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सहज अधिकार  [Shikshaprad Kahani]
Wisdom Story - आध्यात्मिक कहानी (Hindi Story)

भगवान् बुद्धके जीवनकी घटना है। तथागत छप्पन सालके थे। अभीतक अपनी परिचर्याके लिये किसी उपस्थाक (परिचारक) - की नियुक्तिकी आज्ञा नहीं दी थी। कभी उनके साथ परिचर्याके लिये मेघिय, उपवाण या राध रहते थे तो कभी नागसमाल भगवान्‌का पात्र लेकर पीछे-पीछे चलते थे।

एक समय तथागत श्रावस्तीके पथपर थे। उनके पीछे पात्र चीवर लेकर नागसमाल चल रहे थे। 'अपना पात्र सम्हालिये। मैं चारिकाके लिये दूसरी ओर जाना चाहता हूँ।' नागसमालका प्रस्ताव भगवान् बुद्धने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने दूसरी बार कहा तथागत शान्त थे ।

तीसरी बार नागसमाल पात्र - चीवर भूमिपर रखकर दूसरा रास्ता पकड़ना ही चाहते थे कि महाश्रमणने चीवर - पात्र अपने हाथमें ले लिये। नागसमाल चले गये।


श्रावस्तीमें प्रवेश करके गन्धकुटीके परिवेण (चौक) के बिछे आसनपर भगवान् बुद्ध बैठे ही थे कि नागसमाल आ पहुँचे। उनके सिरमें चोट थी, रास्ते में चोरेनि पात्र-चीवर आदि छीन लिये थे। उन्होंने चरणवन्दना की और आज्ञा-उल्लङ्घन करनेपर पश्चात्ताप किया।

'मेरे लिये परिचारक नियत करनेकी आवश्यकता है। लोग मेरा साथ आधे रास्तेमें ही छोड़ दिया करते उ हैं, पात्र-चीवर रखकर चले जाते हैं।' तथागतके इसम उदारसे उपस्थित भिक्षुसङ्घ दुखी हुआ।

'मैंने जन्म-जन्मान्तर आपके उपस्थानके लिये तप |किया है, मुझे अवसर मिले।' आयुष्मान् सारिपुत्रका यह

प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। 'तुम जिस दिशामें चारिका करते हो, वह मुझसे अशून्य रहती है। तुम उपस्थानके योग्य नहीं हो।

तथागतने संकेत किया।

महामौद्गल्यायन आदि अस्सी महाश्रावकोंने उपस्थानका अधिकार माँगा, पर तथागतने स्वीकृति नहीं दी । 'दशबल उपस्थानका अधिकार दे रहे हैं, माँग लो,

आयुष्मन् ।' कुछ लोगोंने स्थविर आनन्दको प्रोत्साहित किया। 'यदि माँगनेसे मिला तो अधिकार है ही नहीं, सेवाका अधिकार तो सहज ही मिला करता है। भगवान् दशबल मुझे देख ही रहे हैं, उचित समझेंगे तो अनुज्ञा प्रदान करेंगे ही।' स्थविर आनन्द स्वस्थ था।

'आनन्दको प्रोत्साहित करना ठीक नहीं है, भिक्षुओ ! वह स्वयं ही मेरा उपस्थान करेगा।' दशबल प्रसन्न थे ।

'मेरे चार प्रतिक्षेप और चार याचनाएँ हैं।' आनन्दने तथागतसे निवेदन किया कि भगवान् अपने पाये उत्तम चीवर मुझे न दें, पिण्ड (भिक्षा) न दें, एक गन्ध कुटीमें निवास न दें, निमन्त्रणमें लेकर न जायँ । 'इनमें दोष क्या है, आनन्द ?' दशबलने परीक्षा ली।

'यदि आप इनको मुझे देंगे तो लोग लाञ्छन लगायेंगे कि आनन्द अपने स्वार्थ-लाभके लिये दशबलका उपस्थान करता है।' उसने भाव स्पष्ट किया अपने मनका । स्थविर आनन्दने कहा कि 'मेरी चार याचनाएँ ये हैं कि आप मेरे स्वीकार किये निमन्त्रणमें जायें, यदि दूसरे राष्ट्र या परिषद्से कोई व्यक्ति दर्शनके लियेlउपस्थित हो तो उसके आते ही मैं आपका दर्शन करा पाऊँ, किसी भी समय आपके पास आनेमें मेरे लिये रोक न रहे, आप मेरे परोक्षमें जो धर्मोपदेश करें, उसका आकर मुझे भी उपदेश कर दें।'

