको हैप्पी दीवाली बोलनेके लिये फोन किया है।
अगले महीने बिटियाकी शादी है, आपको आना है। अपना पता भेज दीजियेगा। मैं और मेरी पत्नी आपके पास आयेंगे।
मेरी पत्नीने मुझसे पूछा था कि ये पासपोर्ट दफ्तरमें रिश्ते कमाना कहाँसे सीखे ?
तो मैंने पूरी कहानी बतायी थी। आप किसीसे नहीं मिले, लेकिन मेरे घरमें आपने रिश्ता जोड़ लिया है।
सब आपको जानते हैं, बहुत दिनोंसे फोन करनेकी सोचता था, लेकिन हिम्मत नहीं होती थी।
आज दीवालीका मौका देख करके फोन कर रहा हूँ। शादी में आपको आना है, बिटियाको आशीर्वाद देने। रिश्ता जोड़ा है आपने। मुझे यकीन है आप आयेंगे।
वह बोलता जा रहा था, मैं सुनता जा रहा था। सोचा नहीं था कि सचमुच उसकी जिन्दगीमें भी पैसोंपररिश्ता भारी पड़ेगा।
लेकिन मेरा कहा सच साबित हुआ
'आदमी भावनाओंसे संचालित होता है,कारणसे नहीं । कारणसे तो मशीनें चला करती हैं।'
जिन्दगीमें किसीका साथ ही काफी है,
कन्धेपर रखा हुआ हाथ ही काफी है,
दूर हो या पास, क्या फर्क पड़ता है,
क्योंकि अनमोल रिश्तोंका तो बस अहसास ही काफी है।
rishtonkee kamaaee
baat aatha-das saal pahalekee hai. main apane ek mitraka paasaport banavaaneke liye dilleeke paasaport ऑphis gaya thaa. un dinon intaranetapar phaॉrm bharanekee suvidha naheen thee. paasaport daphtar men dalaalonka bolabaala tha aur khuleaam dalaal paise lekar paasaportake phaॉrm bechanese lekar use bharavaane, jama karavaane aur paasaport banavaaneka kaam karate theI
mere mitrako kisee kaaranase paasaportakee jaldee thee, lekin dalaalonke daladalamen phansana naheen chaahate the.
ham paasaport daphtar pahunch gaye, laainamen lagakar hamane paasaportaka tatkaal phaॉrm bhee le liyaa. poora phaॉrm bhar liyaa. is chakkaramen kaee ghante nikal chuke the aur ab hamen kisee tarah paasaportakee phees jama karaanee thee.
ham laainamen khada़e hue, lekin jaise hee hamaara nambar aaya, baaboone khida़kee band kar dee aur kaha ki samay khatm ho chuka hai, ab kal aaiyegaa.
mainne usase minnaten keen, usase kaha ki aaj poora din hamane kharch kiya hai aur bas, ab keval phees jama karaanekee baat rah gayee hai, kripaya phees le leejiye .
baaboo bigada़ gayaa. kahane laga, 'aapane poora din kharch kar diya to usake liye main jimmedaar hai kya ? are . sarakaar jyaada logonko kaamapar lagaaye. main to subahase apana kaam hee kar raha hoon.'
mainne bahut anurodh kiya, par vah naheen maanaa. usane kaha ki bas, do bajetakaka hee samay hota hai, do baj gaye. ab kuchh naheen ho sakataa.
main samajh raha tha ki subahase vah dalaalonka kaam kar raha tha, lekin jaise hee bina dalaalavaala kaam aaya, usane bahaane banaane shuroo kar diye hain, par ham bhee ada़e hue the ki bina apane padaka istemaal kiye aur bina ooparase paise khilaaye is kaamako anjaam dena hai.
main ye bhee samajh gaya tha ki ab kal agar aaye to kalaka bhee poora din nikal hee jaayagaa; kyonki dalaal har khida़keeko gherakar khada़e rahate hain aur aam aadamee vahaantak pahunchanemen bilabila uthata hai.
khair, mera mitr bahut maayoos hua aur usane kaha ki chalo, ab kal aayenge.
mainne use rokaa. kaha ki ruko, ek aur koshish karata hoon.
