⮪ All भगवान की कृपा Experiences

संत कृपाकी अनुभूति

संत शब्द अपने-आपमें ही विशाल अर्थ लिये हुए है। संत वह है, जो अपना उद्धार तो करता ही है, राष्ट्रको भी सही मार्ग दिखाता है।

संतके लिये तुलसीदासने कहा है- 'बिनु हरि कृपा मिलहिं नहिं संता' हरिकी कृपा होनेपर ही संतोंका संग होता है। संत हमारे पासमें ही रहते हैं, परंतु भगवान् नारायणकी कृपाके बिना हम उन्हें पहचान नहीं पाते हैं। हरिकी कृपादृष्टि होनेपर हम संतको पहचान पाते हैं और हृदयसे अनुभूत करते हैं।

यहाँपर एक घटनाका उल्लेख किया जा रहा है, जिसमें संतकी महती कृपा रही है। हमारे पूज्य ताऊजी पं० लक्ष्मीनारायणजी पुरोहित सन् १९५४ ई० में बदरीनाथजीकी यात्रापर गये थे। उस समय बदरीनाथकी यात्रा बड़ी कठिन थी। साधन बहुत कम होते थे, यात्रामें साथ चलनेवालोंका परस्पर ध्यान रखा जाता था। समूहमें लोग यात्रा करते थे। बदरीनाथजीमें संतकृपाकी ताऊजीको जो अनुभूति हुई, उनको वह जीवनभर याद रही। उन्होंने लौटकर बताया कि जिस धर्मशालामें वे रुके थे, वहाँपर एक संत निवास करते थे। ताऊजी आते-जाते समय संतजीको प्रणाम करते थे। बदरीनाथजीसे वापस आनेवाले दिन संतजीने आवाज देकर ताऊजीको पास बुलाया। यह घटना सुबहकी है। बसका समय १०.४५ का था। ताऊजीने पास जाकर चरण-स्पर्श किया। संतजीने बैठनेके लिये कहा तो वे वहाँपर बैठ गये, साथमें ताऊजीके लड़के सरजूनारायणजी भी थे। संतजीने कहा-'लाला! और क्या हाल-चाल है ?' 'आपकी कृपासे सब ठीक है।' संतजीने कहा-'लाला! खाना तो खिला दे।' 'जो आज्ञा महाराजजी!' उन्होंने अपने पुत्रको आदेश दिया कि महाराजजीके लिये खाना ले आओ। धर्मशालाके बाहर ही एक ढाबा था। वे ढाबेपर गये और खाना देनेके लिये कहा। ढाबेवालेने कहा-'कितने आदमीका दूँ।' उन्होंने कहा—'अन्दर जो संतजी हैं, उनके लिये। ही ले जाना है।' ढाबेवालेने पूछा, 'संतजीने स्वयंकहा है या आप अपनी इच्छासे ले जा रहे हैं। संतजीने यदि नहीं कहा, तो वे आपका खाना नहीं खायेंगे।' 'स्वामीजीने ही कहा है।' 'तब ठीक है।' आप बड़े भाग्यशाली हैं। स्वामीजी कभी किसीसे खानेके लिये नहीं कहते हैं, जो भी मिले, खा लेते हैं। कई-कई बार तो १०-१२ दिनोंतक कुछ भी नहीं खाते हैं। सरजूनारायणजी खाना लेकर आये और संतजीके पास रख दिया। संतजी कभी भोजनको देखें, कभी ताऊजीको। कभी वेदमन्त्रोंका उच्चारण करें, कभी पुराणोंकी कथाओंको बतायें, कभी ऐसी बातें करें, जो समझसे बाहर हैं। थाली रखी हुई थी और पासमें ही एक कुत्ता देख रहा था। सरजूजीने उसे हटानेका प्रयास किया तो संतजीने कहा- 'लाला ! क्यों हटा रहा है ?' स्वामीजी! कुत्ता खाना जूठा कर देगा। 'लाला ! इस कुत्तेके भाग्यमें खाना नहीं है, यह तो मेरे भाग्यमें ही लिखा है। इसको मेरे अलावा कोई नहीं खा सकता।' संतजीने उत्तर दिया। कुछ देर बाद संतजीने पण्डितजीसे कहा- 'लाला! आज मत जा, बादमें जाना'। 'महाराजजी ! हमने तो बसके टिकट ले लिये हैं।' महात्माजीने कहा- 'बस तो फिर मिल जायगी, चिन्ता मत कर।' पण्डितजीने साथवालोंसे कहा कि अब आज नहीं जायँगे। दो दिन बाद ही यहाँसे हरिद्वार जायँगे। साथवाले थोड़ा नाराज भी हुए तो पण्डितजीने कहा कि 'जिसको जाना है, वह जा सकता है। मैं और मेरे परिवारवाले तो दो दिन बाद ही जायँगे।' संतने खाना खाया और कहा 'लाला! एक बड़ा-सा भुजंग पेटमें घुस गया, अब क्या करें!' संतजी एक वाक्यको दो-तीन बार बोलते रहते, यह उनकी आदत थी। संतजीने कहा, 'लालाका अन्न खाया है तो अब पेटका दर्द भी दूर करना पड़ेगा।' अन्न खाया क्यों, ऐसी बात वे अपने-आप करते रहे। जो यात्री ताऊजीके साथ गये थे, वे भी वहीं रुक गये।

