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कैलास-मानसरोवर यात्रामें कृपानुभूति

यह बात सन् २०१२ ई० की है, जब मेरा चयन विदेश मन्त्रालयद्वारा कैलास-मानसरोवर यात्राके लिये हुआ। मेरा चयन बैच नम्बर ८ में हुआ था, जो कि दिल्लीसे १३/७/२०१२ को रवाना हुआ। इसमें ४० सदस्योंका दल था, जो उत्तराखण्डके अल्मोड़ा, धारपुला, गुंजी, नवीधाग, डेरापुक होते हुए कैलास पर्वत पहुँचा। डेरापुक स्थलसे एक रास्ता 'चरणस्पर्श 'के लिये जाता है। चरणस्पर्श वह स्थान है, जहाँसे 'शिव पर्वत 'को स्पर्श कर सकते हैं। यह डेरापुकसे ३ कि०मी० दुर्गम चढ़ाईपर स्थित है। बहुत से भक्त वहाँतक नहीं जा पाते, परंतु मेरा प्रण था कि मैं वहाँ जाकर चरणस्पर्शका दर्शन करूँगा। मैं अकेला ही उस दुर्गम चढ़ाईके लिये चल दिया। कुछ दूर चलनेपर मेरी साँस फूलने लगी, चक्कर आने लगे। मैंनेजैसे ही उस समय भगवान् भोलेनाथको दिलसे याद किया तो मैं क्या चमत्कार देखता हूँ कि एक लामा-सा दीखनेवाला साधु वहाँ आया और मुझे एक जड़ी-बूटी खिलाकर एवं मेरा हाथ पकड़कर चरणस्पर्शतक ले गया और फिर अचानक वहाँसे गायब हो गया। यह मेरे लिये बहुत बड़ा चमत्कार था; क्योंकि मेरे पीछे कोई नहीं था तो वह साधु वहाँ कैसे आया, जो मेरा हाथ पकड़कर चरणस्पर्शतक ले गया। जब मैं चरणस्पर्शसे लौट रहा था, तभी अचानक एक छोटी-सी कन्या एक पहाड़ीपर खड़ी दिखी और 'ॐ नमः शिवाय' बोली। फिर अचानक गायब हो गयी। यह सब चमत्कार देखकर लगा कि वास्तवमें कैलासपर आज भी माता पार्वतीके साथ भगवान् भोलेनाथ साक्षात् विराजमान हैं।
[ श्रीकृष्णगोपालजी गर्ग ]



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kailaasa-maanasarovar yaatraamen kripaanubhooti

yah baat san 2012 ee0 kee hai, jab mera chayan videsh mantraalayadvaara kailaasa-maanasarovar yaatraake liye huaa. mera chayan baich nambar 8 men hua tha, jo ki dilleese 13/7/2012 ko ravaana huaa. isamen 40 sadasyonka dal tha, jo uttaraakhandake almoda़a, dhaarapula, gunjee, naveedhaag, deraapuk hote hue kailaas parvat pahunchaa. deraapuk sthalase ek raasta 'charanasparsh 'ke liye jaata hai. charanasparsh vah sthaan hai, jahaanse 'shiv parvat 'ko sparsh kar sakate hain. yah deraapukase 3 ki0mee0 durgam chadha़aaeepar sthit hai. bahut se bhakt vahaantak naheen ja paate, parantu mera pran tha ki main vahaan jaakar charanasparshaka darshan karoongaa. main akela hee us durgam chadha़aaeeke liye chal diyaa. kuchh door chalanepar meree saans phoolane lagee, chakkar aane lage. mainnejaise hee us samay bhagavaan bholenaathako dilase yaad kiya to main kya chamatkaar dekhata hoon ki ek laamaa-sa deekhanevaala saadhu vahaan aaya aur mujhe ek jada़ee-bootee khilaakar evan mera haath pakada़kar charanasparshatak le gaya aur phir achaanak vahaanse gaayab ho gayaa. yah mere liye bahut bada़a chamatkaar thaa; kyonki mere peechhe koee naheen tha to vah saadhu vahaan kaise aaya, jo mera haath pakada़kar charanasparshatak le gayaa. jab main charanasparshase laut raha tha, tabhee achaanak ek chhotee-see kanya ek pahaada़eepar khada़ee dikhee aur 'oM namah shivaaya' bolee. phir achaanak gaayab ho gayee. yah sab chamatkaar dekhakar laga ki vaastavamen kailaasapar aaj bhee maata paarvateeke saath bhagavaan bholenaath saakshaat viraajamaan hain.
[ shreekrishnagopaalajee garg ]

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फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
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ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
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