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नवार्णमन्त्रके प्रभावसे जीवन-रक्षा

घटना जून १९७० ई० की है। मेरा २२ वर्षीय छोटा भाई एक प्राइवेट कम्पनीमें ट्रक ड्राइवर था। प्रतिदिनकी तरह एक रातको जब वह अपने कार्यपरसे काफी देरसे लौटा तो बोल नहीं पा रहा था। पूछनेपर संकेतसे पता चला कि उसका गला बन्द हो गया है। मैंने कुछ घरेलू उपचारोंके बाद स्थानीय डॉक्टर, हकीम तथा वैद्यराजको बुलाया। सबने भिन्न-भिन्न रायें दीं। डॉक्टरने कहा कि इसने किसी विषैली वस्तुका सेवन कर लिया है। परंतु ऐसा कुछ नहीं था। मैंने उस समय कोई अन्य उपचार आरम्भ न करके एक चम्मच बादाम दूधमें मिलाकर पिलाया तो वह उस रातको सो सका।

दूसरे दिन विशेषज्ञोंने गलेका फोड़ा बताया और ऑपरेशनकी राय दी। मैंने उसकी कम्पनीके मालिकको फोन किया; उन्होंने अपने पारिवारिक चिकित्सकके औषधालयमें उसे भरती करवा दिया। विशेष परीक्षण और एक सप्ताह के उपचारके बाद भी जब उसके कष्टमें थोड़ा भी अन्तर न पड़ा तो सारा परिवार व्याकुल हो उठा और लड़का भी नलीकी सहायतासे खुराक देने तथा एक दिनमें कई-कई इंजेक्शनोंके लगानेसे परेशान हो उठा । अन्तमें ग्लूकोज और ऑक्सीजनकी राय भी दी गयी। मैं परिवारवालोंको धैर्य रखाता हुआ भी स्वयं अपना धैर्य खो बैठा था। अन्तमें वहाँके उपचारसे निराश हो डॉक्टरसे निदान तथा उपचारसम्बन्धी विवरण लेकर अमृतसर ले जानेके लिये प्रस्तुत हो गया। परंतु इस अवधिमें मैं स्वयं उसके पास बैठकर नवार्ण मन्त्र( ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) - का जप करता एवं प्रतिदिन देवीका चरणामृत उसे पिलाता रहा। साथ ही भगवती जगदम्बासे उसके जीवनकी रक्षाके लिये आर्तभावसे मूक प्रार्थना भी करता रहा।

अपने पूर्वनिश्चयानुसार पूर्णरूपेण भगवतीका आश्रय लेकर तथा उन्हींका स्मरण करता हुआ मैं उसे साथ में लेकर अमृतसर रवाना हो गया। हम लोग अभी जालन्धरतक ही पहुँचे थे कि मेरे भाईने सन्तरोंकी दुकान देखकर प्यास लगनेका संकेत किया। मेरा मानसिक जप तो चल ही रहा था। माँका भरोसा रखकर दो गिलास सन्तरेका रस निकलवाया और रास्तेमें उसे थोड़ा-थोड़ा करके पिला दिया। अमृतसर जाकर जब विशेषज्ञोंसे उसकी जाँच करवायी तो उन्होंने पूर्ण स्वस्थ होनेका निर्णय सुनाया। मेरे हर्षकी कोई सीमा न रही। शामको उसे खिचड़ीका भोजन दिया गया। उसका रुका हुआ कण्ठ अब खुल गया था। बोलनेमें भी उसे अब कोई कठिनाई न थी । मेरा चिन्तातुर परिवार भी, जो अबतक अमृतसर पहुँच चुका था, प्रसन्नतासे सहसा खिल उठा। भगवतीकी अनुकम्पासे हम सब लोग हँसते हुए घर वापस लौट आये। उसके बाद फिर कभी उसे इस प्रकारका कष्ट नहीं हुआ।

हमारे परिवारके लिये देवीकी कृपा और इस चमत्कारिक मन्त्रके अद्भुत प्रभावका यह संस्मरण सदा चिरस्मरणीय तथा प्रेरक बना रहेगा।

[ श्रीसन्ध्याप्रकाशजी वासिष्ठ ]



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navaarnamantrake prabhaavase jeevana-rakshaa

ghatana joon 1970 ee0 kee hai. mera 22 varsheey chhota bhaaee ek praaivet kampaneemen trak draaivar thaa. pratidinakee tarah ek raatako jab vah apane kaaryaparase kaaphee derase lauta to bol naheen pa raha thaa. poochhanepar sanketase pata chala ki usaka gala band ho gaya hai. mainne kuchh ghareloo upachaaronke baad sthaaneey daॉktar, hakeem tatha vaidyaraajako bulaayaa. sabane bhinna-bhinn raayen deen. daॉktarane kaha ki isane kisee vishailee vastuka sevan kar liya hai. parantu aisa kuchh naheen thaa. mainne us samay koee any upachaar aarambh n karake ek chammach baadaam doodhamen milaakar pilaaya to vah us raatako so sakaa.

doosare din visheshajnonne galeka phoda़a bataaya aur ऑpareshanakee raay dee. mainne usakee kampaneeke maalikako phon kiyaa; unhonne apane paarivaarik chikitsakake aushadhaalayamen use bharatee karava diyaa. vishesh pareekshan aur ek saptaah ke upachaarake baad bhee jab usake kashtamen thoda़a bhee antar n pada़a to saara parivaar vyaakul ho utha aur lada़ka bhee naleekee sahaayataase khuraak dene tatha ek dinamen kaee-kaee injekshanonke lagaanese pareshaan ho utha . antamen glookoj aur ऑkseejanakee raay bhee dee gayee. main parivaaravaalonko dhairy rakhaata hua bhee svayan apana dhairy kho baitha thaa. antamen vahaanke upachaarase niraash ho daॉktarase nidaan tatha upachaarasambandhee vivaran lekar amritasar le jaaneke liye prastut ho gayaa. parantu is avadhimen main svayan usake paas baithakar navaarn mantra( oM ain hreen kleen chaamundaayai vichche) - ka jap karata evan pratidin deveeka charanaamrit use pilaata rahaa. saath hee bhagavatee jagadambaase usake jeevanakee rakshaake liye aartabhaavase mook praarthana bhee karata rahaa.

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hamaare parivaarake liye deveekee kripa aur is chamatkaarik mantrake adbhut prabhaavaka yah sansmaran sada chirasmaraneey tatha prerak bana rahegaa.

[ shreesandhyaaprakaashajee vaasishth ]

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