एक घटना वहाँ ढाबेवालेने बतायी कि ये महात्माजी तीन वर्ष पहले सड़कपर सो गये। उस रास्तेसे सैनिकटुकड़ी जा रही थी। महात्माजीके पास एक सैनिक आया और कहा- 'महात्माजी, यहाँसे हटो, हमें जाना है।' महात्माजीने कहा, तुमने तो यहाँ मुझे लिटाया नहीं, जिसने लिटाया है, वही हटायेगा। सैनिकने सोचा महाराज नशेमें होंगे। उसने हटानेका प्रयास किया, किंतु वह तो उन्हें हिला भी नहीं सका। दो सैनिक और आ गये। तीनोंने हटानेका प्रयास किया, पर सफलता नहीं मिली। इसपर ५ सैनिक और आ गये और सभी मिलकर हटाने लगे। महाराजजी टस से मस नहीं हुए। उनका अधिकारी ब्रिगेडियर आ गया। उसने पूछा 'क्या बात है ?' एक सैनिकने कहा- 'सर! ये स्वामीजी सड़क रास्तेसे नहीं हट रहे हैं, एक बात ही कहते हैं कि तुमने लिटाया नहीं है, फिर मैं क्यों तुम्हारे कहनेसे यहाँसे हहूँ। अधिकारीने कहा कि ‘आगे जो मोड़ है, वहाँका रास्ता देखकर आओ।' उस सैनिकके लौटनेसे पहले ही स्वामीजी उठकर अपने रास्ते चले गये। सैनिकने वापस आकर जो बात कही, उससे सभी स्तब्ध रह गये। वहाँ मोड़ पर सड़क टूटी हुई थी, नीचे हजारों फीट गहराई में गंगाजी बह रही थीं। सभी गाड़ियाँ नदीमें समाहित हो सकती थीं। सभीको संतकी कृपाकी अनुभूति हुई। अस्तु । ताऊजी अपने कमरेमें आ गये, इसके ५-६ घण्टेबाद खबर आयी कि जो बस हरिद्वार जा रही थी, वह नदीमें गिर गयी और सभी यात्री मर गये। संतकी कृपासे ताऊजीके साथ ही सभी यात्री, जो बसमें जा रहे थे, वे भी बच गये। जो संतजीने पेटमें भुजंग घुसनेकी बात कही थी, उसके बारेमें बादमें पता चला कि ताऊजीके लड़केको बीकानेरमें बहुत जोरसे पेटदर्द हुआ, वह भी एक घण्टे में एकदमसे ठीक हो गया। दो दिनके बाद अखबारमें खबर आयी। उसमें मरनेवालोंकी सूची थी। जिसमें राजस्थानके यात्रियोंमें ताऊजीके सहित सभीके नाम थे। ताऊजीके पिताजी पण्डित हरदासजी पुरोहित हस्तरेखाके विद्वान् और सिद्धपुरुष थे। उन्होंने कहा कि 'मैंने उसका हाथ देख रखा है, उसकी मृत्यु हो ही नहीं सकती, यह खबर गलत है। मुझे पुत्रवियोग नहीं हो सकता।' उनका अपने प्रभुपर पूर्ण विश्वास था। दो-तीन घण्टे बाद तार आया कि ‘'यहाँ सभी सकुशल हैं, आप किसी प्रकारकी चिन्ता न करें।' तार हरिद्वारसे आया था। उसपर दुर्घटनाके दो दिन बादकी तारीख थी। तब पण्डितजीने कहा कि 'यह आजकी तारीखका तार है। और बसदुर्घटना दो दिन पहलेकी।' संतोंकी कृपा ऐसी ही विलक्षण होती है, जिसका अनुभव किसी-किसी बड़भागीको ही हो पाता है।
[ डॉ० श्रीरमेश नारायणजी पुरोहित ]



