⮪ All Stories / कथा / कहानियाँ

विचित्र परीक्षा  [हिन्दी कहानी]
शिक्षदायक कहानी - Moral Story (हिन्दी कहानी)

एक समय श्रीमद्राघवेन्द्र महाराजराजेन्द्र श्रीरामचन्द्रने एक बड़ा विशाल अश्वमेध यज्ञ किया। उसमें उन्होंने सर्वस्व दान कर दिया। उस समय उन्होंने घोषणा कर रखी थी कि यदि कोई व्यक्ति अयोध्याका राज्य, पुष्पकविमान, कौस्तुभमणि, कामधेनु गाय या सीताको भी माँगेगा तो मैं उसे दे दूंगा।' बड़े उत्साहके साथ यज्ञकी समाप्ति हुई। ठीक श्रीरामजन्मके ही दिन अवभृथ स्नान हुआ। भगवान्के सच्चिदानन्दमय श्रीविग्रहका दर्शन करके जनता धन्य हो रही थी। देवता, गन्धर्व दिव्य वाद्य बजाकर पुष्पवृष्टि कर रहे थे। अन्तमें भगवान्ने चिन्तामणि और कामधेनुको अपने गुरुको दान करनेकी तैयारी की।

वसिष्ठजीने सोचा कि 'मेरे पास नन्दिनी तो है ही। यहाँ मैं एक अपूर्व लीला करूँ। आज श्रीराघवके औदार्यका प्रदर्शन कराकर मैं इनकी कीर्ति अक्षय कर दूँ।' यो विचारकर उन्होंने कहा, 'राघव! यह गोदान क्या कर रहे हो, इससे मेरी तृप्ति नहीं होती। यदि तुम्हें देना ही हो तो सर्वालंकारमण्डिता सीताको ही दान करो। अन्य सैकड़ों स्त्रियों या वस्तुओंसे मेरा कोई प्रयोजन या तृति सम्भव नहीं।'

इतना सुनना था कि जनतामें हाहाकार मच गया। कुछ लोग कहने लगे कि 'क्या ये बूढ़े वसिष्ठ पागल हो गये ?' कुछ लोग कहने लगे कि 'यह मुनिका केवल विनोद है।' कोई कहने लगा-'मुनि राघवकी धैर्यपरीक्षा कर रहे हैं।' इसी बीच श्रीरामचन्द्रजीने हँसकर सीताजीको बुलाया और उनका हाथ पकड़कर वे कहने लगे-'हाँ, अब आप स्त्रीदानका मन्त्र बोलें, मैं सीताको दान कर रहा हूँ।' वसिष्ठने भी यथाविधि इसका उपक्रम सम्पन्न किया। अब तो सभी जड़-चेतनात्मक जगत् चकित हो गया। वसिष्ठजीने सीताको अपने पीछे | बैठनेको कहा। सीताजी भी खिन्न हो गयीं। तदनन्तर श्रीरामचन्द्रजीने कहा कि 'अब कामधेनु गाय भी लीजिये।'

वसिष्ठजीने इसपर कहा - 'महाबाहो राम! मैंने केवल तुम्हारे औदार्य-प्रदर्शनके लिये यह कौतूहल रचा था। अब तुम मेरी बात सुनो। सीताका आठगुना सोना | तौलकर तुम इसे वापस ले लो और आजसे तुम मेरी आज्ञासे कामधेनु, चिन्तामणि, सीता, कौस्तुभमणि, पुष्पकविमान, अयोध्यापुरी तथा सम्पूर्ण राज्य किसीको देनेका नाम न लेना। यदि मेरी इस आज्ञाका लोप करोगे तो विश्वास रखो, मेरी आज्ञा न माननेसे तुम्हें बहुत क्लेश होगा। इन सात वस्तुओंके अतिरिक्त तुम जो चाहो, स्वेच्छासे ब्राह्मणोंको दो।'

तदनन्तर भगवान्ने वैसा ही किया और निरलंकार केवल दो वस्त्रोंके साथ सीताको लौटा लिया। आकाशसे पुष्पवृष्टि होने लगी तथा जय-जयकारकी महान् दर्सों दिशाएँ भर गयीं। फिर बड़े समुत्साहसे यज्ञकी शेष ध्वनिसे क्रियाएँ पूरी हुईं।

- जा0 श0 (आनन्दरामायण-यागकाण्ड)



You may also like these:

