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व्रजका वह गाड़ीवान

मैं रिटायर्ड बैंक-प्रबन्धक हूँ और इस समय मेरी आयु ७३ वर्ष है। घटना वर्ष १९६७ ई० की है, जब मैं कक्षा ९ का विद्यार्थी था, उम्र थी १४ वर्ष। कॉलेजमें हमारे हिन्दी विषयके अध्यापक श्रीशिवदत्त चतुर्वेदीजी थे। हिन्दीकी कक्षामें सूरदासके पदोंमें कृष्णका गोकुलसे मथुरा जानेका भावार्थ समझाते हुए वे इतने भाव-विभोर हो जाते कि हमारे मस्तिष्कमें कृष्ण एवं मथुरा-गोकुलके दृश्य दृष्टिगत होने लगते। जिसका प्रभाव यह हुआ कि मथुरा-गोकुल जाकर भगवान् कृष्णके दर्शन करनेकी इच्छा मेरे बालमनमें बलवती हो गयी।

शामको घर आनेपर मैंने बड़ोंसे पूछा कि मथुरा कहाँ है? उन लोगोंने बताया कि यहाँ (इटावा) से १८० कि०मी० दूर है, सीधी बस जाती है और किराया ३ रुपया सवारी है। अब तो कृष्ण और उनका व्रज ही अहर्निश मेरी आँखोंके सामने घूमता रहता। किसी प्रकार उस वर्षकी पढ़ाई पूरी की। मईमें वार्षिक परीक्षाफल लेनेके पश्चात् मैंने अपने से ३ वर्ष बड़े भाईको साथमें मथुरा चलनेहेतु राजी कर लिया, परंतु घरवालोंने उम्र कम होनेके कारण जानेको मना कर दिया। पर बादमें हमारे हठके कारण हमारे ताऊजी राजी हो गये एवं चलते समय १०-१० रुपये भी दिये। हम लोगोंके पास ५-५ रुपये पहलेसे ही थे।

मथुरा पहुँचकर एक दिन मथुरा घूमा एवं रात्रि विश्राम एक निःशुल्क धर्मशालामें जमीनपर लेटकर किया, दूसरे दिन गोकुल जाने हेतु धर्मशालाके प्रबन्धकने बताया कि कच्ची सड़क होकर ताँगा जाता है, जो काफी घूमकर जाता है। तुम लोग लड़के हो, कदम्बवन होकर सीधेपैदल निकल जाओ, ज्यादा दूर नहीं है। हम दोनों भाई कदम्बवन होकर पैदल जा रहे थे, हमारी निगाह जमीनपर न होकर कदम्बके वृक्षोंपर थी, शायद कहीं पीले वस्त्रों कृष्ण किसी डालपर बैठे हों, परंतु ऐसा नहीं हुआ।

लगभग ४-५ कि०मी० पैदल चलनेके पश्चात् यमुना नदी तो आ गयी, परंतु यमुनामें पानी इतना अधिक था कि उसे पैदल पारकर गोकुल पहुँचना असम्भव था। एक स्थानीय व्यक्तिने बताया कि आप लोग गलत जगह आ गये हो, यहाँसे १ कि०मी० आगे यमुनाके किनारे घाट है; वहाँ पानी कम है, पैदल निकल जाओगे।

मईका महीना और पैदल चलनेकी थकान; यमुनाजीका जल पीकर एक कदम्बकी छाँवमें बैठ गया, लगभग ५ मिनट बाद बैलोंके गलेमें बँधे घुंघरुओं-जैसी आवाज सुनायी दी, कुछ ही क्षणमें एक बैलगाड़ी आकर पासमें रुकी, गाड़ीवानने पूछा कहाँ जाना है? मैंने कहा- गोकुल जाना है, यमुना पार करनी है। गाड़ीवान बोला—गाड़ीमें बैठो। हम दोनों भाई बैलगाड़ी में बैठकर यमुना पार हो गये, गाड़ीसे उतरकर गोकुलके मन्दिरोंकी ओर चल दिये, आधा मिनट बाद मुड़कर पीछे देखा, आश्चर्य! आसपास कोई बैलगाड़ी नहीं थी। हम कृष्णको कदम्बके वृक्षोंमें तलाश रहे थे, परंतु मिले यमुना किनारे गाड़ीवानके वेशमें, हमारे प्राण विह्वल हो गये। किशोर आयुकी यह अविस्मरणीय घटना थी, जिसने हमारे जीवनकी दिशा एवं दशा बदल दी एवं अभी भी मैं आशान्वित हूँ कि पुनः कभी किसी वेशमें दर्शन होंगे. राधे-राधे !

