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निन्दा और प्रशंसाका नतीजा  [प्रेरक कथा]
Moral Story - आध्यात्मिक कहानी (बोध कथा)

(6) निन्दा और प्रशंसाका नतीजा

जैन सन्त उमास्वामीके पास एक व्यक्ति बड़ी जिज्ञासाके साथ पहुँचा। तब सन्तजी किसी ग्रन्थकी रचनायें मग्न थे। वह व्यक्ति चुपचाप उनके सामने बैठ गया। सन्तजीने कुछ देर बाद सिर ऊपर उठाया, तो सामने बैठे व्यक्तिसे पूछा—'कहो, क्यों आये हो? मुझसे क्या चाहते हो ?"
उसने कहा- 'महाराज! यदि कोई व्यक्ति अपनी प्रशंसाके पुल बाँधता है और दूसरोंके दोष गिनाते हुएउनकी निन्दा करता है, तो उसे क्या फल मिलता है ?' सन्त उमास्वामीने कहा-'शास्त्रोंके अनुसार ऐसा व्यक्ति जीवनभर अपने शत्रुओंकी संख्या बढ़ाता है और कष्ट भोगता है।'
उस व्यक्तिने फिर प्रश्न किया-'और, जो व्यक्ति दूसरोंकी प्रशंसा करता है, उसे क्या फल मिलता है ?"
सन्तजीने कहा-'दूसरोंकी प्रशंसा करनेवाला मधुर वाणीके कारण मित्र पैदा करता है। वह अपने लिये हितचिन्तक पैदा करता है। उसके मित्र और हितचिन्तक उसकी सहायताके लिये सदैव तत्पर रहते हैं। ऐसा व्यक्ति हमेशा सुखी रहता है। '



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ninda aur prashansaaka nateejaa

(6) ninda aur prashansaaka nateejaa

jain sant umaasvaameeke paas ek vyakti bada़ee jijnaasaake saath pahunchaa. tab santajee kisee granthakee rachanaayen magn the. vah vyakti chupachaap unake saamane baith gayaa. santajeene kuchh der baad sir oopar uthaaya, to saamane baithe vyaktise poochhaa—'kaho, kyon aaye ho? mujhase kya chaahate ho ?"
usane kahaa- 'mahaaraaja! yadi koee vyakti apanee prashansaake pul baandhata hai aur doosaronke dosh ginaate hueunakee ninda karata hai, to use kya phal milata hai ?' sant umaasvaameene kahaa-'shaastronke anusaar aisa vyakti jeevanabhar apane shatruonkee sankhya badha़aata hai aur kasht bhogata hai.'
us vyaktine phir prashn kiyaa-'aur, jo vyakti doosaronkee prashansa karata hai, use kya phal milata hai ?"
santajeene kahaa-'doosaronkee prashansa karanevaala madhur vaaneeke kaaran mitr paida karata hai. vah apane liye hitachintak paida karata hai. usake mitr aur hitachintak usakee sahaayataake liye sadaiv tatpar rahate hain. aisa vyakti hamesha sukhee rahata hai. '

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Kahta Khel Naseebo Ka
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
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दुखियाँ नू सता के की लैणा
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