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सच्चा साधु - भिखारी  [Spiritual Story]
Shikshaprad Kahani - Hindi Story (Story To Read)

एक साधुने ईश्वरप्राप्तिकी साधनाके लिये कठिन तप करते हुए छ: वर्ष एकान्त गुफामें बिताये और प्रभुसे प्रार्थना की कि 'प्रभो! मुझे अपने आदर्शके समान ही ऐसा कोई उत्तम महापुरुष बतलाइये, जिसका अनुकरण करके मैं अपने साधनपथमें आगे बढ़ सकूँ।'साधुने जिस दिन ऐसा चिन्तन किया, उसी दिन रात्रिको एक देवदूतने आकर उससे कहा- 'यदि तेरी इच्छा सद्गुणी और पवित्रतामें सबका मुकुटमणि बननेकी हो तो उस मस्त भिखारीका अनुकरण कर जो कविता गाता हुआ इधर-उधर भटकता और भीखlमाँगता फिरता है।' देवदूतकी बात सुनकर तपस्वी साधु मनमें जल उठा, परंतु देवदूतका वचन समझकर क्रोधके आवेशमें ही उस भिखारीकी खोजमें चल दिया और उसे खोजकर बोला कि 'भाई! तूने ऐसे कौन-से सत्कर्म किये हैं, जिनके कारण ईश्वर तुझपर इतने अधिक प्रसन्न हैं ?'

उसने तपस्वी साधुको नमस्कार करके कहा 'पवित्र महात्मा! मुझसे दिल्लगी न कीजिये। मैंने न तो कोई सत्कर्म किया, न कोई तपस्या की और न कभी प्रार्थना ही की! मैं तो कविता गा-गाकर लोगोंका मनोरञ्जन करता हूँ और ऐसा करते जो रूखा-सूखा टुकड़ा मिल जाता है उसीको खाकर संतोष मानता हूँ।' तपस्वी साधुने फिर आग्रहपूर्वक कहा- 'नहीं, नहीं, तूने कोई सत्कार्य अवश्य किया है।' भिखारीने नम्रतासे कहा, 'महाराज! मैंने कोई सत्कार्य किया हो, ऐसा मेरी जानमें तो नहीं है। '

इसपर साधुने उससे फिर पूछा, 'अच्छा बता, तू भिखारी कैसे बना? क्या तूने फिजूलखर्चीमें पैसा उड़ा दिये, अथवा किसी दुर्व्यसनके कारण तेरी ऐसी हालत हो गयी।'

भिखारी कहने लगा- 'महाराज ! न मैंने फिजूलखर्चीमेंपैसे उड़ाये और न किसी व्यसनके कारण ही मैं भिखारी बना। एक दिनकी बात है, मैंने देखा एक गरीब स्त्री घबरायी हुई-सी इधर-उधर दौड़ रही है, उसका चेहरा उतरा हुआ है। पता लगानेपर मालूम हुआ कि उसके पति और पुत्र कर्जके बदलेमें गुलाम बनाकर बेच दिये गये हैं। बहुत खूबसूरत होनेके कारण कुछ लोग उसपर भी अपना कब्जा करना चाहते हैं। यह जानकर मैं उसे ढाढ़स देकर अपने घर ले आया और उसकी उनके अत्याचारसे रक्षा की। फिर मैंने अपनी सारी सम्पत्ति साहूकारोंको देकर उसके पति-पुत्रोंको गुलामीसे छुड़ाया और उनको उससे मिला दिया। इस प्रकार मेरी सारी सम्पत्ति चली जानेसे मैं दरिद्र हो गया और आजीविकाका कोई साधन न रहनेसे मैं अब कविता गा-गाकर लोगोंको रिझाता हूँ और इसीसे जो टुकड़ा मिल जाता है उसीको लेकर आनन्द मानता हूँ। पर इससे क्या हुआ ? ऐसा काम क्या और लोग नहीं करते ?'

