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भक्त श्रीकबुभाईजी की मार्मिक कथा
भक्त श्रीकबुभाईजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त श्रीकबुभाईजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त श्रीकबुभाईजी]- भक्तमाल


भक्त श्रीकबुभाईजी महाराजका जन्म संवत् 1944 वि0 वैशाख कृष्ण त्रयोदशीको गुजरातके पारडी ग्राममें आत्मनिष्ठ वैष्णव आत्मारामजीके पर हुआ था। उनकी माताका नाम धनकुंवरबाई था। बचपनसे ही कबुभाईका मन त्याग और वैराग्यमें ही रस लेता था। वे देवी गुणसम्पन्न थे। शिक्षा-दीक्षा समाप्त करनेके बाद वे पारडीसे जीविकाकी दृष्टिसे बम्बई चले आये। सोलीमिटर- आफिसमें उनको एक अच्छा-सा काम मिल गया। पुण्यचरित पुरुषका जीवन तो सदा भगवान्के ही चरणपङ्कजमें समर्पित रहता है। मायासे तो वे बहुत दूर रहते हैं। यही दशा भक्त बुभाईको थी। उनका मन नौकरीमें कम लगने लगा, वे सोनापुर (मरपट) में बैठकर देहको विनश्वरता और संसारकी असारताका चिन्तन किया करते एवं भगवान् से सत्य और भक्तिका वरदान माँगा करते थे।

उन्होंने श्रीनर-नारायण मन्दिरमें श्रीजादवजी महाराजके सत्सङ्गमें जाना आरम्भ किया। श्रीमहाराजको कबुभाईपर बड़ी कृपा रहती थी। वे उनके प्रति पूर्ण प्रेमभाव रखते थे। धीरे-धीरे मित्रोंके अनुरोधसे कबुभाई अपने घरपर ही बैठकर सत्सङ्ग कराने लगे। भक्तिविषयक प्रवचनऔर भगवच्चिन्तनमें उनका मन पूर्णरूपसे अनुरक्त हो उठा। पर साथ-ही-साथ जादवजी महाराजके सत्सङ्गमें वे नियमपूर्वक नित्य जाते थे। धीरे-धीरे उनकी ख्याति चारों ओर बढ़ने लगी और सत्सङ्गमें नित्य तीन-चार सौ व्यक्ति आने लगे। कितना धन्य जीवन था भक्त कबुभाईका ! अपना कल्याण तो उन्होंने किया ही; साथ-ही-साथ सहस्रों प्राणियोंको प्रभुके चरणारविन्द मकरन्दका अनुराग बना दिया। सत्सङ्ग ही उनका तप था, प्रभुका गुणगान ही उनका साधन था, भजन और पूजन था। भीड़से ऊबकर भक्त कबुभाईने मौन और एकान्त व्रतका नियम लिया। वे परमात्माके चिन्तनमें लीन रहने लगे। केवल पाँच-सात मिनटके लिये भक्तों और शिष्योंको दर्शन देनेके लिये बाहर निकलते थे।

उन्होंने संवत् 1992 वि0 में आश्विन कृष्णा एकादशीको परम धामकी यात्रा की। उनके सत्सङ्गकी परम्परा उनके सुयोग्य पुत्र बालभक्त श्रीनवनीतभाईजीद्वारा अब भी चल रही है। संत कबुभाई सीधे-सादे भक्त और तपोनिष्ठ संत थे, वे आत्मानन्दी और भजनानन्दी दोनों थे। उनका जीवन परम पवित्र और धन्य था ।



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bhakt shreekabubhaaeejee mahaaraajaka janm sanvat 1944 vi0 vaishaakh krishn trayodasheeko gujaraatake paaradee graamamen aatmanishth vaishnav aatmaaraamajeeke par hua thaa. unakee maataaka naam dhanakunvarabaaee thaa. bachapanase hee kabubhaaeeka man tyaag aur vairaagyamen hee ras leta thaa. ve devee gunasampann the. shikshaa-deeksha samaapt karaneke baad ve paaradeese jeevikaakee drishtise bambaee chale aaye. soleemitara- aaphisamen unako ek achchhaa-sa kaam mil gayaa. punyacharit purushaka jeevan to sada bhagavaanke hee charanapankajamen samarpit rahata hai. maayaase to ve bahut door rahate hain. yahee dasha bhakt bubhaaeeko thee. unaka man naukareemen kam lagane laga, ve sonaapur (marapata) men baithakar dehako vinashvarata aur sansaarakee asaarataaka chintan kiya karate evan bhagavaan se saty aur bhaktika varadaan maanga karate the.

unhonne shreenara-naaraayan mandiramen shreejaadavajee mahaaraajake satsangamen jaana aarambh kiyaa. shreemahaaraajako kabubhaaeepar bada़ee kripa rahatee thee. ve unake prati poorn premabhaav rakhate the. dheere-dheere mitronke anurodhase kabubhaaee apane gharapar hee baithakar satsang karaane lage. bhaktivishayak pravachanaaur bhagavachchintanamen unaka man poornaroopase anurakt ho uthaa. par saatha-hee-saath jaadavajee mahaaraajake satsangamen ve niyamapoorvak nity jaate the. dheere-dheere unakee khyaati chaaron or baढ़ne lagee aur satsangamen nity teena-chaar sau vyakti aane lage. kitana dhany jeevan tha bhakt kabubhaaeeka ! apana kalyaan to unhonne kiya hee; saatha-hee-saath sahasron praaniyonko prabhuke charanaaravind makarandaka anuraag bana diyaa. satsang hee unaka tap tha, prabhuka gunagaan hee unaka saadhan tha, bhajan aur poojan thaa. bheeda़se oobakar bhakt kabubhaaeene maun aur ekaant vrataka niyam liyaa. ve paramaatmaake chintanamen leen rahane lage. keval paancha-saat minatake liye bhakton aur shishyonko darshan deneke liye baahar nikalate the.

unhonne sanvat 1992 vi0 men aashvin krishna ekaadasheeko param dhaamakee yaatra kee. unake satsangakee parampara unake suyogy putr baalabhakt shreenavaneetabhaaeejeedvaara ab bhee chal rahee hai. sant kabubhaaee seedhe-saade bhakt aur taponishth sant the, ve aatmaanandee aur bhajanaanandee donon the. unaka jeevan param pavitr aur dhany tha .

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