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अपने बुरे कर्मोंका फल यथासमय भोगना ही पड़ेगा  [Spiritual Story]
Hindi Story - Spiritual Story (आध्यात्मिक कथा)

अपने बुरे कर्मोंका फल यथासमय भोगना ही पड़ेगा

महाभारतपर आधारित एक अनुश्रुति है कि राजा धृतराष्ट्रके सौ पुत्रोंके युद्धमें मर जानेके बाद उन्होंने भगवान् श्रीकृष्णसे पूछा कि जीवनमें मैंने कोई ऐसा भयंकर पाप नहीं किया, जिसके फलस्वरूप मेरे सौ पुत्र एक साथ मर गये। भगवान् श्रीकृष्णने उन्हें उनके पिछले जन्मोंको देखनेके लिये दिव्य दृष्टि प्रदान की। तब राजाको मालूम हुआ कि पचास जन्म पूर्व वे एक बहेलिया थे और उन्होंने वृक्षपर बैठे हुए पक्षियोंको पकड़नेके लिये जलता हुआ जाल फेंका था, जिससे सौ पक्षी जलकर मर गये थे। कुछ अन्धे हो गये थे। पचास जन्मोंतक संचित पुण्यकर्मोंके कारण उन्हें अपने इस पापकर्मका दण्ड नहीं भोगना पड़ा और जब पुण्यकमका प्रभाव क्षीण हो गया तो यह फल भोगना पड़ा। इस कथाका सारांश यही है कि प्रत्येक व्यक्तिको अपने बुरे कर्मोंका फल यथासमय भोगना ही पड़ेगा। राजा धृतराष्ट्रको भी अपने पापकर्मका दण्ड (दृष्टिहीन होकर अपने सौ पुत्रोंकी मृत्यु) भोगना पड़ा।
अतएव यह स्पष्ट है कि मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल पाता है।



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apane bure karmonka phal yathaasamay bhogana hee pada़egaa

apane bure karmonka phal yathaasamay bhogana hee pada़egaa

mahaabhaaratapar aadhaarit ek anushruti hai ki raaja dhritaraashtrake sau putronke yuddhamen mar jaaneke baad unhonne bhagavaan shreekrishnase poochha ki jeevanamen mainne koee aisa bhayankar paap naheen kiya, jisake phalasvaroop mere sau putr ek saath mar gaye. bhagavaan shreekrishnane unhen unake pichhale janmonko dekhaneke liye divy drishti pradaan kee. tab raajaako maaloom hua ki pachaas janm poorv ve ek baheliya the aur unhonne vrikshapar baithe hue pakshiyonko pakada़neke liye jalata hua jaal phenka tha, jisase sau pakshee jalakar mar gaye the. kuchh andhe ho gaye the. pachaas janmontak sanchit punyakarmonke kaaran unhen apane is paapakarmaka dand naheen bhogana pada़a aur jab punyakamaka prabhaav ksheen ho gaya to yah phal bhogana pada़aa. is kathaaka saaraansh yahee hai ki pratyek vyaktiko apane bure karmonka phal yathaasamay bhogana hee paड़egaa. raaja dhritaraashtrako bhee apane paapakarmaka dand (drishtiheen hokar apane sau putronkee mrityu) bhogana pada़aa.
ataev yah spasht hai ki manushy jaisa karm karata hai, vaisa hee phal paata hai.

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