छोटी सी कहानी अद्भुत उदारता
हिन्दी कथा आनन्दघनकी खीझ
शिक्षदायक कहानी उचित गौरव
हिन्दी कहानी उपासनाका फल
छोटी सी कहानी गायका मूल्य


vichitr pareekshaa

ek samay shreemadraaghavendr mahaaraajaraajendr shreeraamachandrane ek bada़a vishaal ashvamedh yajn kiyaa. usamen unhonne sarvasv daan kar diyaa. us samay unhonne ghoshana kar rakhee thee ki yadi koee vyakti ayodhyaaka raajy, pushpakavimaan, kaustubhamani, kaamadhenu gaay ya seetaako bhee maangega to main use de doongaa.' bada़e utsaahake saath yajnakee samaapti huee. theek shreeraamajanmake hee din avabhrith snaan huaa. bhagavaanke sachchidaanandamay shreevigrahaka darshan karake janata dhany ho rahee thee. devata, gandharv divy vaady bajaakar pushpavrishti kar rahe the. antamen bhagavaanne chintaamani aur kaamadhenuko apane guruko daan karanekee taiyaaree kee.

vasishthajeene socha ki 'mere paas nandinee to hai hee. yahaan main ek apoorv leela karoon. aaj shreeraaghavake audaaryaka pradarshan karaakar main inakee keerti akshay kar doon.' yo vichaarakar unhonne kaha, 'raaghava! yah godaan kya kar rahe ho, isase meree tripti naheen hotee. yadi tumhen dena hee ho to sarvaalankaaramandita seetaako hee daan karo. any saikada़on striyon ya vastuonse mera koee prayojan ya triti sambhav naheen.'

itana sunana tha ki janataamen haahaakaar mach gayaa. kuchh log kahane lage ki 'kya ye boodha़e vasishth paagal ho gaye ?' kuchh log kahane lage ki 'yah munika keval vinod hai.' koee kahane lagaa-'muni raaghavakee dhairyapareeksha kar rahe hain.' isee beech shreeraamachandrajeene hansakar seetaajeeko bulaaya aur unaka haath pakada़kar ve kahane lage-'haan, ab aap streedaanaka mantr bolen, main seetaako daan kar raha hoon.' vasishthane bhee yathaavidhi isaka upakram sampann kiyaa. ab to sabhee jada़-chetanaatmak jagat chakit ho gayaa. vasishthajeene seetaako apane peechhe | baithaneko kahaa. seetaajee bhee khinn ho gayeen. tadanantar shreeraamachandrajeene kaha ki 'ab kaamadhenu gaay bhee leejiye.'

vasishthajeene isapar kaha - 'mahaabaaho raama! mainne keval tumhaare audaarya-pradarshanake liye yah kautoohal racha thaa. ab tum meree baat suno. seetaaka aathaguna sona | taulakar tum ise vaapas le lo aur aajase tum meree aajnaase kaamadhenu, chintaamani, seeta, kaustubhamani, pushpakavimaan, ayodhyaapuree tatha sampoorn raajy kiseeko deneka naam n lenaa. yadi meree is aajnaaka lop karoge to vishvaas rakho, meree aajna n maananese tumhen bahut klesh hogaa. in saat vastuonke atirikt tum jo chaaho, svechchhaase braahmanonko do.'

tadanantar bhagavaanne vaisa hee kiya aur niralankaar keval do vastronke saath seetaako lauta liyaa. aakaashase pushpavrishti hone lagee tatha jaya-jayakaarakee mahaan darson dishaaen bhar gayeen. phir bada़e samutsaahase yajnakee shesh dhvanise kriyaaen pooree hueen.

- jaa0 sha0 (aanandaraamaayana-yaagakaanda)

155 Views





Bhajan Lyrics View All

मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा

New Bhajan Lyrics View All

प्रथम निमंत्रण आपको गजानंद सरकार
तेरा नाम लिया है पहले
सावन की घटा घनघोर की रिमझिम बरसे चारों
झूला झूले जनक दुलारी झूला रहे अवध
अपने भगत की आँख में आँसू देख ना पाएगा,
जब जब भी श्याम दिवानो के सर पे संकट
भक्तों को दर्शन दे गया रे मेरा शीश का
शीश का दानी ये है महा बलवानी,
भोला ख़ुशी में कमाल कर बैठे,
वो तो गौरा से प्यार कर बैठे...