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विष्णुसहस्त्रनामके पाठका चमत्कार

यह घटना मेरे एक मित्रके पिताजीसे सम्बन्धित है। उनकी विष्णुसहस्रनाममें अपार श्रद्धा थी। करीब १७-१८ वर्षकी उम्र में प्रवेशिका परीक्षा प्रथम श्रेणीमें उत्तीर्ण करनेके बाद कोई काम न मिलनेके कारण वे घरपर ही रहने लगे। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी तथा नौकरी भी नहीं मिल रही थी। संयोगसे उनके कुलगुरुका आगमन हुआ। कुलगुरु अच्छे विद्वान् और भक्त थे, इनका प्रेम देखकर उन्होंने विष्णुसहस्रनामकी पुस्तक दी तथा नियमित पाठ करनेका आदेश दिया। कुछ ही दिन पाठ करनेके बाद इन्हें एक छोटी-सी जीविका मिल गयी। धीरे-धीरे अपनी योग्यता बढ़ाते हुए वे गयाके एक उच्च विद्यालय में शिक्षक बन गये। वे विष्णुसहस्त्रनामका नियमित पाठ करते तथा पुस्तकको सदैव अपने पास रखे रहते थे।

यह घटना उनकी सेवानिवृत्तिके बादकी है तथा १५-२० वर्ष पुरानी है। उनका आवास गयाके मानपुर मुहल्लेमें है। गया तथा मानपुरके बीचमें फल्गु नदी बहती है। वहाँ सवारी गाड़ियोंके लिये पुल बना हुआ है। पुलके दोनों ओर पैदल चलनेवालोंके लिये करीब तीन फीट चौड़ा रास्ता बना हुआ है, जो सीमेन्टकी लगभग दो फीट चौड़ी पटरियोंसे ढँका हुआ है। पुलकीऊँचाई नदीसे लगभग बीस फीट है। पुल अत्यन्त पुराना है, पैदल मार्गकी एक पटरी टूट जानेसे वहाँ खाली जगह बन गयी थी। लोग बहुत सँभलकर आते-जाते थे, मेरे मित्रके पिताजीकी दृष्टि कुछ कमजोर हो गयी थी। एक दिन गया जाते समय उसी टूटी पटरीसे वे नदीमें गिर पड़े; यह देखकर पुलसे गुजरनेवाले लोग चिल्लाने लगे। वर्षाका मौसम था, नदी भी उफन रही थी। किसीका साहस उन्हें बाहर निकालनेका नहीं हुआ। उन्हें अच्छी तरह तैरना भी नहीं आता था। ईश्वरकी कृपासे किसी प्रकार अर्धचेतन अवस्थामें वे किनारे लगे, तब लोगोंने बाहर निकाला। पूरी चेतना लौटनेपर सर्वप्रथम उन्होंने विष्णुसहस्रनामकी खोज की, अन्य कागजातोंके साथ वह पुस्तक ऊपरी पॉकेटमें रखी हुई थी। लोगोंने आश्चर्यसे देखा कि अन्य कागजात तो पूरी तरह भींग गये हैं, वस्त्रोंसे जल बह रहा है, कुछ कागज वह भी गये हैं, लेकिन विष्णुसहस्त्रनामकी पुस्तक पूरी तरह सुरक्षित है, उसे जलका स्पर्श भी नहीं हुआ है। मेरे मित्रके पिताजीने लोगोंको बताया कि विष्णुसहस्रनामने ही उनके प्राणोंकी रक्षा की है। इस घटनासे अन्य लोगों में भी विष्णुसहस्रनामके प्रति बड़ी श्रद्धा जगी

[ श्रीरामउत्साहजी पाण्डेय ]



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vishnusahastranaamake paathaka chamatkaara

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[ shreeraamautsaahajee paandey ]

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