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विलक्षण क्षमा  [Moral Story]
Wisdom Story - Story To Read (Spiritual Story)

स्वामी उग्रानन्दजी बहुत अच्छे संत थे। बड़े सहिष्णु तथा सर्वत्र भगवद्बुद्धि रखनेवाले थे। एक बार आप उन्नाव जिलेके किसी ग्राममें पहुँचे। संध्या हो गयी थी। आप ब्रह्मानन्दकी मस्तीमें निमग्र एक पेड़के तले गुदड़ी बिछाकर लेट गये। रात्रिमें उसी गाँव में किसी किसानके बैलको चोर चुराकर ले गये । गाँवमें थोड़ी देर बाद ही हल्ला मचा और सबने कहा कि 'चलो, बैलोंको ढूँढ़ें, कहीं चोर जाता हुआ मिल ही जायगा।' ऐसा विचार करके बहुत-से गाँववाले लाठी ले-लेकर बैलको ढूँढने निकले। ढूँढ़ते-ढूँढ़ते वे उस जगहपर आये, जहाँ स्वामीजी पेड़के नीचे सो रहे थे। उनमेंसे एक आदमीको स्वामीजी दिखायी दिये। उसने सबको पास बुलाकर कहा कि 'लो, चोरका पता तो लग गया। देखो! यह जो पेड़के नीचे पड़ा हुआ है इसके साथी तो बैल आगे लेकर भाग गये हैं और यह यहीं रह गया है।' यों कहकर उन सबने स्वामीजीको चोर समझकर पकड़ लिया, उनकी गुदड़ी छीन ली और सबने मिलकर उन्हें खूब मारा। किंतु स्वामीजी बिलकुल शान्त रहे और कुछ भी नहीं बोले। पिटते-पिटते स्वामीजीके मुखसे खूनतक बहने लगा। फिर वे उन्हें बाँधकर गाँवमें ले आये और उन्हें किसी चौपाल पर ले जाकर एक कोठरीमें बंद करके डाल।दिया। जब प्रातः काल हुआ तब सबने उन्हें उस कोठरीमेंसे निकाला और पकड़कर उन्हें थानेमें ले जाने लगे। थानेदार स्वामीजीको अच्छी तरहसे जानता था और वह स्वामीजीका बड़ा प्रेमी था। जब गाँववाले उन्हें लेकर वहाँ पहुँचे तब थानेदारने दूरसे उन्हें देख लिया। वह कुर्सी छोड़कर भागा हुआ वहाँ आया और स्वामीजीके पैरोंमें पड़कर उसने प्रणाम किया। थानेदारको प्रणाम करते देखकर गाँववाले बहुत घबराये कि यह क्या बात है। थानेदारने सिपाहियोंको बुलाकर कहा कि 'मारो इन दुष्टोंको, ये स्वामीजीको क्यों पकड़कर लाये हैं।' किसानलोग थर-थर काँपने लगे। जब सिपाही उन्हें पकड़ने चले तब स्वामीजीने उन्हें ऐसा करनेसे रोका और फिर थानेदारसे कहा कि 'देख, तू मेरा प्रेमी है तो तू इन्हें कुछ भी दण्ड न दे और इन्हें छोड़ दे तथा सबको मिठाई मँगवाकर खिला।' थानेदारने बहुत-कुछ कहा, परंतु स्वामीजी नहीं माने। उन्होंने थानेदारसे मिठाई मँगवाकर उन्हें खिलवायी और तब लौट जानेकी आज्ञा दी। थानेदार यह देखकर दंग - रह गया और बोला कि 'ऐसा महात्मा तो आजतक । कभी नहीं देखा।'

स्वामीजीके साथ ऐसी घटना और भी एक बार हुई थी।



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vilakshan kshamaa

svaamee ugraanandajee bahut achchhe sant the. bada़e sahishnu tatha sarvatr bhagavadbuddhi rakhanevaale the. ek baar aap unnaav jileke kisee graamamen pahunche. sandhya ho gayee thee. aap brahmaanandakee masteemen nimagr ek peड़ke tale gudada़ee bichhaakar let gaye. raatrimen usee gaanv men kisee kisaanake bailako chor churaakar le gaye . gaanvamen thoda़ee der baad hee halla macha aur sabane kaha ki 'chalo, bailonko dhoondha़en, kaheen chor jaata hua mil hee jaayagaa.' aisa vichaar karake bahuta-se gaanvavaale laathee le-lekar bailako dhoondhane nikale. dhoonढ़te-dhoonढ़te ve us jagahapar aaye, jahaan svaameejee peda़ke neeche so rahe the. unamense ek aadameeko svaameejee dikhaayee diye. usane sabako paas bulaakar kaha ki 'lo, choraka pata to lag gayaa. dekho! yah jo peड़ke neeche pada़a hua hai isake saathee to bail aage lekar bhaag gaye hain aur yah yaheen rah gaya hai.' yon kahakar un sabane svaameejeeko chor samajhakar pakada़ liya, unakee gudada़ee chheen lee aur sabane milakar unhen khoob maaraa. kintu svaameejee bilakul shaant rahe aur kuchh bhee naheen bole. pitate-pitate svaameejeeke mukhase khoonatak bahane lagaa. phir ve unhen baandhakar gaanvamen le aaye aur unhen kisee chaupaal par le jaakar ek kothareemen band karake daala.diyaa. jab praatah kaal hua tab sabane unhen us kothareemense nikaala aur pakada़kar unhen thaanemen le jaane lage. thaanedaar svaameejeeko achchhee tarahase jaanata tha aur vah svaameejeeka bada़a premee thaa. jab gaanvavaale unhen lekar vahaan pahunche tab thaanedaarane doorase unhen dekh liyaa. vah kursee chhoda़kar bhaaga hua vahaan aaya aur svaameejeeke paironmen pada़kar usane pranaam kiyaa. thaanedaarako pranaam karate dekhakar gaanvavaale bahut ghabaraaye ki yah kya baat hai. thaanedaarane sipaahiyonko bulaakar kaha ki 'maaro in dushtonko, ye svaameejeeko kyon pakada़kar laaye hain.' kisaanalog thara-thar kaanpane lage. jab sipaahee unhen pakada़ne chale tab svaameejeene unhen aisa karanese roka aur phir thaanedaarase kaha ki 'dekh, too mera premee hai to too inhen kuchh bhee dand n de aur inhen chhoda़ de tatha sabako mithaaee mangavaakar khilaa.' thaanedaarane bahuta-kuchh kaha, parantu svaameejee naheen maane. unhonne thaanedaarase mithaaee mangavaakar unhen khilavaayee aur tab laut jaanekee aajna dee. thaanedaar yah dekhakar dang - rah gaya aur bola ki 'aisa mahaatma to aajatak . kabhee naheen dekhaa.'

svaameejeeke saath aisee ghatana aur bhee ek baar huee thee.

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