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प्रभुकी इच्छा

मैं राजस्थानके एक राजकीय महाविद्यालयमें सह आचार्यके रूपमें कार्यरत हूँ। एक दिन कॉलेजमें फुरसतके क्षणोंमें एक महिला सहकर्मीसे बातचीत हो रही थी। बातों ही बातोंमें उन्होंने अपने जीवनकी एक घटना बतलायी, जिससे मंगलमय प्रभुका हर कार्य मंगलमय है - यह बात मेरे मानसमें और भी दृढ़ हो गयी।

उन्होंने बतलाया कि स्नातकोत्तर परीक्षामें उनके बहुत अच्छे अंक आये थे। परिश्रम भी उन्होंने बहुत किया था। परीक्षाफल अनुकूल था। उन्हीं दिनों बैंकके क्लर्कके रिक्त पदोंकी विज्ञप्ति निकली। उन्होंने उसका फार्म भर दिया और जुट गयीं जी-जानसे उसकी तैयारी करनेमें। परीक्षाफल आया तो घोर निराशा हुई। आशाके विपरीत वे अनुत्तीर्ण थीं। पहले तो उन्हें विश्वास ही न हुआ। उन्हें काफी दुःख हुआ- क्या मैं इस लायक भी नहीं? अवसादकी-सी स्थिति हो गयी थी उनकी।फिर महीने - दो महीने बाद कॉलेज-व्याख्याताके रिक्त पदोंकी विज्ञप्ति प्रकाशित हुई। उन्होंने फिरसे नये सिरेसे तैयारी शुरू की। प्रथम प्रयासमें ही उनका चयन हो गया। आज वे कॉलेज-व्याख्याताके पदपर कार्यरत हैं। अपने सन्तोषी स्वभावको देखते हुए वे स्वयं बतलाती हैं कि यदि बैंकक्लर्ककी नौकरीमें सफल हो जातीं तो फिर वे वहीं रह जातीं और इस पदतक नहीं आ पातीं। उन्होंने कहा कि ये तो प्रभुकी इच्छा ही है कि मुझे यहाँतक पहुँचानेके लिये मेरे ईमानदार प्रयासके बाद भी उन्होंने मुझे बैंककी उस परीक्षामें असफल कर दिया। प्रभुकी इच्छाका पता कार्य पूर्ण होनेपर ही हो पाता है। उनके इस अनुभवसे फिर एक बार मेरा विश्वास दृढ़ हो गया कि ईमानदार प्रयास करते जाओ। प्रभु सदा श्रेष्ठ ही करेंगे।

[ डॉ० श्रीमती अरुणाजी ]



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prabhukee ichchhaa

main raajasthaanake ek raajakeey mahaavidyaalayamen sah aachaaryake roopamen kaaryarat hoon. ek din kaॉlejamen phurasatake kshanonmen ek mahila sahakarmeese baatacheet ho rahee thee. baaton hee baatonmen unhonne apane jeevanakee ek ghatana batalaayee, jisase mangalamay prabhuka har kaary mangalamay hai - yah baat mere maanasamen aur bhee dridha़ ho gayee.

unhonne batalaaya ki snaatakottar pareekshaamen unake bahut achchhe ank aaye the. parishram bhee unhonne bahut kiya thaa. pareekshaaphal anukool thaa. unheen dinon bainkake klarkake rikt padonkee vijnapti nikalee. unhonne usaka phaarm bhar diya aur jut gayeen jee-jaanase usakee taiyaaree karanemen. pareekshaaphal aaya to ghor niraasha huee. aashaake vipareet ve anutteern theen. pahale to unhen vishvaas hee n huaa. unhen kaaphee duhkh huaa- kya main is laayak bhee naheen? avasaadakee-see sthiti ho gayee thee unakee.phir maheene - do maheene baad kaॉleja-vyaakhyaataake rikt padonkee vijnapti prakaashit huee. unhonne phirase naye sirese taiyaaree shuroo kee. pratham prayaasamen hee unaka chayan ho gayaa. aaj ve kaॉleja-vyaakhyaataake padapar kaaryarat hain. apane santoshee svabhaavako dekhate hue ve svayan batalaatee hain ki yadi bainkaklarkakee naukareemen saphal ho jaateen to phir ve vaheen rah jaateen aur is padatak naheen a paateen. unhonne kaha ki ye to prabhukee ichchha hee hai ki mujhe yahaantak pahunchaaneke liye mere eemaanadaar prayaasake baad bhee unhonne mujhe bainkakee us pareekshaamen asaphal kar diyaa. prabhukee ichchhaaka pata kaary poorn honepar hee ho paata hai. unake is anubhavase phir ek baar mera vishvaas dridha़ ho gaya ki eemaanadaar prayaas karate jaao. prabhu sada shreshth hee karenge.

[ daॉ0 shreematee arunaajee ]

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