'यह सदाचारका पथ है, स्थविर! यह आत्मीयताकाअभिव्यञ्जन है, आनन्द! वास्तवमें मेरी सेवाके सहज अधिकारका यही उपाय है।' भगवान् तथागतने आनन्दकी प्रशंसा की; उसकी समस्त माँगें स्वीकार कर ली गयीं। उपस्थानका सहज (स्वाभाविक) अधिकार मिल गया उसे । - रा0 श्री0 (बुद्धचर्या)



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sahaj adhikaara

bhagavaan buddhake jeevanakee ghatana hai. tathaagat chhappan saalake the. abheetak apanee paricharyaake liye kisee upasthaak (parichaaraka) - kee niyuktikee aajna naheen dee thee. kabhee unake saath paricharyaake liye meghiy, upavaan ya raadh rahate the to kabhee naagasamaal bhagavaan‌ka paatr lekar peechhe-peechhe chalate the.

ek samay tathaagat shraavasteeke pathapar the. unake peechhe paatr cheevar lekar naagasamaal chal rahe the. 'apana paatr samhaaliye. main chaarikaake liye doosaree or jaana chaahata hoon.' naagasamaalaka prastaav bhagavaan buddhane sveekaar naheen kiyaa. unhonne doosaree baar kaha tathaagat shaant the .

teesaree baar naagasamaal paatr - cheevar bhoomipar rakhakar doosara raasta pakada़na hee chaahate the ki mahaashramanane cheevar - paatr apane haathamen le liye. naagasamaal chale gaye.


shraavasteemen pravesh karake gandhakuteeke pariven (chauka) ke bichhe aasanapar bhagavaan buddh baithe hee the ki naagasamaal a pahunche. unake siramen chot thee, raaste men choreni paatra-cheevar aadi chheen liye the. unhonne charanavandana kee aur aajnaa-ullanghan karanepar pashchaattaap kiyaa.

'mere liye parichaarak niyat karanekee aavashyakata hai. log mera saath aadhe raastemen hee chhoda़ diya karate u hain, paatra-cheevar rakhakar chale jaate hain.' tathaagatake isam udaarase upasthit bhikshusangh dukhee huaa.

'mainne janma-janmaantar aapake upasthaanake liye tap |kiya hai, mujhe avasar mile.' aayushmaan saariputraka yaha

prastaav asveekrit ho gayaa. 'tum jis dishaamen chaarika karate ho, vah mujhase ashoony rahatee hai. tum upasthaanake yogy naheen ho.

tathaagatane sanket kiyaa.

mahaamaudgalyaayan aadi assee mahaashraavakonne upasthaanaka adhikaar maanga, par tathaagatane sveekriti naheen dee . 'dashabal upasthaanaka adhikaar de rahe hain, maang lo,

aayushman .' kuchh logonne sthavir aanandako protsaahit kiyaa. 'yadi maanganese mila to adhikaar hai hee naheen, sevaaka adhikaar to sahaj hee mila karata hai. bhagavaan dashabal mujhe dekh hee rahe hain, uchit samajhenge to anujna pradaan karenge hee.' sthavir aanand svasth thaa.

'aanandako protsaahit karana theek naheen hai, bhikshuo ! vah svayan hee mera upasthaan karegaa.' dashabal prasann the .

'mere chaar pratikshep aur chaar yaachanaaen hain.' aanandane tathaagatase nivedan kiya ki bhagavaan apane paaye uttam cheevar mujhe n den, pind (bhikshaa) n den, ek gandh kuteemen nivaas n den, nimantranamen lekar n jaayan . 'inamen dosh kya hai, aanand ?' dashabalane pareeksha lee.

'yadi aap inako mujhe denge to log laanchhan lagaayenge ki aanand apane svaartha-laabhake liye dashabalaka upasthaan karata hai.' usane bhaav spasht kiya apane manaka . sthavir aanandane kaha ki 'meree chaar yaachanaaen ye hain ki aap mere sveekaar kiye nimantranamen jaayen, yadi doosare raashtr ya parishadse koee vyakti darshanake liyelupasthit ho to usake aate hee main aapaka darshan kara paaoon, kisee bhee samay aapake paas aanemen mere liye rok n rahe, aap mere parokshamen jo dharmopadesh karen, usaka aakar mujhe bhee upadesh kar den.'

'yah sadaachaaraka path hai, sthavira! yah aatmeeyataakaaabhivyanjan hai, aananda! vaastavamen meree sevaake sahaj adhikaaraka yahee upaay hai.' bhagavaan tathaagatane aanandakee prashansa kee; usakee samast maangen sveekaar kar lee gayeen. upasthaanaka sahaj (svaabhaavika) adhikaar mil gaya use . - raa0 shree0 (buddhacharyaa)

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