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सभी परमात्माकी संतान हैं  [छोटी सी कहानी]
Moral Story - बोध कथा (बोध कथा)

एक बार एक फकीर अपने एक युवक सेवकके साथ कहीं जा रहे थे। रास्तेमें सेवकने एक चिड़िया देखी। उस पक्षीके साथ एक बच्चा भी था। वह सेवकको बहुत सुन्दर लगा। उसने उसे पकड़ लिया। दोनों माँ-बेटे छटपटाने लगे। इसे देख फकीर तुरंत सेवकके पास गये और बोले-'खबरदार ! इस पक्षीके बच्चेको तुरंत इसकी माँको सौंप दो। ईश्वर समस्तजीवोंका - प्राणिमात्रका पिता है। वह प्रेममय - वात्सल्यमय है। सभी प्राणी परमात्माके बालक हैं। इसलिये उसकी संतानको कष्ट देना तो उसके साथ बगावत करना है। भला पुत्रवत्सल पिता अपने पुत्रके कष्टको कैसे क्षमा करेगा? अतएव भगवान्‌के प्रिय बननेवालों अथवा प्रिय चाहनेवालोंको तन-मनसे उनकी संतानको भी प्रसन्न करनेकी चेष्टा करनी चाहिये ।'



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sabhee paramaatmaakee santaan hain

ek baar ek phakeer apane ek yuvak sevakake saath kaheen ja rahe the. raastemen sevakane ek chida़iya dekhee. us paksheeke saath ek bachcha bhee thaa. vah sevakako bahut sundar lagaa. usane use pakada़ liyaa. donon maan-bete chhatapataane lage. ise dekh phakeer turant sevakake paas gaye aur bole-'khabaradaar ! is paksheeke bachcheko turant isakee maanko saunp do. eeshvar samastajeevonka - praanimaatraka pita hai. vah premamay - vaatsalyamay hai. sabhee praanee paramaatmaake baalak hain. isaliye usakee santaanako kasht dena to usake saath bagaavat karana hai. bhala putravatsal pita apane putrake kashtako kaise kshama karegaa? ataev bhagavaan‌ke priy bananevaalon athava priy chaahanevaalonko tana-manase unakee santaanako bhee prasann karanekee cheshta karanee chaahiye .'

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