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महाराज श्रीचतुरसिंहजी की मार्मिक कथा
महाराज श्रीचतुरसिंहजी की अधबुत कहानी - Full Story of महाराज श्रीचतुरसिंहजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महाराज श्रीचतुरसिंहजी]- भक्तमाल


महाराणा श्रीफतहसिंहजीके जेठे भाई श्रीसूरतसिंहजीके चौथे पुत्र महाराज चतुरसिंहजीका जन्म सं0 1936 वि0 माघकृष्ण चतुर्दशीको उदयपुरमें हुआ था। वंशपरम्परागत संस्कारोंके प्रभावसे ज्ञान, भक्ति और उपरामताकी ओर बचपनसे ही आपका झुकाव था। प्रज्ञा आपकी प्रखर थी। ब्रह्मसूत्र - शांकरभाष्य, रामानुजभाष्य, गीता, उपनिषद्, योगवासिष्ठ, पञ्चदशी, आत्मपुराण, विचारसागर, श्रीमद्भागवत, महाभारत आदि ग्रन्थोंका आपने बहुत उत्तम रीति से अनुशीलन किया था।

अट्ठाईस वर्षकी अवस्थामें आपकी धर्मपत्नीका स्वर्गवास हो गया और इसीके बाद आपके चित्तमें इस असार संसारके प्रति वैराग्य जागा। आप गुरुकी खोजमें निकले और नर्मदा किनारे कमलभारतीजीसे आपका परिचय हुआ। कमलभारतीजीने गुमानसिंहजीका नाम बतलाकर वहीं दीक्षा लेनेका आदेश किया।

आप अपने गुरुदेवकी सेवामें रहने लगे। गाँवके पास ही एक कच्ची कुटी बनाकर उसीमें भजन-साधनमें लगे रहते थे। कहते हैं इसी पर्णकुटीमें सं0 1978 वि0 पौष शुक्ला तृतीया रविवारको आपको आत्मसाक्षात्कार हुआ। आप योगविद्यामें बहुत पारङ्गत थे और किसीके भी मनकी बात अनायास ही जान लेते थे। आपने प्रत्येक धर्मके यथार्थ तत्त्वको समझनेके लिये उनके धर्मशास्त्रोंका सम्यक् रीतिसे अध्ययन किया तथा संतोंके सत्संगकिये। आपके लिखे सतरह ग्रन्थ मिलते हैं। आपके रचित कुछ दोहे यहाँ दिये जा रहे हैं-

यो संसार बिसार चित, ज्यों अबार यों करतार l

सँभार नित, ज्यों अबार संसार ||

राम रावरे नाममें, दो सूधे आखर तऊ,

यही आखर अनोखी बात। याद न आत ॥

जो टेरो तैं रामको, तो बेरो भवपारl

नाहित फेरो जगतको, परिहै बारंबार ॥

आपमें भक्त और योगी संतके प्रायः सभी लक्षण वर्तमान थे। 'संसारके प्रति घोर वैराग्य और भगवान्‌के प्रति अनन्य आत्मसमर्पण' यही आपके भक्त जीवनका मूलमन्त्र था। सं0 1986 वि0 को आषाढ़ कृष्णा नवमी प्रातःकालको नौ बजे आपने परम धामको प्रयाण किया। इसके गये कुछ ही पहले आप अपनी अलमस्तीमें यह कह

जगदीश्वर जीवाय दियो, थें ही थारो काम कियो ।

दरशण योग दिया कर दाया, मृत्तलोकमें अमर कियो ।

माँगूँ कहूँ, कई अब बाकी, अणमाँग्याँ ही अभय दियो।

आवारा कागद साथे ज्यँ, आखर पढताँ आय गियो ॥

मनख शरीर दियो थें मालक, सागे जनम सुधार दियो l

सोजा रा सोजा मारगने, शहजाही में शोध दियो ।

दया दृष्टि आँखाँ देखीने सब साधनसूँ दूर दियो ।

चातुर चोर चाकरी से पण आखर थें अपणाय लियो ll



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mahaaraana shreephatahasinhajeeke jethe bhaaee shreesooratasinhajeeke chauthe putr mahaaraaj chaturasinhajeeka janm san0 1936 vi0 maaghakrishn chaturdasheeko udayapuramen hua thaa. vanshaparamparaagat sanskaaronke prabhaavase jnaan, bhakti aur uparaamataakee or bachapanase hee aapaka jhukaav thaa. prajna aapakee prakhar thee. brahmasootr - shaankarabhaashy, raamaanujabhaashy, geeta, upanishad, yogavaasishth, panchadashee, aatmapuraan, vichaarasaagar, shreemadbhaagavat, mahaabhaarat aadi granthonka aapane bahut uttam reeti se anusheelan kiya thaa.

atthaaees varshakee avasthaamen aapakee dharmapatneeka svargavaas ho gaya aur iseeke baad aapake chittamen is asaar sansaarake prati vairaagy jaagaa. aap gurukee khojamen nikale aur narmada kinaare kamalabhaarateejeese aapaka parichay huaa. kamalabhaarateejeene gumaanasinhajeeka naam batalaakar vaheen deeksha leneka aadesh kiyaa.

aap apane gurudevakee sevaamen rahane lage. gaanvake paas hee ek kachchee kutee banaakar useemen bhajana-saadhanamen lage rahate the. kahate hain isee parnakuteemen san0 1978 vi0 paush shukla triteeya ravivaarako aapako aatmasaakshaatkaar huaa. aap yogavidyaamen bahut paarangat the aur kiseeke bhee manakee baat anaayaas hee jaan lete the. aapane pratyek dharmake yathaarth tattvako samajhaneke liye unake dharmashaastronka samyak reetise adhyayan kiya tatha santonke satsangakiye. aapake likhe satarah granth milate hain. aapake rachit kuchh dohe yahaan diye ja rahe hain-

yo sansaar bisaar chit, jyon abaar yon karataar l

sanbhaar nit, jyon abaar sansaar ||

raam raavare naamamen, do soodhe aakhar taoo,

yahee aakhar anokhee baata. yaad n aat ..

jo tero tain raamako, to bero bhavapaaral

naahit phero jagatako, parihai baaranbaar ..

aapamen bhakt aur yogee santake praayah sabhee lakshan vartamaan the. 'sansaarake prati ghor vairaagy aur bhagavaan‌ke prati anany aatmasamarpana' yahee aapake bhakt jeevanaka moolamantr thaa. san0 1986 vi0 ko aashaaढ़ krishna navamee praatahkaalako nau baje aapane param dhaamako prayaan kiyaa. isake gaye kuchh hee pahale aap apanee alamasteemen yah kaha

jagadeeshvar jeevaay diyo, then hee thaaro kaam kiyo .

darashan yog diya kar daaya, mrittalokamen amar kiyo .

maangoon kahoon, kaee ab baakee, anamaangyaan hee abhay diyo.

aavaara kaagad saathe jyan, aakhar padhataan aay giyo ..

manakh shareer diyo then maalak, saage janam sudhaar diyo l

soja ra soja maaragane, shahajaahee men shodh diyo .

daya drishti aankhaan dekheene sab saadhanasoon door diyo .

chaatur chor chaakaree se pan aakhar then apanaay liyo ll

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