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गायत्री मन्त्रका चमत्कार

डीसानिवासी श्रीमाली ब्राह्मण श्रीरामेश्वरजी बड़े ईमानदार और सत्यप्रतिष्ठ व्यक्ति हैं। वे डीसा पंचायत समितिमें क्लर्क हैं, उन्हें रिश्वतसे अत्यन्त घृणा है। अतएव उनके साथी-संगी तथा चपरासी उनसे प्रायः असन्तुष्ट रहते थे। अवसर पाकर लोगोंने उनका पत्ता काटनेका इरादा किया।

एक स्थानीय व्यापारीने लोगोंकी साँठ-गाँठसे एक दिन पाँच रुपयेका नोट उनकी फाइलमें डाल दिया। कुछ देर बाद ही पुलिसद्वारा श्रीरामेश्वरजीको गिरफ्तार कर लिया गया। न्यायालयने भी उन्हें दोषी करार देकर नौकरीसे पृथक् कर दिया। यह सारा कार्य इस नाटकीय ढंगसे किया गया कि श्रीरामेश्वरजी आत्मग्लानिके सिवा कुछ भी न कर सके।

करीब छः मास पश्चात् श्रीरामेश्वरजी भीनमाल (श्रीमाल) आये। वहाँ वे त्र्यम्बक सरोवरके आश्रयमें विराजित श्रीहरिनारायणाचार्य नामक सन्तके सम्पर्कमें आये और उन्होंने अपनेपर बीती हुई समस्त दुःखद घटना उनको बतायी। श्रीमहाराजने उन्हें गायत्री मन्त्रका जप करनेकी सलाह दी। श्रीरामेश्वरजीने भी महाराजकेवचनोंका पालनकर बड़ी श्रद्धाके साथ भगवतीकी शरणमें अपनेको लगा दिया और नित्य जप करना आरम्भ किया।

पाँच ही दिनोंके पश्चात् अचानक उक्त व्यापारी उनके पास आकर गिड़गिड़ाने लगा - 'महाराज ! मुझे क्षमा करें। मैंने ही आपको धोखा दिया है। आपकी नौकरी छूटनेका कारण मैं ही हूँ। मैंने पाँचका नोट अमुक-अमुक व्यक्तियोंके सिखानेसे आपकी फाइलमें छिपा दिया था। इस पापके परिणामस्वरूप मेरी पत्नीका देहान्त हो गया है, घरमें चोरी हो गयी है, व्यापार ठप हो गया है और मैं गृहकलहसे परेशान हूँ । स्वप्नमें त्रिशूलधारिणी देवी मुझे सदा डराती रहती है। मैं झाड़े झपटेसे परेशान हूँ, मेरी रक्षा करें। मुझे अपने कृत्यपर पश्चात्ताप है।'

T श्रीरामेश्वरजीने उसे ये सारी-सही बातें मैजिस्ट्रेटके समक्ष कहनेको कहा। व्यापारीने न्यायाधीशके समक्ष सारी बातें स्वीकार कीं और तब श्रीरामेश्वरजीको पुनः बहाल कर दिया गया। आज वे पुनः आनन्दपूर्वक गायत्री माँकी कृपासे अपना कार्य कर रहे हैं।
[ श्रीराजेन्द्रसिंहजी रायजादा ]



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gaayatree mantraka chamatkaara

deesaanivaasee shreemaalee braahman shreeraameshvarajee bada़e eemaanadaar aur satyapratishth vyakti hain. ve deesa panchaayat samitimen klark hain, unhen rishvatase atyant ghrina hai. ataev unake saathee-sangee tatha chaparaasee unase praayah asantusht rahate the. avasar paakar logonne unaka patta kaataneka iraada kiyaa.

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paanch hee dinonke pashchaat achaanak ukt vyaapaaree unake paas aakar gida़gida़aane laga - 'mahaaraaj ! mujhe kshama karen. mainne hee aapako dhokha diya hai. aapakee naukaree chhootaneka kaaran main hee hoon. mainne paanchaka not amuka-amuk vyaktiyonke sikhaanese aapakee phaailamen chhipa diya thaa. is paapake parinaamasvaroop meree patneeka dehaant ho gaya hai, gharamen choree ho gayee hai, vyaapaar thap ho gaya hai aur main grihakalahase pareshaan hoon . svapnamen trishooladhaarinee devee mujhe sada daraatee rahatee hai. main jhaada़e jhapatese pareshaan hoon, meree raksha karen. mujhe apane krityapar pashchaattaap hai.'

T shreeraameshvarajeene use ye saaree-sahee baaten maijistretake samaksh kahaneko kahaa. vyaapaareene nyaayaadheeshake samaksh saaree baaten sveekaar keen aur tab shreeraameshvarajeeko punah bahaal kar diya gayaa. aaj ve punah aanandapoorvak gaayatree maankee kripaase apana kaary kar rahe hain.
[ shreeraajendrasinhajee raayajaada ]

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