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अध्यात्मबोधक कुछ मूलभूत दृष्टान्त  [आध्यात्मिक कहानी]
हिन्दी कहानी - Wisdom Story (बोध कथा)

अध्यात्मबोधक कुछ मूलभूत दृष्टान्त

1 - त्रिलोकीका नाश
एक राजा था, वह एक बार शिकार करनेके लिये जंगलमें गया। बहुत दौड़-धूप की, परंतु कोई शिकार हाथ न आया। अचानक एक नीलगायपर उसकी दृष्टि पड़ी। उसको मारनेके लिये जैसे ही राजाने शरसंधान किया कि वह नीलगाय तुरंत बोल उठी-'भले राजा! मुझे मारना मत। मुझको मारोगे तो त्रिलोकीका नाश हो जायगा।'
यह सुनकर राजाको बड़ी हँसी आयी। तीरको तरकसमें रखते हुए राजा बोला-'अरे मूर्ख नीलगाय ! लोग तुझको मूर्ख कहते हैं, वह ठीक ही है। यह तू क्या कहती है ? तेरे-जैसे तो हजारों प्राणियोंको मैंने मारा है, फिर भी आजतक त्रिलोकीका नाश नहीं हुआ। फिर कैसे तेरी एककी मृत्युसे त्रिलोकीका नाश हो जायगा ?'
तब वह नीलगाय बोली-'मैं भले ही मूर्ख हूँ, पर हे राजा ! तू विचारनेत्रसे अन्धा है, इससे तुझको सत्य नहीं दीख पड़ता। अपनी आँखोंको मूँद ले। देख, क्या कहीं तुझको संसार दीखता है? इसी प्रकार जब तेरी आँख एक दिन सदाके लिये मुँद जायगी, तब तेरे लिये जगत् कहाँ रहेगा ?''सम्मीलने नयनयोर्न हि किञ्चिदस्ति ।'
आँखें मुँद जानेके बाद, प्राण छूट जानेके बाद तेरा जगत् कहीं नहीं रह जायगा। इसी प्रकार यदि तू मुझे मार डालेगा, तो मेरी दृष्टिसे तो त्रिलोकीका नाश हो ही जायगा न? क्योंकि 'आप मुये, जग प्रलय' है। कबीरजी भी कहते हैं कि 'आप मुये पीछे डूब गयी दुनिया।'
राजाको यह बात सच्ची लगी। उसके ज्ञाननेत्र खुल गये। उसने नीलगायको नहीं मारा और वह घर लौट आया।



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adhyaatmabodhak kuchh moolabhoot drishtaanta

adhyaatmabodhak kuchh moolabhoot drishtaanta

1 - trilokeeka naasha
ek raaja tha, vah ek baar shikaar karaneke liye jangalamen gayaa. bahut dauda़-dhoop kee, parantu koee shikaar haath n aayaa. achaanak ek neelagaayapar usakee drishti pada़ee. usako maaraneke liye jaise hee raajaane sharasandhaan kiya ki vah neelagaay turant bol uthee-'bhale raajaa! mujhe maarana mata. mujhako maaroge to trilokeeka naash ho jaayagaa.'
yah sunakar raajaako bada़ee hansee aayee. teerako tarakasamen rakhate hue raaja bolaa-'are moorkh neelagaay ! log tujhako moorkh kahate hain, vah theek hee hai. yah too kya kahatee hai ? tere-jaise to hajaaron praaniyonko mainne maara hai, phir bhee aajatak trilokeeka naash naheen huaa. phir kaise teree ekakee mrityuse trilokeeka naash ho jaayaga ?'
tab vah neelagaay bolee-'main bhale hee moorkh hoon, par he raaja ! too vichaaranetrase andha hai, isase tujhako saty naheen deekh pada़taa. apanee aankhonko moond le. dekh, kya kaheen tujhako sansaar deekhata hai? isee prakaar jab teree aankh ek din sadaake liye mund jaayagee, tab tere liye jagat kahaan rahega ?''sammeelane nayanayorn hi kinchidasti .'
aankhen mund jaaneke baad, praan chhoot jaaneke baad tera jagat kaheen naheen rah jaayagaa. isee prakaar yadi too mujhe maar daalega, to meree drishtise to trilokeeka naash ho hee jaayaga na? kyonki 'aap muye, jag pralaya' hai. kabeerajee bhee kahate hain ki 'aap muye peechhe doob gayee duniyaa.'
raajaako yah baat sachchee lagee. usake jnaananetr khul gaye. usane neelagaayako naheen maara aur vah ghar laut aayaa.

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