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भक्तवर पण्डित मोहनलालजी अग्रिहोत्री की मार्मिक कथा
भक्तवर पण्डित मोहनलालजी अग्रिहोत्री की अधबुत कहानी - Full Story of भक्तवर पण्डित मोहनलालजी अग्रिहोत्री (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्तवर पण्डित मोहनलालजी अग्रिहोत्री]- भक्तमाल


पण्डित मोहनलालजी बड़े भगवद्धक और विद्वान् थे। वे मेरठ जिलेके किसी गाँवमें रहा करते थे। बचपनमें उन्होंने बड़े परिश्रम और तत्परता से विद्यार्जन क्रिया, युवा होनेपर समयके प्रभावसे वे आर्यसमाजकी विचारधाराके प्रचारमें इधर-उधर भ्रमण किया करते थे। एक समय मेरठमें पंजाब प्रान्तके उपदेशक श्रीरलियारामजीका उन्होंने सारगर्भित व्याख्यान सुना, उनका मन सगुणोपासना और जप-तप तथा भगवच्चिन्तनमें लग गया। उन्होंने शास्त्रोक्त व्रतों और पूजाविधिके अनुसार जीवन-निर्माण किया। कट्टर से कट्टर नास्तिक भी उनके आदर्श और पवित्र चरित्रसे प्रभावित होकर आस्तिक हो जाते थे, भगवान् में उनका दृढ़ विश्वास हो जाता था। वे अपनेपास चाँदीकी डिबियामें शालग्रामजीको रखकर भजन करते थे, बिना उनका दर्शन किये अन्न-जल कुछ भी नहीं ग्रहण करते थे। वे श्रीमद्भगवद्गीता, विष्णुसहस्रनाम आदि ग्रन्थोंका श्रद्धापूर्वक प्रेमसे पाठ करते थे। उनके जीवनमें पवित्रता, सात्त्विकता और दैवी सम्पत्तिका सुन्दर सञ्चय था। स्वभाव अत्यन्त कोमल, मधुर और चित्ताकर्षक था। उनकी भगवान् श्रीराम और श्रीकृष्णमें समानरूपसे भक्ति थी।

सन् 1939 ई0 में उन्होंने भगवान्की मोहिनी छवि, रूप-लावण्य और लीलारसका स्मरण करते हुए स्वर्गकी यात्रा की। वे सरलता और विनम्रताकी तो प्रतिमूर्ति ही थे।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhaktavar pandit mohanalaalajee agrihotree]- Bhaktmaal


pandit mohanalaalajee bada़e bhagavaddhak aur vidvaan the. ve merath jileke kisee gaanvamen raha karate the. bachapanamen unhonne bada़e parishram aur tatparata se vidyaarjan kriya, yuva honepar samayake prabhaavase ve aaryasamaajakee vichaaradhaaraake prachaaramen idhara-udhar bhraman kiya karate the. ek samay merathamen panjaab praantake upadeshak shreeraliyaaraamajeeka unhonne saaragarbhit vyaakhyaan suna, unaka man sagunopaasana aur japa-tap tatha bhagavachchintanamen lag gayaa. unhonne shaastrokt vraton aur poojaavidhike anusaar jeevana-nirmaan kiyaa. kattar se kattar naastik bhee unake aadarsh aur pavitr charitrase prabhaavit hokar aastik ho jaate the, bhagavaan men unaka dridha़ vishvaas ho jaata thaa. ve apanepaas chaandeekee dibiyaamen shaalagraamajeeko rakhakar bhajan karate the, bina unaka darshan kiye anna-jal kuchh bhee naheen grahan karate the. ve shreemadbhagavadgeeta, vishnusahasranaam aadi granthonka shraddhaapoorvak premase paath karate the. unake jeevanamen pavitrata, saattvikata aur daivee sampattika sundar sanchay thaa. svabhaav atyant komal, madhur aur chittaakarshak thaa. unakee bhagavaan shreeraam aur shreekrishnamen samaanaroopase bhakti thee.

san 1939 ee0 men unhonne bhagavaankee mohinee chhavi, roopa-laavany aur leelaarasaka smaran karate hue svargakee yaatra kee. ve saralata aur vinamrataakee to pratimoorti hee the.

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