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संत-स्वभाव (1)  [प्रेरक कथा]
Hindi Story - Spiritual Story (प्रेरक कहानी)

श्रीविश्वनाथपुरी वाराणसीमें एक साधु गङ्गास्नान कर रहे थे। सहसा उनकी दृष्टि प्रवाहमें बहते एक बिच्छूपर पड़ी। साधुने दया करके उसे हाथपर उठा लिया। बिच्छू तो बिच्छू ही ठहरा, उसकी पीठपरसे पानी नीचे गिरा और उसने अपना भयंकर डंक चला दिया। हाथमें डंक लगनेसे हाथ काँप उठा और बिच्छू फिर पानीमें गिर पड़ा।

साधुके हाथमें भयानक पीड़ा प्रारम्भ हो गयी थी; किंतु उन्होंने आगे झुककर फिर उस बिच्छूको हाथपर उठा लिया और जलसे बाहर आने लगे। बिच्छूने फिरडंक मारा, हाथ फिर काँपा और बिच्छू फिर हाथसे जलमें गिर पड़ा। साधु उसे उठाने फिर जलमें आगे बढ़े।

आस-पास और भी लोग स्नान कर रहे थे। साधु बार बार बिच्छूको उठाते थे और बार-बार वह उनके हाथमें डंक मारता था। लोग इस दृश्यकी ओर आकर्षित हो गये। किसीने कहा- 'यह दुष्ट प्राणी तो वैसे भी मार देने योग्य है। अपनी दुष्टतासे ही यह मर रहा है तो आप इसे बचानेका निरर्थक प्रयत्न क्यों करते हैं? मरने दीजिये इसे।'

साधुने बिच्छूको हाथपर उठाते हुए कहा - 'यहक्षुद्र प्राणी अपना डंक मारनेका स्वभाव नहीं छोड़ता है तो मनुष्य होकर मैं अपना दया करनेका स्वभाव कैसे छोड़ दूँ । पशुतासे यदि मानवता श्रेष्ठ है तो मेरी मानवता अवश्य इसकी पशुतापर विजय पायेगी।'

पशुतासे मानवता, क्रूरतासे दया, तमोगुणसे सत्त्वगुण श्रेष्ठ है, बलवान् है, यह तो संदेहसे परे है। साधुकी दयाको विजय पाना ही था। बिच्छूने इस बार अपना डंक सीधा कर दिया। वह ऐसा शान्त हो गया जैसे डंक चलाना उसे आता ही न हो। – सु0 सिं0



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santa-svabhaav (1)

shreevishvanaathapuree vaaraanaseemen ek saadhu gangaasnaan kar rahe the. sahasa unakee drishti pravaahamen bahate ek bichchhoopar pada़ee. saadhune daya karake use haathapar utha liyaa. bichchhoo to bichchhoo hee thahara, usakee peethaparase paanee neeche gira aur usane apana bhayankar dank chala diyaa. haathamen dank laganese haath kaanp utha aur bichchhoo phir paaneemen gir pada़aa.

saadhuke haathamen bhayaanak peeda़a praarambh ho gayee thee; kintu unhonne aage jhukakar phir us bichchhooko haathapar utha liya aur jalase baahar aane lage. bichchhoone phiradank maara, haath phir kaanpa aur bichchhoo phir haathase jalamen gir pada़aa. saadhu use uthaane phir jalamen aage badha़e.

aasa-paas aur bhee log snaan kar rahe the. saadhu baar baar bichchhooko uthaate the aur baara-baar vah unake haathamen dank maarata thaa. log is drishyakee or aakarshit ho gaye. kiseene kahaa- 'yah dusht praanee to vaise bhee maar dene yogy hai. apanee dushtataase hee yah mar raha hai to aap ise bachaaneka nirarthak prayatn kyon karate hain? marane deejiye ise.'

saadhune bichchhooko haathapar uthaate hue kaha - 'yahakshudr praanee apana dank maaraneka svabhaav naheen chhoda़ta hai to manushy hokar main apana daya karaneka svabhaav kaise chhoda़ doon . pashutaase yadi maanavata shreshth hai to meree maanavata avashy isakee pashutaapar vijay paayegee.'

pashutaase maanavata, kroorataase daya, tamogunase sattvagun shreshth hai, balavaan hai, yah to sandehase pare hai. saadhukee dayaako vijay paana hee thaa. bichchhoone is baar apana dank seedha kar diyaa. vah aisa shaant ho gaya jaise dank chalaana use aata hee n ho. – su0 sin0

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