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श्रमका फल  [Story To Read]
Short Story - Moral Story (प्रेरक कहानी)

अब्राहम लिंकनका बचपन अत्यन्त दुःखमय था । उन्होंने अत्यन्त साधारण और गरीब परिवारमें जन्म लिया था। कभी नाव चलाकर तो कभी लकड़ी काटकर वे जीविका चलाते थे उन्हें महापुरुषोंका जीवन चरित पड़नेमें बड़ा आनन्द आता था, पर अर्थाभावमें पुस्तक खरीदकर पढ़ना उनके लिये कठिन था।

वे अमेरिकाके प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटनके जीवनसे बहुत प्रभावित थे। एक समय उन्हें पता चला कि एक पड़ोसीके पास जार्ज वाशिंगटनका जीवन चरित है; वे प्रसन्नतासे नाच उठे, पर मनमें भय था कि पड़ोसी पुस्तक देगा या नहीं। पड़ोसीने पुस्तक दे दी। अब्राहमने शीघ्र ही लौटा देनेका वादा किया था।

अब्राहम लिंकनने पुस्तक समाप्त नहीं की थी कि एक दिन अचानक बड़े जोरकी जलवृष्टि हुई। अब्राहम लिंकन झोंपड़ीमें रहते थे; पुस्तक वर्षा भीगकर खराब हो गयी। अब्राहमके मनमें बड़ा दुःख हुआ, पर वे निराश नहीं हुए।'मुझसे एक बहुत बड़ा अपराध हो गया है।' सोलह सालकी अवस्थावाले असहाय बालक अब्राहमकी बातसे पड़ोसी आश्चर्यचकित हो गया। वह बालककी सरलता और निष्कपटतासे बहुत प्रसन्न हुआ ।

अब्राहमने कहा कि मैं पुस्तक लौटा नहीं सकूँगा। यद्यपि वह जलवृष्टिसे भीगकर खराब हो गयी है तो भी मैं आपको नयी पुस्तक दूँगा ।

'तुम नयी किस तरह दे सकोगे ? घरपर एक पैसेका भी ठिकाना नहीं है और बात ऐसी करते हो ?' पड़ोसीने झिड़की दी।

'मुझे अपने श्रमपर विश्वास है। मैं आपके खेतमें मजदूरी कर पुस्तकके दूने दामका काम कर दूँगा।' अब्राहम लिंकन आशान्वित थे। पड़ोसीको उनका प्रस्ताव ठीक लगा।

अब्राहम लिंकनने मजदूरीके द्वारा पुस्तकके दामकी भरपाई कर दी और जार्ज वाशिंगटनकी जीवनी उन्हींकी सम्पत्ति हो गयी। अपने श्रमसे उन्होंने अपने पुस्तकालयकी पहली पुस्तक प्राप्त की । - रा0 श्री0



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shramaka phala

abraaham linkanaka bachapan atyant duhkhamay tha . unhonne atyant saadhaaran aur gareeb parivaaramen janm liya thaa. kabhee naav chalaakar to kabhee lakada़ee kaatakar ve jeevika chalaate the unhen mahaapurushonka jeevan charit paड़nemen baड़a aanand aata tha, par arthaabhaavamen pustak khareedakar padha़na unake liye kathin thaa.

ve amerikaake pratham raashtrapati jaarj vaashingatanake jeevanase bahut prabhaavit the. ek samay unhen pata chala ki ek paड़oseeke paas jaarj vaashingatanaka jeevan charit hai; ve prasannataase naach uthe, par manamen bhay tha ki pada़osee pustak dega ya naheen. pada़oseene pustak de dee. abraahamane sheeghr hee lauta deneka vaada kiya thaa.

abraaham linkanane pustak samaapt naheen kee thee ki ek din achaanak bada़e jorakee jalavrishti huee. abraaham linkan jhonpada़eemen rahate the; pustak varsha bheegakar kharaab ho gayee. abraahamake manamen baड़a duhkh hua, par ve niraash naheen hue.'mujhase ek bahut bada़a aparaadh ho gaya hai.' solah saalakee avasthaavaale asahaay baalak abraahamakee baatase pada़osee aashcharyachakit ho gayaa. vah baalakakee saralata aur nishkapatataase bahut prasann hua .

abraahamane kaha ki main pustak lauta naheen sakoongaa. yadyapi vah jalavrishtise bheegakar kharaab ho gayee hai to bhee main aapako nayee pustak doonga .

'tum nayee kis tarah de sakoge ? gharapar ek paiseka bhee thikaana naheen hai aur baat aisee karate ho ?' pada़oseene jhida़kee dee.

'mujhe apane shramapar vishvaas hai. main aapake khetamen majadooree kar pustakake doone daamaka kaam kar doongaa.' abraaham linkan aashaanvit the. pada़oseeko unaka prastaav theek lagaa.

abraaham linkanane majadooreeke dvaara pustakake daamakee bharapaaee kar dee aur jaarj vaashingatanakee jeevanee unheenkee sampatti ho gayee. apane shramase unhonne apane pustakaalayakee pahalee pustak praapt kee . - raa0 shree0

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