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बोध-पीयूष-बिन्दु  [आध्यात्मिक कथा]
बोध कथा - Story To Read (Spiritual Story)

बोध-पीयूष-बिन्दु

क्रियासिद्धिः सत्त्वे वसति महतां नोपकरणे॥ (हनुमन्नाटक 7/7) महापुरुषोंके कार्योंकी सफलता साधनोंमें नहीं, अपितु उनके आत्मबलमें निवास करती है।

मनसि स्वस्थे रम्याणां रमणीयता ॥ (हनुमन्नाटक 14 । 22) रमणीय वस्तुओंमें रमणीयताका अनुभव तभी होता है, जब मन प्रसन्न हो।

प्रभवति कुतोऽनर्थः प्रज्ञा न चेदपथोन्मुखी ॥ (आश्चर्यचूडामणि 3।42 ) यदि बुद्धि अनुचित मार्गकी ओर उन्मुख न हो तो अनिष्ट हो भी कैसे सकता है।



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bodha-peeyoosha-bindu

bodha-peeyoosha-bindu

kriyaasiddhih sattve vasati mahataan nopakarane.. (hanumannaatak 7/7) mahaapurushonke kaaryonkee saphalata saadhanonmen naheen, apitu unake aatmabalamen nivaas karatee hai.

manasi svasthe ramyaanaan ramaneeyata .. (hanumannaatak 14 . 22) ramaneey vastuonmen ramaneeyataaka anubhav tabhee hota hai, jab man prasann ho.

prabhavati kuto'narthah prajna n chedapathonmukhee .. (aashcharyachoodaamani 3.42 ) yadi buddhi anuchit maargakee or unmukh n ho to anisht ho bhee kaise sakata hai.

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