[ श्रीअनिलजी द्विवेदी ]



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vrajaka vah gaada़eevaana

main ritaayard bainka-prabandhak hoon aur is samay meree aayu 73 varsh hai. ghatana varsh 1967 ee0 kee hai, jab main kaksha 9 ka vidyaarthee tha, umr thee 14 varsha. kaॉlejamen hamaare hindee vishayake adhyaapak shreeshivadatt chaturvedeejee the. hindeekee kakshaamen sooradaasake padonmen krishnaka gokulase mathura jaaneka bhaavaarth samajhaate hue ve itane bhaava-vibhor ho jaate ki hamaare mastishkamen krishn evan mathuraa-gokulake drishy drishtigat hone lagate. jisaka prabhaav yah hua ki mathuraa-gokul jaakar bhagavaan krishnake darshan karanekee ichchha mere baalamanamen balavatee ho gayee.

shaamako ghar aanepar mainne bada़onse poochha ki mathura kahaan hai? un logonne bataaya ki yahaan (itaavaa) se 180 ki0mee0 door hai, seedhee bas jaatee hai aur kiraaya 3 rupaya savaaree hai. ab to krishn aur unaka vraj hee aharnish meree aankhonke saamane ghoomata rahataa. kisee prakaar us varshakee padha़aaee pooree kee. maeemen vaarshik pareekshaaphal leneke pashchaat mainne apane se 3 varsh bada़e bhaaeeko saathamen mathura chalanehetu raajee kar liya, parantu gharavaalonne umr kam honeke kaaran jaaneko mana kar diyaa. par baadamen hamaare hathake kaaran hamaare taaoojee raajee ho gaye evan chalate samay 10-10 rupaye bhee diye. ham logonke paas 5-5 rupaye pahalese hee the.

mathura pahunchakar ek din mathura ghooma evan raatri vishraam ek nihshulk dharmashaalaamen jameenapar letakar kiya, doosare din gokul jaane hetu dharmashaalaake prabandhakane bataaya ki kachchee sada़k hokar taanga jaata hai, jo kaaphee ghoomakar jaata hai. tum log lada़ke ho, kadambavan hokar seedhepaidal nikal jaao, jyaada door naheen hai. ham donon bhaaee kadambavan hokar paidal ja rahe the, hamaaree nigaah jameenapar n hokar kadambake vrikshonpar thee, shaayad kaheen peele vastron krishn kisee daalapar baithe hon, parantu aisa naheen huaa.

lagabhag 4-5 ki0mee0 paidal chalaneke pashchaat yamuna nadee to a gayee, parantu yamunaamen paanee itana adhik tha ki use paidal paarakar gokul pahunchana asambhav thaa. ek sthaaneey vyaktine bataaya ki aap log galat jagah a gaye ho, yahaanse 1 ki0mee0 aage yamunaake kinaare ghaat hai; vahaan paanee kam hai, paidal nikal jaaoge.

maeeka maheena aur paidal chalanekee thakaana; yamunaajeeka jal peekar ek kadambakee chhaanvamen baith gaya, lagabhag 5 minat baad bailonke galemen bandhe ghungharuon-jaisee aavaaj sunaayee dee, kuchh hee kshanamen ek bailagaada़ee aakar paasamen rukee, gaada़eevaanane poochha kahaan jaana hai? mainne kahaa- gokul jaana hai, yamuna paar karanee hai. gaada़eevaan bolaa—gaada़eemen baitho. ham donon bhaaee bailagaada़ee men baithakar yamuna paar ho gaye, gaada़eese utarakar gokulake mandironkee or chal diye, aadha minat baad muda़kar peechhe dekha, aashcharya! aasapaas koee bailagaada़ee naheen thee. ham krishnako kadambake vrikshonmen talaash rahe the, parantu mile yamuna kinaare gaaड़eevaanake veshamen, hamaare praan vihval ho gaye. kishor aayukee yah avismaraneey ghatana thee, jisane hamaare jeevanakee disha evan dasha badal dee evan abhee bhee main aashaanvit hoon ki punah kabhee kisee veshamen darshan honge. raadhe-raadhe !

[ shreeanilajee dvivedee ]

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