भिखारीकी कथा सुनते ही तपस्वी साधुकी आँखोंसे मोती जैसे आँसू झरने लगे और वह उस भिखारीको हृदयसे लगाकर कहने लगा-'मैंने अपनी जिंदगी में तेरे जैसा कोई काम नहीं किया। तू सचमुच आदर्श साधु है।'



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sachcha saadhu - bhikhaaree

ek saadhune eeshvarapraaptikee saadhanaake liye kathin tap karate hue chha: varsh ekaant guphaamen bitaaye aur prabhuse praarthana kee ki 'prabho! mujhe apane aadarshake samaan hee aisa koee uttam mahaapurush batalaaiye, jisaka anukaran karake main apane saadhanapathamen aage badha़ sakoon.'saadhune jis din aisa chintan kiya, usee din raatriko ek devadootane aakar usase kahaa- 'yadi teree ichchha sadgunee aur pavitrataamen sabaka mukutamani bananekee ho to us mast bhikhaareeka anukaran kar jo kavita gaata hua idhara-udhar bhatakata aur bheekhalmaangata phirata hai.' devadootakee baat sunakar tapasvee saadhu manamen jal utha, parantu devadootaka vachan samajhakar krodhake aaveshamen hee us bhikhaareekee khojamen chal diya aur use khojakar bola ki 'bhaaee! toone aise kauna-se satkarm kiye hain, jinake kaaran eeshvar tujhapar itane adhik prasann hain ?'

usane tapasvee saadhuko namaskaar karake kaha 'pavitr mahaatmaa! mujhase dillagee n keejiye. mainne n to koee satkarm kiya, n koee tapasya kee aur n kabhee praarthana hee kee! main to kavita gaa-gaakar logonka manoranjan karata hoon aur aisa karate jo rookhaa-sookha tukada़a mil jaata hai useeko khaakar santosh maanata hoon.' tapasvee saadhune phir aagrahapoorvak kahaa- 'naheen, naheen, toone koee satkaary avashy kiya hai.' bhikhaareene namrataase kaha, 'mahaaraaja! mainne koee satkaary kiya ho, aisa meree jaanamen to naheen hai. '

isapar saadhune usase phir poochha, 'achchha bata, too bhikhaaree kaise banaa? kya toone phijoolakharcheemen paisa uda़a diye, athava kisee durvyasanake kaaran teree aisee haalat ho gayee.'

bhikhaaree kahane lagaa- 'mahaaraaj ! n mainne phijoolakharcheemenpaise uda़aaye aur n kisee vyasanake kaaran hee main bhikhaaree banaa. ek dinakee baat hai, mainne dekha ek gareeb stree ghabaraayee huee-see idhara-udhar dauda़ rahee hai, usaka chehara utara hua hai. pata lagaanepar maaloom hua ki usake pati aur putr karjake badalemen gulaam banaakar bech diye gaye hain. bahut khoobasoorat honeke kaaran kuchh log usapar bhee apana kabja karana chaahate hain. yah jaanakar main use dhaadha़s dekar apane ghar le aaya aur usakee unake atyaachaarase raksha kee. phir mainne apanee saaree sampatti saahookaaronko dekar usake pati-putronko gulaameese chhuda़aaya aur unako usase mila diyaa. is prakaar meree saaree sampatti chalee jaanese main daridr ho gaya aur aajeevikaaka koee saadhan n rahanese main ab kavita gaa-gaakar logonko rijhaata hoon aur iseese jo tukada़a mil jaata hai useeko lekar aanand maanata hoon. par isase kya hua ? aisa kaam kya aur log naheen karate ?'

bhikhaareekee katha sunate hee tapasvee saadhukee aankhonse motee jaise aansoo jharane lage aur vah us bhikhaareeko hridayase lagaakar kahane lagaa-'mainne apanee jindagee men tere jaisa koee kaam naheen kiyaa. too sachamuch aadarsh saadhu hai.'

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