baaboo apana thaila lekar uth chuka thaa. mainne kuchh kaha naheen, chupachaap usake peechhe ho liyaa. vah usee daphtaramen teesaree ya chauthee manjilapar banee ek kainteenamen gaya, vahaan usane apane thailese lancha-baॉks nikaala auradheere-dheere akela khaane lagaa.
main usake saamanekee benchapar jaakar baith gayaa. usane meree or dekha aur bura sa munh banaayaa. main usakee or dekhakar musakaraayaa. usase mainne poochha ki roj gharase khaana saate ho ?
usane anamanese kaha ki haan, roj gharase laata hoon. mainne kaha ki tumhaare paas to bahut kaam hai, roj bahuta-se naye-naye logonse milate hoge ?
vah pata naheen kya samajha aur kahane laga ki haan, to eka-se-ek bada़e adhikaariyonse milata hoon. kaee aaee0e0esa0 aaee0pee0esa0, vidhaayak aur n jaane kauna-kaun roj yahaan aate hain. meree kurseeke saamane bada़e bada़e log intajaar karate hain..
mainne bahut gaurase dekha, aisa kahate hue usake cheharepar ahanka bhaav thaa.
main chupachaap use sunata rahaa.
phir mainne usase poochha ki ek rotee tumhaaree pletase main bhee kha loon? vah samajh naheen paaya ki main kya kah raha hoon. usane bas 'haan' men sir hila
mainne ek rotee usakee pletase utha lee, sabjeekesaath khaane lagaa.
vah chupachaap mujhe dekhata rahaa. mainne usake khaanekee taareeph kee aur kaha ki tumhaaree patnee bahut hee svaadisht khaana pakaatee hai.
vah chup rahaa.
mainne phir use kuredaa. tum bahut mahattvapoorn seetapar baithe ho. bada़e-bada़e log tumhaare paas aate hain. to kya tum apanee kurseekee ijjat karate ho ?
ab vah chaunkaa. usane meree or dekhakar poochha kiijjat ? matalab ?
mainne kaha ki tum bahut bhaagyashaalee ho, tumhen itanee mahattvapoorn jimmedaaree milee hai, tum n jaane kitane bada़e bada़e aphasaronse deel karate ho, lekin tum apane padakee ijjat naheen karate.
usane mujhase poochha ki aisa kaise kaha aapane? mainne kaha ki jo kaam diya gaya hai, usakee ijjat karate to tum is tarah rookhe vyavahaaravaale naheen hote.
dekho, tumhaara koee dost bhee naheen hai. tum daphtarakee kainteenamen akele khaana khaate ho, apanee kurseepar bhee maayoos hokar baithe rahate ho, logonka hota hua kaam poora karanekee jagah atakaanekee koshish karate ho.
maan lo, koee ekadam do baje hee tumhaare kaauntarapar pahuncha, to tumane is baataka lihaajatak naheen kiya ki vah subahase laainamen khada़a raha hoga aur tumane phataakase khida़kee band kar dee. jab mainne tumase anurodh kiya to tumane kaha ki sarakaarase kaho ki jyaada logonko bahaal kare.
maan lo main sarakaarase kahakar aur log bahaal kara loon, to tumhaaree ahamiyat ghat naheen jaayagee ? ho sakata hai. tumase ye kaam hee le liya jaaya. phir tum kaise aaee0e0esa0 aaee0pee0esa0 aur vidhaayakonse miloge ?
bhagavaanne tumhen mauka diya hai rishte banaaneke liye, lekin apana durbhaagy dekho, tum isaka laabh uthaanekee jagah rishte bigaada़ rahe ho.
mera kya hai, kal bhee a jaaoonga, parason bhee a jaaoongaa. aisa to hai naheen ki aaj naheen kaam hua to kabhee naheen hogaa. tum naheen karoge to koee aur baaboo kal karegaa.
par tumhaare paas to mauka tha kiseeko apana ahasaanamand banaaneka . tum usase chook gaye. vah khaana chhoda़kar meree baaten sunane laga thaa.
mainne kaha ki paise to bahut kama loge, lekin rishte naheen kamaaye to sab bekaar hai. kya karoge paisonka ? apana vyavahaar theek naheen rakhoge to tumhaare gharavaale bhee tumase dukhee rahenge. yaara-dost to naheen hain, ye to main dekh hee chuka hoon. mujhe dekho, apane daphtar men kabhee akela khaana naheen khaataa.
