⮪ All भगवान की कृपा Experiences

'वह घोड़ेवाला कौन था '

आजसे ४० वर्ष पूर्वकी यह घटना है। मेरे दूरके रिश्तेके भाई तथा उनकी माँ मुक्तिनाथके दर्शन करने नेपाल गये थे। मुक्तिनाथ धाम नेपालके मध्यमें है और उसका रास्ता आज भी दुरूह है। यह वह जगह है, जहाँ गजेन्द्रमोक्ष हुआ था। गजेन्द्रमोक्षका प्रसंग श्रीमद्भागवतके अष्टम स्कन्धमें आता है। गजेन्द्रमोक्ष नामसे एक छोटी पुस्तिका भक्तोंके पाठहेतु गीताप्रेससे उपलब्ध है। श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दारने पाठके परिचयमें इसकी महत्ता प्रतिपादित की है। महामना श्रीमालवीयजी महाराज कहा करते थे कि गजेन्द्रकृत इस स्तवनका आर्तभावसे; विशेषतः रात्रिमें पाठ करनेपर लौकिक-पारमार्थिक महान् संकटों और विघ्नोंसे छुटकारा मिल जाता है। इस संदर्भमें स्वयं भगवान्का वचन है जो रात्रिके अन्तमें जागकर इस स्तोत्र के द्वारा मेरा स्तवन करते हैं, उन्हें मैं अन्तिम समयमें निर्मल मति प्रदान करता हूँ आदि।

यह धाम पर्वतके ऊपर स्थित है, और जैसा हमारे देशमें माता वैष्णवदेवीके दर्शनके लिये श्रद्धालु ऊपर पहाड़ चढ़ते हैं, ऐसा ही वहाँ करना होता है। वस्तुतः वहाँकी चढ़ाई बहुत कठिन तथा घने जंगलोंमेंसे ऊपर जाती है। ४० वर्ष पूर्व ऊपर जानेका मार्ग पगडण्डीद्वारा तय किया जाता था। लोग जत्थोंमें सुबहसे निकलकर रात्रि होते-होते ऊपर धामतक पहुँच जाते थे।

ये दोनों माँ-बेटे भी एक जत्थेके साथ ऊपर धामकी ओर चल दिये। माँ भगवान्‌की बहुत बड़ी भक्त थी। वे शहरमें रहते हुए भी घर-घरमें भगवान्का कीर्तन किया करती थीं। उन्हें सैकड़ों भजन सस्वर याद थे। उन्होंने एक कीर्तन मण्डली ही भगवान्की आराधनाहेतु बना रखी थी। खैर, उस दिन ये लोग जत्थेके साथ चले तो, लेकिन वृद्धावस्थाके कारण वे उतनी शीघ्रतासे जत्थेके साथ चल नहीं पा रही थीं। इधर जत्था रात्रि हो, इसके पहले ही ऊपर पहुँच जाना चाहता था। हुआ यह कि वे इतनी थक गयी थीं कि उनका चलना मुश्किल हो गया। साँझके बाद रात धीरे-धीरे पहाड़के जंगलोंमें उतरती जा रहीथी। माँने थककर बैठते हुए बेटेसे आग्रह किया कि वह उन्हें जंगलमें छोड़ दे और वह जत्थेके साथ चलता रहे। रास्तेमें जल भी समाप्त हो गया था, खानेका सामान भी नहीं था। इसलिये बेटा उन्हें छोड़कर अपनी जान बचा ले। माँके आग्रहके बावजूद बेटेने माँका साथ नहीं छोड़नेका निश्चय किया और वह भी माँके साथ जंगलमें एक पेड़के नीचे बैठकर सुबह होनेका इन्तजार करने लगा। रात्रिमें जंगली जानवर ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं और वहाँ चारों तरफ अँधेरा-ही-अँधेरा था। रात्रिमें माँने भगवान्का कीर्तन-भजन गाना प्रारम्भ कर दिया। कहना न होगा कि इसमें प्रमुख गजेन्द्रमोक्षका पाठ था, वे उसी पावन क्षेत्रके दर्शनहेतु जा रही थीं। रात्रिका पहला प्रहर बीत रहा था, उस घने अन्धकारमें उनकी प्रार्थना सस्वर जंगलमें गूँज रही थी। तभी एक आश्चर्यजनक कार्य हुआ। उन्होंने एक घोड़ेके साथ किसी व्यक्तिको उस पगडण्डीसे, जहाँ वे बैठे थे, आते देखा ।

