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गोरक्षासे टी०बी० रोगका नाश

कुछ समय पहलेकी बात है। सौराष्ट्रके एक गाँवमें एक छोटा-सा अहीरकुटुम्ब रहता था। कुटुम्बमें पुरुष, स्त्री और उनका एक अठारह सालका लड़का था। मेहनत-मजदूरी करके वे जीविका चलाते थे। लड़केकी सगाई चार कोस दूर एक गाँवमें हुई थी। अगले वर्षविवाह होनेवाला था। इसी बीच लड़केके पिताका देहावसान हो गया। दुर्भाग्य केवल यहाँतक ही नहीं रहा। लड़केको टी०बी० की बीमारी हो गयी। पहलवान जैसा शरीर दिन-प्रतिदिन सूखने लगा। उस समय आज जैसा इलाजका साधन नहीं था; फिर वह तो छोटा-सगाँव था। ऐसी स्थिति भी नहीं थी कि किसी बड़े शहर में ले जाकर विधवा माँ अपने बेटेका इलाज करवाती। वह लड़के के जीवनसे निराश-सी हो गयी। इधर लड़कीवालोंने भी विवाह करनेसे इनकार कर दिया। बेचारी विधवाका तो संसार ही उजड़-सा गया।

ईश्वरकी लीला विचित्र है। बरसात के दिन थे। लड़का रातको एक किसानके खेतमें रखवाली करने गया था। सबेरा होनेपर घरकी तरफ लौटते समय उसने रास्तेमें देखा कि एक गौ खड्डेके कीचड़में बुरी तरह फँसी पड़ी है। गौ बड़ी कमजोर थी और दो दिनकी भूखी-प्यासी थी। बाहर निकलनेका प्रयत्न करनेमें इतना थक चुकी थी कि उसके मरनेकी ही तैयारी थी। गौको इस दशामें देखकर लड़केका हृदय दयासे भर गया। उसने अपनी बीमारी तथा कमजोरीकी चिन्ता छोड़कर सोचा- 'इस हालतमें मौतके मुँहमें जाती हुई गौमाताको मैं छोड़ जाऊँगा तो मनुष्य कहलानेलायक भी नहीं रहूँगा ।' उसने गौको बाहर निकालनेका मन-ही-मन निश्चय किया और प्रतिज्ञा की कि 'जबतक गौ न निकलेगी, तबतक मैं अन्न-जल ग्रहण नहीं करूँगा।' वह खेतपर वापस जाकर एक मजबूत रस्सा लाया और आगेसे गौको बाँधकर खींचने लगा, पर यह उसके अकेलेके वशका काम नहीं था। इतनेमें उधरसे एक आदमी जा रहा था, उसको मददके लिये बुलाया। उसने पीछेसे पूँछ पकड़कर गौको उठानेकी कोशिश की।आधा घंटातक पूरा परिश्रम करनेके बाद वे किसी तरह गौको बाहर निकाल सके, परंतु गौ इतनी कमजोर हो गयी थी कि उसमें हिलने-डुलनेतककी शक्ति नहीं रह गयी थी। लड़केने घास लाकर उसे खिलाया, जल पिलाया, फिर गाँवसे गुड़ लाकर दिया। इतनी सेवाके बाद शामतक गौ खड़ी हो सकी। गौके मालिकका पता नहीं लगा, अतः लड़का उस गौको अपने घर ले आया। इसके बाद उसने अन्न-जल ग्रहण किया।

माता-पुत्रने गौकी खूब सेवा की। गौ तन्दुरुस्त हो गयी। समयपर ब्यायी और माता-पुत्रको उसने अमृत सा दूध पिलाया। यह तो सेवाका प्रत्यक्ष फल मिला।

तदनन्तर एक रात्रिको लड़केने स्वप्नमें देखा-'एक अति तेजस्वी पुरुष लड़केके सिरपर हाथ रखकर यह आशीर्वाद दे रहे हैं कि तुमने गौके जीवनकी रक्षा की थी, इससे तुमपर भगवान् बहुत ही प्रसन्न हुए हैं। भगवान्की कृपासे तुम्हारी बीमारी तुरंत मिट जायगी और दूसरा भी कोई कष्ट होगा तो वह सब भी भगवान्की कृपासे दूर हो जायगा। इतना कहकर वे महापुरुष अन्तर्धान हो गये।'

लड़केकी नींद खुल गयी। उसने सब बातें माँको सुनायीं। गौ-सेवाके फलस्वरूप लड़केका टी०बी० रोग नष्ट हो गया। उसे अच्छे वेतनपर शहरमें काम मिल गया। जिन लड़कीवालोंने विवाह करनेसे पहले इनकार कर दिया था, उन्होंने स्वयं अनुरोध करके विवाह कर | दिया। परिवार सुखी हो गया।
[ श्रीजादवजी खेराजभाई ठकर ]



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gorakshaase tee0bee0 rogaka naasha

kuchh samay pahalekee baat hai. sauraashtrake ek gaanvamen ek chhotaa-sa aheerakutumb rahata thaa. kutumbamen purush, stree aur unaka ek athaarah saalaka lada़ka thaa. mehanata-majadooree karake ve jeevika chalaate the. lada़kekee sagaaee chaar kos door ek gaanvamen huee thee. agale varshavivaah honevaala thaa. isee beech lada़keke pitaaka dehaavasaan ho gayaa. durbhaagy keval yahaantak hee naheen rahaa. lada़keko tee0bee0 kee beemaaree ho gayee. pahalavaan jaisa shareer dina-pratidin sookhane lagaa. us samay aaj jaisa ilaajaka saadhan naheen thaa; phir vah to chhotaa-sagaanv thaa. aisee sthiti bhee naheen thee ki kisee bada़e shahar men le jaakar vidhava maan apane beteka ilaaj karavaatee. vah lada़ke ke jeevanase niraasha-see ho gayee. idhar lada़keevaalonne bhee vivaah karanese inakaar kar diyaa. bechaaree vidhavaaka to sansaar hee ujada़-sa gayaa.

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maataa-putrane gaukee khoob seva kee. gau tandurust ho gayee. samayapar byaayee aur maataa-putrako usane amrit sa doodh pilaayaa. yah to sevaaka pratyaksh phal milaa.

tadanantar ek raatriko lada़kene svapnamen dekhaa-'ek ati tejasvee purush lada़keke sirapar haath rakhakar yah aasheervaad de rahe hain ki tumane gauke jeevanakee raksha kee thee, isase tumapar bhagavaan bahut hee prasann hue hain. bhagavaankee kripaase tumhaaree beemaaree turant mit jaayagee aur doosara bhee koee kasht hoga to vah sab bhee bhagavaankee kripaase door ho jaayagaa. itana kahakar ve mahaapurush antardhaan ho gaye.'

lada़kekee neend khul gayee. usane sab baaten maanko sunaayeen. gau-sevaake phalasvaroop lada़keka tee0bee0 rog nasht ho gayaa. use achchhe vetanapar shaharamen kaam mil gayaa. jin lada़keevaalonne vivaah karanese pahale inakaar kar diya tha, unhonne svayan anurodh karake vivaah kar | diyaa. parivaar sukhee ho gayaa.
[ shreejaadavajee kheraajabhaaee thakar ]

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श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
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रसिया को नार बनावो री रसिया को
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
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फिर डरने की क्या बात है
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हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
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