You may also like these:



sant kripaakee anubhooti

sant shabd apane-aapamen hee vishaal arth liye hue hai. sant vah hai, jo apana uddhaar to karata hee hai, raashtrako bhee sahee maarg dikhaata hai.

santake liye tulaseedaasane kaha hai- 'binu hari kripa milahin nahin santaa' harikee kripa honepar hee santonka sang hota hai. sant hamaare paasamen hee rahate hain, parantu bhagavaan naaraayanakee kripaake bina ham unhen pahachaan naheen paate hain. harikee kripaadrishti honepar ham santako pahachaan paate hain aur hridayase anubhoot karate hain.

yahaanpar ek ghatanaaka ullekh kiya ja raha hai, jisamen santakee mahatee kripa rahee hai. hamaare poojy taaoojee pan0 lakshmeenaaraayanajee purohit san 1954 ee0 men badareenaathajeekee yaatraapar gaye the. us samay badareenaathakee yaatra bada़ee kathin thee. saadhan bahut kam hote the, yaatraamen saath chalanevaalonka paraspar dhyaan rakha jaata thaa. samoohamen log yaatra karate the. badareenaathajeemen santakripaakee taaoojeeko jo anubhooti huee, unako vah jeevanabhar yaad rahee. unhonne lautakar bataaya ki jis dharmashaalaamen ve ruke the, vahaanpar ek sant nivaas karate the. taaoojee aate-jaate samay santajeeko pranaam karate the. badareenaathajeese vaapas aanevaale din santajeene aavaaj dekar taaoojeeko paas bulaayaa. yah ghatana subahakee hai. basaka samay 10.45 ka thaa. taaoojeene paas jaakar charana-sparsh kiyaa. santajeene baithaneke liye kaha to ve vahaanpar baith gaye, saathamen taaoojeeke lada़ke sarajoonaaraayanajee bhee the. santajeene kahaa-'laalaa! aur kya haala-chaal hai ?' 'aapakee kripaase sab theek hai.' santajeene kahaa-'laalaa! khaana to khila de.' 'jo aajna mahaaraajajee!' unhonne apane putrako aadesh diya ki mahaaraajajeeke liye khaana le aao. dharmashaalaake baahar hee ek dhaaba thaa. ve dhaabepar gaye aur khaana deneke liye kahaa. dhaabevaalene kahaa-'kitane aadameeka doon.' unhonne kahaa—'andar jo santajee hain, unake liye. hee le jaana hai.' dhaabevaalene poochha, 'santajeene svayankaha hai ya aap apanee ichchhaase le ja rahe hain. santajeene yadi naheen kaha, to ve aapaka khaana naheen khaayenge.' 'svaameejeene hee kaha hai.' 'tab theek hai.' aap bada़e bhaagyashaalee hain. svaameejee kabhee kiseese khaaneke liye naheen kahate hain, jo bhee mile, kha lete hain. kaee-kaee baar to 10-12 dinontak kuchh bhee naheen khaate hain. sarajoonaaraayanajee khaana lekar aaye aur santajeeke paas rakh diyaa. santajee kabhee bhojanako dekhen, kabhee taaoojeeko. kabhee vedamantronka uchchaaran karen, kabhee puraanonkee kathaaonko bataayen, kabhee aisee baaten karen, jo samajhase baahar hain. thaalee rakhee huee thee aur paasamen hee ek kutta dekh raha thaa. sarajoojeene use hataaneka prayaas kiya to santajeene kahaa- 'laala ! kyon hata raha hai ?' svaameejee! kutta khaana jootha kar degaa. 'laala ! is kutteke bhaagyamen khaana naheen hai, yah to mere bhaagyamen hee likha hai. isako mere alaava koee naheen kha sakataa.' santajeene uttar diyaa. kuchh der baad santajeene panditajeese kahaa- 'laalaa! aaj mat ja, baadamen jaanaa'. 'mahaaraajajee ! hamane to basake tikat le liye hain.' mahaatmaajeene kahaa- 'bas to phir mil jaayagee, chinta mat kara.' panditajeene saathavaalonse kaha ki ab aaj naheen jaayange. do din baad hee yahaanse haridvaar jaayange. saathavaale thoda़a naaraaj bhee hue to panditajeene kaha ki 'jisako jaana hai, vah ja sakata hai. main aur mere parivaaravaale to do din baad hee jaayange.' santane khaana khaaya aur kaha 'laalaa! ek bada़aa-sa bhujang petamen ghus gaya, ab kya karen!' santajee ek vaakyako do-teen baar bolate rahate, yah unakee aadat thee. santajeene kaha, 'laalaaka ann khaaya hai to ab petaka dard bhee door karana pada़egaa.' ann khaaya kyon, aisee baat ve apane-aap karate rahe. jo yaatree taaoojeeke saath gaye the, ve bhee vaheen ruk gaye.