उसने कहा, माँ! यहाँ क्या कर रही हो? फिर उसने सहारा देकर उन्हें घोड़े पर बैठा दिया और बेटेसे कहा कि तुम भी साथ-साथ चलो। वह भी ऊपर ही जा रहा है।

माँ भजन गाती रही, पथिक घोड़ेको लेकर अन्धकारमें पगडण्डी पगडण्डी ऊपर चलता रहा। लगभग १०-११ बजे वे ऊपर पहुँचे। उसने एक झोपड़ी, जहाँ रोशनी हो रही थी, उन्हें उतारा। आवाज दी। एक महिलाके आनेपर उसने कहा, माँ! आप रात्रिमें यहीं विश्राम करो। सुबह मैं यहीं आ जाऊँगा। घोड़ा सामने ही बाँध रहा हूँ। सुबह फिर बातें होंगी। यह आश्वासन दे, वह वहाँसे अन्धकारमें विलीन हो गया। उन्होंने देखा कि पेड़से घोड़ा बँधा है, वह अवश्य ही सुबह आयेगा। महिलाने पूर्ण आतिथ्य धर्म निभाया। ठण्डमें उन्हें रजाई दी, चूल्हा जलाकर गरम-गरम खाना खिलाया। ये दोनों थके होनेके कारण तथा पेट भर जानेपर सो गये। सुबह उठे तो उन्होंने देखा, पेड़ तो है, लेकिन घोड़ा नहीं है। उन्होंने आस-पासवालोंसे पूछा, तो उन्होंने जो बताया,वह ज्यादा आश्चर्यपूर्ण था। वे बोले-यहाँ तो हम सुबहरी है, कोई घोड़ा बँधा ही नहीं था। इस बीच उनका पूर्व जत्था आ गया और वे उसके साथ मुक्तिनाथके दर्शनके लिये चल पड़े।

यह प्रश्न हमेशा उनके सामने आता रहा किघोड़ेवाला कौन था? वह कहाँ चला गया ? उत्तरमें गजेन्द्रमोक्षकी पुस्तिकामें महामना मालवीयजीका कथन उन्हें याद आता रहा कि जो मेरा रात्रिमें आर्तभावसे गजेन्द्रमोक्ष पाठके द्वारा स्तवन करता है, मैं स्वयं उसकी विघ्न-बाधाएँ दूर करता हूँ।

[ डॉ० श्रीमहेशचन्द्रजी तिवारी ]



You may also like these:

Real Life Experience प्रभु दर्शन


'vah ghoड़evaala kaun tha '

aajase 40 varsh poorvakee yah ghatana hai. mere doorake rishteke bhaaee tatha unakee maan muktinaathake darshan karane nepaal gaye the. muktinaath dhaam nepaalake madhyamen hai aur usaka raasta aaj bhee durooh hai. yah vah jagah hai, jahaan gajendramoksh hua thaa. gajendramokshaka prasang shreemadbhaagavatake ashtam skandhamen aata hai. gajendramoksh naamase ek chhotee pustika bhaktonke paathahetu geetaapresase upalabdh hai. shreehanumaanaprasaadajee poddaarane paathake parichayamen isakee mahatta pratipaadit kee hai. mahaamana shreemaalaveeyajee mahaaraaj kaha karate the ki gajendrakrit is stavanaka aartabhaavase; visheshatah raatrimen paath karanepar laukika-paaramaarthik mahaan sankaton aur vighnonse chhutakaara mil jaata hai. is sandarbhamen svayan bhagavaanka vachan hai jo raatrike antamen jaagakar is stotr ke dvaara mera stavan karate hain, unhen main antim samayamen nirmal mati pradaan karata hoon aadi.

yah dhaam parvatake oopar sthit hai, aur jaisa hamaare deshamen maata vaishnavadeveeke darshanake liye shraddhaalu oopar pahaada़ chadha़te hain, aisa hee vahaan karana hota hai. vastutah vahaankee chadha़aaee bahut kathin tatha ghane jangalonmense oopar jaatee hai. 40 varsh poorv oopar jaaneka maarg pagadandeedvaara tay kiya jaata thaa. log jatthonmen subahase nikalakar raatri hote-hote oopar dhaamatak pahunch jaate the.

