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श्रीगोविन्द प्रभु की मार्मिक कथा
श्रीगोविन्द प्रभु की अधबुत कहानी - Full Story of श्रीगोविन्द प्रभु (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [श्रीगोविन्द प्रभु]- भक्तमाल


विक्रमी संवत् 1245 के लगभग विदर्भ (वर्तमान बरार) प्रदेशमें ऋद्धिपुर स्थानके समीप काठसुरे ग्राममें श्रीगोविन्द प्रभु उर्फ गुण्डम प्रभु या गुण्डोबाका जन्म हुआ था । ये काण्वशाखीय ब्राह्मण थे। बचपनमें इनके माता-पिता परलोकवासी हुए, तब इनकी मौसी इन्हें ऋद्धिपुर ले आयीं और यहीं इनका पालन-पोषण, उपनयन तथा विद्याध्ययन हुआ। इसी अवस्थामें इन्हें परमार्थसुखका चसका लगा और क्रमशः उस सुखानुभवकी वृद्धि होती गयी और ये सिद्ध | कोटिको प्राप्त हुए। ये भगवान् श्रीकृष्णके परम भक्त थे। | पण्ढरपुरके वारकरी भागवतपन्थके साथ-साथ या उससे कुछ पहले ही विदर्भ देशमें जो महानुभावपन्थ उदय हुआ था, उसके ये ही आद्य पुरुष थे। संवत् 1342 में ये समाधिस्थ हुए।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [shreegovind prabhu]- Bhaktmaal


vikramee sanvat 1245 ke lagabhag vidarbh (vartamaan baraara) pradeshamen riddhipur sthaanake sameep kaathasure graamamen shreegovind prabhu urph gundam prabhu ya gundobaaka janm hua tha . ye kaanvashaakheey braahman the. bachapanamen inake maataa-pita paralokavaasee hue, tab inakee mausee inhen riddhipur le aayeen aur yaheen inaka paalana-poshan, upanayan tatha vidyaadhyayan huaa. isee avasthaamen inhen paramaarthasukhaka chasaka laga aur kramashah us sukhaanubhavakee vriddhi hotee gayee aur ye siddh | kotiko praapt hue. ye bhagavaan shreekrishnake param bhakt the. | pandharapurake vaarakaree bhaagavatapanthake saatha-saath ya usase kuchh pahale hee vidarbh deshamen jo mahaanubhaavapanth uday hua tha, usake ye hee aady purush the. sanvat 1342 men ye samaadhisth hue.

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