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श्रीध्यानदासजी महाराज की मार्मिक कथा
श्रीध्यानदासजी महाराज की अधबुत कहानी - Full Story of श्रीध्यानदासजी महाराज (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [श्रीध्यानदासजी महाराज]- भक्तमाल


श्रीध्यानदासजी महाराजका जन्म मेवाड़के आमेट ग्राममें राजपूत जातिमें हुआ था । रामस्नेही सम्प्रदायके महात्मा श्रीरामचरणदासजी महाराजके शिष्य रामसेवकजीके द्वारा दीक्षित थे। वे प्रायः विदेहावस्थामें रहते थे। भगवान्‌के भजन और ध्यानमें ही रात-दिन लगे रहते थे। उन्होंने मौनव्रत लेकर उदयपुरके जगदीश मन्दिरके बाहर पत्थरके हाथीके पैरसे पीठ सटाकर बारह सालतक कड़ी तपस्या की। वे भगवान् श्रीरामके महान् भक्त थे। मेवाड़के महाराणा भीमसिंहजी उनका बड़ा सम्मान करते थे, उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति रखते थे। महाराणाने उनके रहनेके लिये तथा भजन-कीर्तनके लिये एक बहुत बड़ा 'रामद्वारा' बनवा दिया। उदयपुरके पिछोला तालाबकेजग-निवास महलमें एक दिन राणाने ध्यानदासजीके दर्शनकी इच्छा की। राणा उस समय उसी महलमें थे।

महात्मा ध्यानदासने तालाबपर जाजिम बिछवा दिया। वह कमलके पत्तेके समान जल-तलपर तैरने लगा। कुछ संतोंको साथ लेकर ध्यानदासजी जाजिमपर बैठ गये और जग-निवास महलमें पहुँच गये। महाराणा तथा उदयपुरके निवासी इस चमत्कारपूर्ण घटनासे आश्चर्यचकित हो उठे। उदयपुरमें कुछ दिनोंतक रहनेके बाद ध्यानदासजी महाराजने बीकानेर, कोटा आदि स्थानोंमें भ्रमण करके रामभक्तिका प्रचार किया। वे आदर्श त्यागी, सिद्ध वैरागी और महान् भक्त थे। दो सौ साल पहले उन्होंने समाधि ले ली।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [shreedhyaanadaasajee mahaaraaja]- Bhaktmaal


shreedhyaanadaasajee mahaaraajaka janm mevaada़ke aamet graamamen raajapoot jaatimen hua tha . raamasnehee sampradaayake mahaatma shreeraamacharanadaasajee mahaaraajake shishy raamasevakajeeke dvaara deekshit the. ve praayah videhaavasthaamen rahate the. bhagavaan‌ke bhajan aur dhyaanamen hee raata-din lage rahate the. unhonne maunavrat lekar udayapurake jagadeesh mandirake baahar pattharake haatheeke pairase peeth sataakar baarah saalatak kada़ee tapasya kee. ve bhagavaan shreeraamake mahaan bhakt the. mevaada़ke mahaaraana bheemasinhajee unaka bada़a sammaan karate the, unake prati shraddha aur bhakti rakhate the. mahaaraanaane unake rahaneke liye tatha bhajana-keertanake liye ek bahut bada़a 'raamadvaaraa' banava diyaa. udayapurake pichhola taalaabakejaga-nivaas mahalamen ek din raanaane dhyaanadaasajeeke darshanakee ichchha kee. raana us samay usee mahalamen the.

mahaatma dhyaanadaasane taalaabapar jaajim bichhava diyaa. vah kamalake patteke samaan jala-talapar tairane lagaa. kuchh santonko saath lekar dhyaanadaasajee jaajimapar baith gaye aur jaga-nivaas mahalamen pahunch gaye. mahaaraana tatha udayapurake nivaasee is chamatkaarapoorn ghatanaase aashcharyachakit ho uthe. udayapuramen kuchh dinontak rahaneke baad dhyaanadaasajee mahaaraajane beekaaner, kota aadi sthaanonmen bhraman karake raamabhaktika prachaar kiyaa. ve aadarsh tyaagee, siddh vairaagee aur mahaan bhakt the. do sau saal pahale unhonne samaadhi le lee.

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