ye donon maan-bete bhee ek jattheke saath oopar dhaamakee or chal diye. maan bhagavaan‌kee bahut bada़ee bhakt thee. ve shaharamen rahate hue bhee ghara-gharamen bhagavaanka keertan kiya karatee theen. unhen saikada़on bhajan sasvar yaad the. unhonne ek keertan mandalee hee bhagavaankee aaraadhanaahetu bana rakhee thee. khair, us din ye log jattheke saath chale to, lekin vriddhaavasthaake kaaran ve utanee sheeghrataase jattheke saath chal naheen pa rahee theen. idhar jattha raatri ho, isake pahale hee oopar pahunch jaana chaahata thaa. hua yah ki ve itanee thak gayee theen ki unaka chalana mushkil ho gayaa. saanjhake baad raat dheere-dheere pahaada़ke jangalonmen utaratee ja raheethee. maanne thakakar baithate hue betese aagrah kiya ki vah unhen jangalamen chhoda़ de aur vah jattheke saath chalata rahe. raastemen jal bhee samaapt ho gaya tha, khaaneka saamaan bhee naheen thaa. isaliye beta unhen chhoda़kar apanee jaan bacha le. maanke aagrahake baavajood betene maanka saath naheen chhoda़neka nishchay kiya aur vah bhee maanke saath jangalamen ek peda़ke neeche baithakar subah honeka intajaar karane lagaa. raatrimen jangalee jaanavar jyaada sakriy ho jaate hain aur vahaan chaaron taraph andheraa-hee-andhera thaa. raatrimen maanne bhagavaanka keertana-bhajan gaana praarambh kar diyaa. kahana n hoga ki isamen pramukh gajendramokshaka paath tha, ve usee paavan kshetrake darshanahetu ja rahee theen. raatrika pahala prahar beet raha tha, us ghane andhakaaramen unakee praarthana sasvar jangalamen goonj rahee thee. tabhee ek aashcharyajanak kaary huaa. unhonne ek ghoda़eke saath kisee vyaktiko us pagadandeese, jahaan ve baithe the, aate dekha .

usane kaha, maan! yahaan kya kar rahee ho? phir usane sahaara dekar unhen ghoda़e par baitha diya aur betese kaha ki tum bhee saatha-saath chalo. vah bhee oopar hee ja raha hai.

maan bhajan gaatee rahee, pathik ghoda़eko lekar andhakaaramen pagadandee pagadandee oopar chalata rahaa. lagabhag 10-11 baje ve oopar pahunche. usane ek jhopada़ee, jahaan roshanee ho rahee thee, unhen utaaraa. aavaaj dee. ek mahilaake aanepar usane kaha, maan! aap raatrimen yaheen vishraam karo. subah main yaheen a jaaoongaa. ghoda़a saamane hee baandh raha hoon. subah phir baaten hongee. yah aashvaasan de, vah vahaanse andhakaaramen vileen ho gayaa. unhonne dekha ki peda़se ghoda़a bandha hai, vah avashy hee subah aayegaa. mahilaane poorn aatithy dharm nibhaayaa. thandamen unhen rajaaee dee, choolha jalaakar garama-garam khaana khilaayaa. ye donon thake honeke kaaran tatha pet bhar jaanepar so gaye. subah uthe to unhonne dekha, peda़ to hai, lekin ghoda़a naheen hai. unhonne aasa-paasavaalonse poochha, to unhonne jo bataaya,vah jyaada aashcharyapoorn thaa. ve bole-yahaan to ham subaharee hai, koee ghoda़a bandha hee naheen thaa. is beech unaka poorv jattha a gaya aur ve usake saath muktinaathake darshanake liye chal pada़e.

yah prashn hamesha unake saamane aata raha kighoda़evaala kaun thaa? vah kahaan chala gaya ? uttaramen gajendramokshakee pustikaamen mahaamana maalaveeyajeeka kathan unhen yaad aata raha ki jo mera raatrimen aartabhaavase gajendramoksh paathake dvaara stavan karata hai, main svayan usakee vighna-baadhaaen door karata hoon.

[ daॉ0 shreemaheshachandrajee tivaaree ]

107 Views





Bhajan Lyrics View All

यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है

New Bhajan Lyrics View All

सुनो सिया मेरी बात,
राम फुल बगिया में आए हैं,
ओ देवा गणपति देवा
ओ देवा गणपति देवा
धन्यवाद् उस प्रेमी का हमको जो खाटू
उसके लिए भी मांगो जिसने श्याम से
भोले को मेरे क्रोध जो आता है,
शिव शंकर के क्रोध को कोई,
राम नाम की गंगा बहे यहां में कोईकोई
हरि नाम की जमुना बहे यहां में कोई कोई