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आत्मज्ञान आवश्यक  [हिन्दी कहानी]
Moral Story - Short Story (हिन्दी कहानी)

आत्मज्ञान आवश्यक

मनुष्यको एक पंख उग आया-विज्ञानका पंख उसने जोर लगाया और आकाशमें उड़ गया। पर अब वह मुक्त और शान्त नहीं था। उसे चारों ओरसे जटिलताकी आँधियोंने सताना प्रारम्भ कर दिया।
मनुष्य बहुत घबराया। प्रार्थना की कि हे 'प्रभो! कैसे संकटमें डाल दिया? इससे तो अच्छा था कि हमें जन्म ही न देते।' आकाशको चीरती हुई काल-पुरुषकी आवाज आयी - 'वत्स! आत्मज्ञानका एक पंख और उगा। भीतरवाली चेतनाका भी विकास कर। वही संतुलन पैदा कर सकेगी।'



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aatmajnaan aavashyaka

aatmajnaan aavashyaka

manushyako ek pankh ug aayaa-vijnaanaka pankh usane jor lagaaya aur aakaashamen uda़ gayaa. par ab vah mukt aur shaant naheen thaa. use chaaron orase jatilataakee aandhiyonne sataana praarambh kar diyaa.
manushy bahut ghabaraayaa. praarthana kee ki he 'prabho! kaise sankatamen daal diyaa? isase to achchha tha ki hamen janm hee n dete.' aakaashako cheeratee huee kaala-purushakee aavaaj aayee - 'vatsa! aatmajnaanaka ek pankh aur ugaa. bheetaravaalee chetanaaka bhee vikaas kara. vahee santulan paida kar sakegee.'

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