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'नारायण'-नाम-स्मरणके सम्बन्धमें महामनाका अनुभव

प्रातःस्मरणीय पूज्यपाद महामना श्रीमालवीयजीसे मेरा परिचय लगभग सन् १९०६ से था। उस समय मैं कलकत्तामें रहता था। वे जब-जब वहाँ पधारते, तब-तब मैं उनके दर्शन करता। मुझपर आरम्भसे अन्ततक उनकी परम कृपा रही और वह उत्तरोत्तर बढ़ती गयी। उनके साथ कुटुम्बका-सा सम्बन्ध हो गया था। वे मुझको अपना एक पुत्र समझने लगे और मैं उन्हें परम आदरणीय पितासे भी बढ़कर मानता था। इस नाते मैं उन्हें 'पण्डितजी' न कहकर सदा 'बाबूजी' ही कहता। वे एक बार गोरखपुर पधारे थे और मेरे पास ही दो-तीन दिन ठहरे थे। उनके पधारनेके दूसरे दिन प्रातः काल मैं उनके चरणोंमें बैठा था। वे अकेले ही थे। बड़े स्नेहसे बोले –'भैया! मैं तुम्हें आज एक दुर्लभ तथा बहुमूल्य वस्तु देना चाहता हूँ। मैंने इसको अपनी मातासे वरदानके रूपमें प्राप्त किया था। बड़ी अद्भुत वस्तु है। किसीको आजतक नहीं दी, तुमको दे रहा हूँ। देखने में चीज छोटी-सी दीखेगी, पर है महान् वरदानरूप।' इस प्रकार प्रायः आध घण्टेतक वे उस वस्तुकी महत्तापर बोलते गये। मेरी जिज्ञासा बढ़ती गयी। मैंने आतुरतासे कहा-'बाबूजी! जल्दी दीजिये, कोई आ जायेंगे।'

तब वे बोले-'लगभग चालीस वर्ष पहलेकी बात है। एक दिन मैं अपनी माताजीके पास गया और बड़ी विनयके साथ मैंने उनसे यह वरदान माँगा कि मुझे आप ऐसा वरदान दीजिये, जिससे मैं कहीं भी जाऊँ, सफलता प्राप्त करूँ।'

माताजीने स्नेहसे मेरे सिरपर हाथ रखा और कहा- 'बच्चा! बड़ी दुर्लभ चीज दे रही हूँ। तुम जब कहीं भी जाओ, तब जानेके समय 'नारायण नारायण' उच्चारण कर लिया करो। तुम सदा सफल होओगे।' मैंने श्रद्धापूर्वक सिर चढ़ाकर माताजीसे मन्त्र ले लिया। हनुमानप्रसाद! मुझे स्मरण है, तबसे अबतक मैं जब-जब चलते समय 'नारायण नारायण' उच्चारण करना भूला हूँ, तब-तब असफल हुआ हूँ। नहीं तो मेरे जीवनमें- चलते समय 'नारायण नारायण' उच्चारण कर लेनेके प्रभावसे कभी असफलता नहीं मिली। आज यह महामन्त्र - मेरी माताकी दी हुई परम दुर्लभ वस्तु तुम्हें दे रहा हूँ। तुम इससे लाभ उठाना।'

यों कहकर महामना गद्गद हो गये। मैंने उनका वरदान सिर चढ़ाकर स्वीकार किया और इससे बड़ालाभ उठाया।

[श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार ]



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'naaraayana'-naama-smaranake sambandhamen mahaamanaaka anubhava

praatahsmaraneey poojyapaad mahaamana shreemaalaveeyajeese mera parichay lagabhag san 1906 se thaa. us samay main kalakattaamen rahata thaa. ve jaba-jab vahaan padhaarate, taba-tab main unake darshan karataa. mujhapar aarambhase antatak unakee param kripa rahee aur vah uttarottar badha़tee gayee. unake saath kutumbakaa-sa sambandh ho gaya thaa. ve mujhako apana ek putr samajhane lage aur main unhen param aadaraneey pitaase bhee badha़kar maanata thaa. is naate main unhen 'panditajee' n kahakar sada 'baaboojee' hee kahataa. ve ek baar gorakhapur padhaare the aur mere paas hee do-teen din thahare the. unake padhaaraneke doosare din praatah kaal main unake charanonmen baitha thaa. ve akele hee the. bada़e snehase bole –'bhaiyaa! main tumhen aaj ek durlabh tatha bahumooly vastu dena chaahata hoon. mainne isako apanee maataase varadaanake roopamen praapt kiya thaa. bada़ee adbhut vastu hai. kiseeko aajatak naheen dee, tumako de raha hoon. dekhane men cheej chhotee-see deekhegee, par hai mahaan varadaanaroopa.' is prakaar praayah aadh ghantetak ve us vastukee mahattaapar bolate gaye. meree jijnaasa badha़tee gayee. mainne aaturataase kahaa-'baaboojee! jaldee deejiye, koee a jaayenge.'

tab ve bole-'lagabhag chaalees varsh pahalekee baat hai. ek din main apanee maataajeeke paas gaya aur bada़ee vinayake saath mainne unase yah varadaan maanga ki mujhe aap aisa varadaan deejiye, jisase main kaheen bhee jaaoon, saphalata praapt karoon.'

maataajeene snehase mere sirapar haath rakha aur kahaa- 'bachchaa! bada़ee durlabh cheej de rahee hoon. tum jab kaheen bhee jaao, tab jaaneke samay 'naaraayan naaraayana' uchchaaran kar liya karo. tum sada saphal hooge.' mainne shraddhaapoorvak sir chadha़aakar maataajeese mantr le liyaa. hanumaanaprasaada! mujhe smaran hai, tabase abatak main jaba-jab chalate samay 'naaraayan naaraayana' uchchaaran karana bhoola hoon, taba-tab asaphal hua hoon. naheen to mere jeevanamen- chalate samay 'naaraayan naaraayana' uchchaaran kar leneke prabhaavase kabhee asaphalata naheen milee. aaj yah mahaamantr - meree maataakee dee huee param durlabh vastu tumhen de raha hoon. tum isase laabh uthaanaa.'

yon kahakar mahaamana gadgad ho gaye. mainne unaka varadaan sir chadha़aakar sveekaar kiya aur isase bada़aalaabh uthaayaa.

[shreehanumaanaprasaadajee poddaar ]

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