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श्रीरामचरितमानस पाठका चमत्कार

घटना उस समयकी है, जब मैं एम०ए० कर चुकी थी। मैं अपने माँ-बापकी इकलौती और लाडली सन्तान हूँ। मेरी पढ़ाई-लिखाईके अतिरिक्त अन्य अनेक कलाओं में निपुणता, भगवदास्था, सौम्यता आदि गुणोंको देखकर मेरे माता-पिता मेरे ही समान शिक्षा एवं सदाचरणवाले किसी योग्य युवकसे मेरी शादी करना चाहते थे। इसी कारण जल्दी बात नहीं बन पा रही थी। बढ़ती उम्र देखकर मेरी माँ चिन्तित रहने लगी थी।

एक दिन एक भगवत्प्रेमीने मुझे सलाह दी कि 'श्रीरामचरितमानसमें वर्णित सीताजीके विवाह प्रसंग तथा गौरी- आशीर्वादके प्रसंगका प्रतिदिन पाठ करो।' यह तुम्हारे लिये शीघ्र कल्याण करनेवाला होगा। उसी दिनसे मैंने यह सलाह मानकर प्रतिदिन स्नान आदिसे पवित्र हो पाठ करना शुरू कर दिया। पाठ शुरू किये लगभग एक माह हो गया। मार्च-अप्रैलका महीना था। एक दिन मैं सुबह पिताजीकी दवा लेने भाईके साथ कनॉट प्लेसमें मेडिकलकी दुकानपर गयी। भाई दुकानपर चला गया और मैं गाड़ीमें ही बैठी रही। अकेलेमें श्रीरामचरितमानसके सीता विवाह तथा गौरी-आशीर्वादका प्रसंग स्मरण करती हुई कुछ सोच रही थी, तबतक किसीकी आवाज़ आयी 'कुड़िये, हाथ दिखा'। जब आवाज सुनकर मैं पीछेकी ओर मुड़ी तो देखा कि १७-१८ वर्षकी उम्र के दो पंजाबी से दीखनेवाले युवक खड़े हैं। उन्हें देखकर मैंने कहा- 'मैं हाथ नहीं दिखाती, जाओ यहाँसे'। लेकिन वे गये नहीं । एकने कहा-'सुन कुड़िये, तेरी तो शादी होनेवाली हैं, जिससे तेरा ब्याह होगा, उसकी छोटी छोटी मूँछें होंगी, नाम उसका 'च' से शुरू होगा और सुन, तू तो इस सालके अन्ततक माँ भी बन जायगी।' इस प्रकारकी अटपटी, बेसिर-पैरकी बातें सुनकर मैं झुंझला गयी और खीजकर बोली- 'जाओ भाई, जाओ।' इतना कहकर खिड़कीका काँच मैंने चढ़ा लिया। भाई दवा लेकर आ गया और मैं घरके लिये चल पड़ी। रास्तेभर मैं उन युवकोंकी कही बातोंको- 'तेरा ब्याह हो जायगा, तू इस सालके अन्ततक माँ भी बन जायगी' आदि सोचती रही तथा मन-ही-मन हँसती भी रही कि कैसी मूर्खताकी बात है! अभीतक न कोई सगाई। न ब्याह, फिर माँ बननेकी बात! अजीब लड़के हैं, जो मनमें आया, वही बोल दिये। खैर, समय बीतने लगा, बात आयी गयी हो गयी। श्रीरामचरितमानसके सीता विवाह और गौरी-आशीर्वाद प्रसंगका पाठ अब मेरी नैमित्तिक क्रियाका अंग बन गया था।

लगभग दो महीने बाद मेरे रिश्तेकी बात ग्वालियरमें एक लड़केके साथ हुई। सब कुछ देखने-सुनने और विचार विमर्शके बाद मेरे माता-पिताको बात जँच गयी और यह जानकर आश्चर्य हुआ कि लड़का पहले मूँछें नहीं रखता था, अभी कुछ दिनोंसे ही रखनी शुरू की हैं। एक और बात, उसका नाम भी 'च' से शुरू होता है-'चन्द्रमोहन'।

नवम्बरमें मेरा ब्याह हो गया और समयानुसार मैं बच्चेकी माँ भी बन गयी।

अब सारा घटनाक्रम मुझे रोमांचित करने लगा। उन दोनों युवकोंकी कही हुई सभी बातें ज्यों-की-त्यों सत्य हो गयी थीं। अब तो मैं बार-बार यह सोचनेके लिये विवश हो रही थी कि आखिर वे दोनों कौन थे, जो बिना कुछ पूछे बताये मेरे विषयमें यों ही बताने लगे। जब मैं ससुरालसे लौटकर पीहर आयी तो उन्हीं दोनों युवकोंको देखने-जाननेकी जिज्ञासासे कनॉट प्लेस गयी। आस-पास उन युवकोंके बारेमें पूछा, पर सभीने अनभिज्ञता प्रकट की। मैं निराश लौट आयी, पर मनमें यह दृढ़ विश्वास हो गया कि हो न हो वे राम-लक्ष्मण ही थे, जो मुझे मेरा आनेवाला कल बताने आये थे।

अब मुझे यह समझते देर न लगी कि यह सब श्रीरामचरितमानसके पाठका ही सुफल है कि उन दो युवकोंके रूपमें राम-लक्ष्मणके दर्शन मिल गये और मेरा कार्य भी सिद्ध हो गया। अब मैं सदैव श्रीरामचरितमानसका पाठ किया करती हूँ। जब मैंने यह घटना अपने पड़ोस में लोगों से कही तो सभी सुनकर आश्चर्यचकित और अत्यन्त प्रभावित हुए। अब जब भी किसीपर कोई संकट आदि आता है तो लोग मानसका पाठ अत्यन्त ध्यानसे करते हैं। धन्य है श्रीरामचरितमानस पाठकी महिमा !

[ श्रीमती मंजुजी नागोरी ]



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shreeraamacharitamaanas paathaka chamatkaara

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navambaramen mera byaah ho gaya aur samayaanusaar main bachchekee maan bhee ban gayee.

ab saara ghatanaakram mujhe romaanchit karane lagaa. un donon yuvakonkee kahee huee sabhee baaten jyon-kee-tyon saty ho gayee theen. ab to main baara-baar yah sochaneke liye vivash ho rahee thee ki aakhir ve donon kaun the, jo bina kuchh poochhe bataaye mere vishayamen yon hee bataane lage. jab main sasuraalase lautakar peehar aayee to unheen donon yuvakonko dekhane-jaananekee jijnaasaase kanaॉt ples gayee. aasa-paas un yuvakonke baaremen poochha, par sabheene anabhijnata prakat kee. main niraash laut aayee, par manamen yah dridha़ vishvaas ho gaya ki ho n ho ve raama-lakshman hee the, jo mujhe mera aanevaala kal bataane aaye the.

ab mujhe yah samajhate der n lagee ki yah sab shreeraamacharitamaanasake paathaka hee suphal hai ki un do yuvakonke roopamen raama-lakshmanake darshan mil gaye aur mera kaary bhee siddh ho gayaa. ab main sadaiv shreeraamacharitamaanasaka paath kiya karatee hoon. jab mainne yah ghatana apane pada़os men logon se kahee to sabhee sunakar aashcharyachakit aur atyant prabhaavit hue. ab jab bhee kiseepar koee sankat aadi aata hai to log maanasaka paath atyant dhyaanase karate hain. dhany hai shreeraamacharitamaanas paathakee mahima !

[ shreematee manjujee naagoree ]

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एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
रसिया को नार बनावो री रसिया को
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नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
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जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
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