ek ghatana vahaan dhaabevaalene bataayee ki ye mahaatmaajee teen varsh pahale sada़kapar so gaye. us raastese sainikatukada़ee ja rahee thee. mahaatmaajeeke paas ek sainik aaya aur kahaa- 'mahaatmaajee, yahaanse hato, hamen jaana hai.' mahaatmaajeene kaha, tumane to yahaan mujhe litaaya naheen, jisane litaaya hai, vahee hataayegaa. sainikane socha mahaaraaj nashemen honge. usane hataaneka prayaas kiya, kintu vah to unhen hila bhee naheen sakaa. do sainik aur a gaye. teenonne hataaneka prayaas kiya, par saphalata naheen milee. isapar 5 sainik aur a gaye aur sabhee milakar hataane lage. mahaaraajajee tas se mas naheen hue. unaka adhikaaree brigediyar a gayaa. usane poochha 'kya baat hai ?' ek sainikane kahaa- 'sara! ye svaameejee sada़k raastese naheen hat rahe hain, ek baat hee kahate hain ki tumane litaaya naheen hai, phir main kyon tumhaare kahanese yahaanse hahoon. adhikaareene kaha ki ‘aage jo moda़ hai, vahaanka raasta dekhakar aao.' us sainikake lautanese pahale hee svaameejee uthakar apane raaste chale gaye. sainikane vaapas aakar jo baat kahee, usase sabhee stabdh rah gaye. vahaan moda़ par sada़k tootee huee thee, neeche hajaaron pheet gaharaaee men gangaajee bah rahee theen. sabhee gaada़iyaan nadeemen samaahit ho sakatee theen. sabheeko santakee kripaakee anubhooti huee. astu . taaoojee apane kamaremen a gaye, isake 5-6 ghantebaad khabar aayee ki jo bas haridvaar ja rahee thee, vah nadeemen gir gayee aur sabhee yaatree mar gaye. santakee kripaase taaoojeeke saath hee sabhee yaatree, jo basamen ja rahe the, ve bhee bach gaye. jo santajeene petamen bhujang ghusanekee baat kahee thee, usake baaremen baadamen pata chala ki taaoojeeke lada़keko beekaaneramen bahut jorase petadard hua, vah bhee ek ghante men ekadamase theek ho gayaa. do dinake baad akhabaaramen khabar aayee. usamen maranevaalonkee soochee thee. jisamen raajasthaanake yaatriyonmen taaoojeeke sahit sabheeke naam the. taaoojeeke pitaajee pandit haradaasajee purohit hastarekhaake vidvaan aur siddhapurush the. unhonne kaha ki 'mainne usaka haath dekh rakha hai, usakee mrityu ho hee naheen sakatee, yah khabar galat hai. mujhe putraviyog naheen ho sakataa.' unaka apane prabhupar poorn vishvaas thaa. do-teen ghante baad taar aaya ki ‘'yahaan sabhee sakushal hain, aap kisee prakaarakee chinta n karen.' taar haridvaarase aaya thaa. usapar durghatanaake do din baadakee taareekh thee. tab panditajeene kaha ki 'yah aajakee taareekhaka taar hai. aur basadurghatana do din pahalekee.' santonkee kripa aisee hee vilakshan hotee hai, jisaka anubhav kisee-kisee bada़bhaageeko hee ho paata hai.
[ daॉ0 shreeramesh naaraayanajee purohit ]

142 Views





Bhajan Lyrics View All

सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार

New Bhajan Lyrics View All

साईं महादानी हैं साईं महादानी,
रख ले मुझे चरणों में तेरी मेहरबानी,
जय गणपति दुविधा हटी,
जो तुमको किया प्रणाम...
बम बम बम भोले बम बम बम,
पीके शंकर सी की बूटी अखियां खुल गयी
प्यारे बांके बिहारी हमारे, प्यारे
जब से हुआ दीदार तुम्हारा, छोड़ दी
हरि खेल रहे ब्रज में होली,
हरि खेल रहे ब्रज में होली...