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भक्त पण्डित लक्ष्मणप्रसादजी ववेले की मार्मिक कथा
भक्त पण्डित लक्ष्मणप्रसादजी ववेले की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त पण्डित लक्ष्मणप्रसादजी ववेले (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त पण्डित लक्ष्मणप्रसादजी ववेले]- भक्तमाल


पण्डित लक्ष्मणप्रसादजी भगवान् के पूरे भक्त थे। उनके जीवनकी अलौकिक और रहस्यपूर्ण घटनाओंसे उनकी दृढ़ भक्ति और ईश्वरचिन्तनका पता चलता है। वे भगवान् रामके महान् भक्त थे। उनका जन्म संवत् 1938 विo में झाँसी जनपदके तालवहट नामक नगरमें पं0 परशुराम ववेलेके घर हुआ था। बाल्यकालसे ही उनका मन भगवद्भक्तिमें लगता था। अकालग्रस्त होनेपर उनके माता-पिताने बड़ौदा ग्राममें अपना स्थायी निवास बना लिया। लक्ष्मणप्रसादजीपर सूरदास नामक एक साधुके सत्संगका बड़ा प्रभाव पड़ा था। अठारह सालकी अवस्थामें हथनोरा ग्रामके पण्डित जगमाभजी की कन्यासे उनका विवाह हो गया। विवाहके थोड़े समयके बाद माता-पिताका देहान्त हो जानेपर गृहस्थीका भार उन्होंके कंधोंपर आ पड़ा।

उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, दिन-के दिन वे परिवारसहित भूखे ही रह जाते थे। भगवान्पर पूर्णरूपसे निर्भर थे, अतएव किसीसे एक पैसा भी माँगना स्वाभिमानके विरुद्ध समझते थे। इस दैन्यपूर्ण स्थितिमें भी भगवान् श्रीरामके भजन-पूजन और चिन्तनमें किसी भी दिन अन्तर न पड़ा। इसी बीचमें उनकी गायें कानीहाउस चली गर्यो, दस रुपया दण्ड लगा; रुपया कहाँसे आये इसी चिन्तामें उनकी पत्नी डूबने-उतराने लगी। अन्नपूर्णा नामक एक पड़ोसिनसे दस रुपये उधारलेकर वे गायोंको छुड़ाने रायसेन गये, पर बीचमें ही एक साधुमण्डलीसे भेंट हो गयी। उन्होंने रुपयोंका साधुओंकी सेवामें सदुपयोग कर कानीहाउसके कर्मचारीसे गायोंको निःशुल्क छोड़ देनेकी बात कही। कर्मचारीने आश्चर्यचकित होकर कहा कि 'आप तो अभी-अभी कुछ देर पहले गायोंको छुड़ाकर ले गये हैं।' उसने प्रातिपत्र (रसीद) दिखाया भने घर जाकर गायोंको दानमें दे दिया। प्रभु स्वयं गायोंको छुड़ाने गये थे, इससे कितना कष्ट हुआ पण्डित लक्ष्मणप्रसादजीको।

एक बार भक्तजी भोजन कर रहे थे, नवाबके सिपाही बुलाने आये उनको नवाबने वनमें शिकारके समय शोर मचानेवालोंका कार्य सौंपा। भक्त लक्ष्मणप्रसादजी रामके ध्यानमें बैठ गये। शङ्खध्वनिकी प्रतिध्वनि सुनकर बाघ और सिंह भाग गये। यवन सिपाहियोंने उनको निर्दयतापूर्वक पीटना आरम्भ किया, भगवान्‌के विग्रहपर प्रहार किया। भक्तराजने विनम्रतासे कहा कि 'मुझे पीट सकते हो, पर भगवान्की प्रतिमापर हाथ नहीं लगा सकते।' वे भयानक वनकी एक गुफामें प्रवेश करके एक, दो, तीन, नौ सिंह निकालकर कहने लगे कि जितने चाहो, उतने मिल सकते हैं।' यवनोंने पैर पकड़कर क्षमा माँगी।
संवत् 1996 में नर्मदा तटपर हथसोरा ग्रामके सत्रिकट
रामघाटपर प्राण त्यागकर वे साकेत धाम चले गये।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt pandit lakshmanaprasaadajee vavele]- Bhaktmaal


pandit lakshmanaprasaadajee bhagavaan ke poore bhakt the. unake jeevanakee alaukik aur rahasyapoorn ghatanaaonse unakee dridha़ bhakti aur eeshvarachintanaka pata chalata hai. ve bhagavaan raamake mahaan bhakt the. unaka janm sanvat 1938 vio men jhaansee janapadake taalavahat naamak nagaramen pan0 parashuraam vaveleke ghar hua thaa. baalyakaalase hee unaka man bhagavadbhaktimen lagata thaa. akaalagrast honepar unake maataa-pitaane bada़auda graamamen apana sthaayee nivaas bana liyaa. lakshmanaprasaadajeepar sooradaas naamak ek saadhuke satsangaka bada़a prabhaav pada़a thaa. athaarah saalakee avasthaamen hathanora graamake pandit jagamaabhajee kee kanyaase unaka vivaah ho gayaa. vivaahake thoda़e samayake baad maataa-pitaaka dehaant ho jaanepar grihastheeka bhaar unhonke kandhonpar a pada़aa.

unakee aarthik sthiti achchhee naheen thee, dina-ke din ve parivaarasahit bhookhe hee rah jaate the. bhagavaanpar poornaroopase nirbhar the, ataev kiseese ek paisa bhee maangana svaabhimaanake viruddh samajhate the. is dainyapoorn sthitimen bhee bhagavaan shreeraamake bhajana-poojan aur chintanamen kisee bhee din antar n pada़aa. isee beechamen unakee gaayen kaaneehaaus chalee garyo, das rupaya dand lagaa; rupaya kahaanse aaye isee chintaamen unakee patnee doobane-utaraane lagee. annapoorna naamak ek pada़osinase das rupaye udhaaralekar ve gaayonko chhuda़aane raayasen gaye, par beechamen hee ek saadhumandaleese bhent ho gayee. unhonne rupayonka saadhuonkee sevaamen sadupayog kar kaaneehaausake karmachaareese gaayonko nihshulk chhoda़ denekee baat kahee. karmachaareene aashcharyachakit hokar kaha ki 'aap to abhee-abhee kuchh der pahale gaayonko chhuda़aakar le gaye hain.' usane praatipatr (raseeda) dikhaaya bhane ghar jaakar gaayonko daanamen de diyaa. prabhu svayan gaayonko chhuda़aane gaye the, isase kitana kasht hua pandit lakshmanaprasaadajeeko.

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sanvat 1996 men narmada tatapar hathasora graamake satrikata
raamaghaatapar praan tyaagakar ve saaket dhaam chale gaye.

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