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नैतिक सामाजिकता  [Spiritual Story]
आध्यात्मिक कहानी - Hindi Story (Spiritual Story)

[3]

नैतिक सामाजिकता

एक फटे हाल महिला घायल अवस्थामें सड़कके किनारे पड़ी हुई कराह रही थी। पासमें उसका अबोध शिशु लेटा था। वह भूखके मारे रो रहा था। महिलामें इतनी शक्ति भी नहीं थी कि वह अपने शिशुको गोदमें लेकर सम्हाल सके। अनेक लोग उस मार्गसे आ-जा रहे थे। वे क्षणभरको रुकते, महिलाकी स्थिति देखकर अपनी प्रतिक्रिया देते और चल देते। लगभग सभीकी यही राय थी कि पता नहीं यह कौन है? यदि इसकी मदद करने गये तो पुलिसको जवाब देना पड़ेगा। अचानक वहाँसे एक बग्घी गुजरी। उस महिला की कराह सुनते ही बग्घी रुकी और एक व्यक्ति नीचे उतरा। उसने बिना कुछ कहे सुने उस महिला तथा उसके शिशुको उठाया और बग्घीमें बैठा दिया। अपने कोचवानको बोला कि 'बग्घी अस्पताल ले चलो।' कोचवानने कहा—'लेकिन, साहब! आपको जलसेमें जाना है, सभी आपका इन्तजार करते होंगे।' वह व्यक्ति बोला-'मेरे लिये मानव-सेवा जलसेसे बड़ी है।' कोचवान फिर नहीं बोला, बग्घी अस्पतालकी ओर मोड़ दी। अस्पतालमें महिलाको यथोचित उपचार दिया गया। जब महिला पूरी तरह चैतन्य हुई तो उस व्यक्तिने कुछ रुपये दिये और वापस आकर कोचवानसे कहा- 'अब जलसेमें चलो।' ये व्यक्ति थे—पण्डित मदनमोहन मालवीय। सार यह है कि किसी असहायकी सहायताको अपने अन्य सभी कार्योंसे अधिक वरीयता देना चाहिये। यह एक नैतिक सामाजिकता है, जो एक सुन्दर मानवीय समाजकी रचना है।



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naitik saamaajikataa

[3]

naitik saamaajikataa

ek phate haal mahila ghaayal avasthaamen sada़kake kinaare pada़ee huee karaah rahee thee. paasamen usaka abodh shishu leta thaa. vah bhookhake maare ro raha thaa. mahilaamen itanee shakti bhee naheen thee ki vah apane shishuko godamen lekar samhaal sake. anek log us maargase aa-ja rahe the. ve kshanabharako rukate, mahilaakee sthiti dekhakar apanee pratikriya dete aur chal dete. lagabhag sabheekee yahee raay thee ki pata naheen yah kaun hai? yadi isakee madad karane gaye to pulisako javaab dena pada़egaa. achaanak vahaanse ek bagghee gujaree. us mahila kee karaah sunate hee bagghee rukee aur ek vyakti neeche utaraa. usane bina kuchh kahe sune us mahila tatha usake shishuko uthaaya aur baggheemen baitha diyaa. apane kochavaanako bola ki 'bagghee aspataal le chalo.' kochavaanane kahaa—'lekin, saahaba! aapako jalasemen jaana hai, sabhee aapaka intajaar karate honge.' vah vyakti bolaa-'mere liye maanava-seva jalasese bada़ee hai.' kochavaan phir naheen bola, bagghee aspataalakee or moda़ dee. aspataalamen mahilaako yathochit upachaar diya gayaa. jab mahila pooree tarah chaitany huee to us vyaktine kuchh rupaye diye aur vaapas aakar kochavaanase kahaa- 'ab jalasemen chalo.' ye vyakti the—pandit madanamohan maalaveeya. saar yah hai ki kisee asahaayakee sahaayataako apane any sabhee kaaryonse adhik vareeyata dena chaahiye. yah ek naitik saamaajikata hai, jo ek sundar maanaveey samaajakee rachana hai.

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