yahaan bhee bhookh lagee to tumhaare saath khaana khaane a gayaa. are! akele khaana bhee koee jindagee hai? meree baat sunakar vah ruaansa ho gayaa. usane kaha ki aapane baat sahee kahee hai saahab main akela hoon. patnee jhagada़a karake maayake chalee gayee hai. bachche bhee mujhe pasand naheen karate. maan hain, vah bhee kuchh jyaada baat naheen karatee. subah chaara-paanch rotee banaakar de detee hai aur main tanaha khaana khaata hoon. raatamen ghar jaaneka bhee man naheen karataa. samajhamen naheen aata ki gada़bada़ee kahaan hai ?
mainne haulese kaha ki khudako logonse joda़o. kiseekee madad kar sakate ho to karo. dekho, main yahaan apane dostake paasaportake liye aaya hoon. mere paas to paasaport hai.
mainne dostakee khaatir tumhaaree minnaten keen, nihsvaarthabhaavase. isaliye mere paas dost hain, tumhaare paas naheen hain.
vah utha aur usane mujhase kaha ki aap meree
khida़keepar pahuncho. main aaj hee phaॉrm jama karoongaa.
main neeche gaya, usane phaॉrm jama kar liya, phees le lee aur haphtebharamen paasaport ban gayaa.
baaboone mujhase mera nambar maanga, mainne apana mobaail nambar use de diya aur chala aayaa.
kal deevaaleepar mere paas bahuta-se phon aaye. mainne kareeba-kareeb saare nambar uthaaye. sabako haippee deevaalee bolaa.
useemen ek nambarase phon aaya, 'ravindr kumaar chaudharee bol raha hoon saahab ! '
main ekadam naheen pahachaan sakaa. usane kaha ki kaee saal pahale aap hamaare paas apane kisee dostake paasaportake liye aaye the aur aapane mere saath rotee bhee khaayee thee.
aapane kaha tha ki paisekee jagah rishte banaao.
mujhe ekadam yaad a gayaa. mainne kaha, 'haan! jee chaudharee saahab, kaise hain ?'
usane khush hokar kaha, 'saahaba! aap us din chale gaye, phir main bahut sochata rahaa. mujhe laga ki paise to sachamuch bahut log de jaate hain, lekin saath khaana khaanevaala koee naheen milataa. sab apanemen vyast hain. saahaba! main agale hee din patneeke maayake gaya, bahut minnaten kar use ghar laayaa. vah maan hee naheen rahee thee.
vah khaana khaane baithee to mainne usakee pletase ek rotee utha lee, kaha ki saath khilaaogee? vah hairaan thee.
rone lagee. mere saath chalee aayee. bachche bhee saath chale aaye.
saahaba! ab main paise naheen kamaataa. rishte kamaata hoon. jo aata hai, usaka kaam kar deta hoon.
saahaba! aaj aapako haippee deevaalee bolaneke liye phon kiya hai.
agale maheene bitiyaakee shaadee hai, aapako aana hai. apana pata bhej deejiyegaa. main aur meree patnee aapake paas aayenge.
meree patneene mujhase poochha tha ki ye paasaport daphtaramen rishte kamaana kahaanse seekhe ?
to mainne pooree kahaanee bataayee thee. aap kiseese naheen mile, lekin mere gharamen aapane rishta joda़ liya hai.
sab aapako jaanate hain, bahut dinonse phon karanekee sochata tha, lekin himmat naheen hotee thee.
aaj deevaaleeka mauka dekh karake phon kar raha hoon. shaadee men aapako aana hai, bitiyaako aasheervaad dene. rishta joda़a hai aapane. mujhe yakeen hai aap aayenge.
vah bolata ja raha tha, main sunata ja raha thaa. socha naheen tha ki sachamuch usakee jindageemen bhee paisonpararishta bhaaree pada़egaa.
lekin mera kaha sach saabit huaa
'aadamee bhaavanaaonse sanchaalit hota hai,kaaranase naheen . kaaranase to masheenen chala karatee hain.'
jindageemen kiseeka saath hee kaaphee hai,
kandhepar rakha hua haath hee kaaphee hai,
door ho ya paas, kya phark pada़ta hai,
kyonki anamol rishtonka to bas ahasaas hee kaaphee hai.