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भागवतका अद्भुत अनुष्ठान और उसका फल

दण्डी आश्रमके प्रधान स्वामी महादेवा श्रमजी (१८८७-१९८३ ई०)-के पूर्वाश्रमके विद्यागुरु मथुरा निवासी श्रीदीक्षित पण्डित बड़े धुरन्धर व्याकरणाचार्य तथा वेद, वेदांग एवं षड्दर्शनोंके महान् आचार्य थे। पण्डितजी अतिसात्त्विक वैष्णव भी थे।

जिस दिन उनको शालग्राम प्राप्त हुए, उस दिन उन्होंने भगवान्‌को पंचामृत से स्नान करवाया, परंतु फिर जीवनपर्यन्त किसी महापर्वमें भी स्नान नहीं कराया। लोगोंके पूछनेपर कहते -आठ अरब चौंसठ करोड़ मानवीय वर्षोंके बराबर ब्रह्माजीका एक दिन होता है तथा विष्णुजीकी एक घटी (२४ मिनट) होती है। एक हजार ब्रह्माके बाद विष्णुजीका एक दिन होता है। इसके बाद भगवान्‌को स्नान कराना चाहिये।

एक बार पण्डितजीने भागवत सप्ताह बहुत कठिन रूपसे किया। विधि-विधानसे शालग्रामका पूजन करके भागवतका पाठ आरम्भ किया। एक चौकीपर भागवत, दूसरीपर सिंहासनसहित शालग्रामजी पधराये। एक श्लोक पढ़कर भगवानूपर एक तुलसीदल चढ़ाकर चौकीकी चार परिक्रमा करके प्रणामकर दूसरा श्लोक आरम्भ करते थे। इस विधिसे पण्डितजीने स्वान्तः सुखाय सम्पूर्ण भागवतका अनुष्ठान किया। साधारण रीतिसे तो भागवतके अनेक सप्ताह पाठ किये।

एक दिन नागलोकसे एक नाग ब्राह्मण बालकका रूप धारण करके पण्डितजीके पास व्याकरण पढ़ने आया। पण्डितजीने उसे लघुसिद्धान्तकौमुदी, मध्य सिद्धान्तकौमुदी, सिद्धान्तकौमुदी, अष्टाध्यायीमहाभाष्य, वार्तिक, कैय्यर टीकासहित पढ़ाया। वह बालक अन्य विद्यार्थियोंकी अपेक्षा तुरंत प्रयोगसहित सब सुना देता था। उसकी इस मेधाशक्तिको देखकर गुरुजी तथा सहपाठी बहुत आश्चर्यचकित हुए। विद्या पूर्ण होनेपर उसने विधिवत् गुरु-पूजन करके एक महामूल्यवान् नागमणि दक्षिणामें दी। उस नागमणिसे चन्द्रवत् किरणें निकल रही थीं। इतना ही नहीं वह बालक दक्षिणा देकर ५ फणोंवाले नागके रूपमें परिणत होकर लुप्त हो गया

[ स्वामी श्रीशिवबोधाश्रमजी ]



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bhaagavataka adbhut anushthaan aur usaka phala

dandee aashramake pradhaan svaamee mahaadeva shramajee (1887-1983 ee0)-ke poorvaashramake vidyaaguru mathura nivaasee shreedeekshit pandit bada़e dhurandhar vyaakaranaachaary tatha ved, vedaang evan shaddarshanonke mahaan aachaary the. panditajee atisaattvik vaishnav bhee the.

jis din unako shaalagraam praapt hue, us din unhonne bhagavaan‌ko panchaamrit se snaan karavaaya, parantu phir jeevanaparyant kisee mahaaparvamen bhee snaan naheen karaayaa. logonke poochhanepar kahate -aath arab chaunsath karoda़ maanaveey varshonke baraabar brahmaajeeka ek din hota hai tatha vishnujeekee ek ghatee (24 minata) hotee hai. ek hajaar brahmaake baad vishnujeeka ek din hota hai. isake baad bhagavaan‌ko snaan karaana chaahiye.

ek baar panditajeene bhaagavat saptaah bahut kathin roopase kiyaa. vidhi-vidhaanase shaalagraamaka poojan karake bhaagavataka paath aarambh kiyaa. ek chaukeepar bhaagavat, doosareepar sinhaasanasahit shaalagraamajee padharaaye. ek shlok padha़kar bhagavaanoopar ek tulaseedal chadha़aakar chaukeekee chaar parikrama karake pranaamakar doosara shlok aarambh karate the. is vidhise panditajeene svaantah sukhaay sampoorn bhaagavataka anushthaan kiyaa. saadhaaran reetise to bhaagavatake anek saptaah paath kiye.

ek din naagalokase ek naag braahman baalakaka roop dhaaran karake panditajeeke paas vyaakaran padha़ne aayaa. panditajeene use laghusiddhaantakaumudee, madhy siddhaantakaumudee, siddhaantakaumudee, ashtaadhyaayeemahaabhaashy, vaartik, kaiyyar teekaasahit padha़aayaa. vah baalak any vidyaarthiyonkee apeksha turant prayogasahit sab suna deta thaa. usakee is medhaashaktiko dekhakar gurujee tatha sahapaathee bahut aashcharyachakit hue. vidya poorn honepar usane vidhivat guru-poojan karake ek mahaamoolyavaan naagamani dakshinaamen dee. us naagamanise chandravat kiranen nikal rahee theen. itana hee naheen vah baalak dakshina dekar 5 phanonvaale naagake roopamen parinat hokar lupt ho gaya

[ svaamee shreeshivabodhaashramajee ]

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