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महात्मा रामसुखजी की मार्मिक कथा
महात्मा रामसुखजी की अधबुत कहानी - Full Story of महात्मा रामसुखजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महात्मा रामसुखजी]- भक्तमाल


महात्मा रामसुखजी महाराज उच्च कोटिके भगवद्भक्त थे। वे रामस्नेही सम्प्रदायके आचार्य रामचरणदासजी महाराजके शिष्य थे। उन्होंने ख्वास ग्राममें श्रावक वैश्यजातिमें जन्म लिया था। बाल्यकालसे ही भगवान्‌के प्रति प्रेमभाव था। संत और साधुओंकी सेवामें उनका मन बहुत लगता था। कुछ दिनोंके बाद उन्होंने शाहपुरा में रामचरणदासजी महाराजके दर्शन किये और दीक्षित होकर बारह सालतक नितान्त एकान्त स्थानमें घोर तपस्या की। धीरे-धीरे उनका वैराग्य, तप और त्यागपूर्ण जीवन अड़ोस-पड़ोसके लोगोंके लिये एक आकर्षक पदार्थ हो गया। वे तपस्याकी अवधिमें मौन-व्रती हो गये थे L

एक बार मरहठोंकी सेना एक जंगलसे जा रही थी कि उसने देखा एक पुरुष कुछ दूरपर बैठा है। रामसुखजी महाराज भजनमें लीन थे। भगवान्‌के ध्यानमें समाधिस्थ थे। सेनाके कुछ सैनिकोंने उन्हें ठग समझकरउनपर तलवारसे प्रहार किये, चौरासी वार निष्फल हो गये। अन्तमें सेनापतिने प्रहार किया, तब रामसुख - महाराजके शरीरसे दूध निकलने लगा। खून नाममात्रको भी न दीख पड़ा । सेनापतिने समस्त सेनासहित क्षमा माँगी। संतकी चरण-धूलि मस्तकपर चढ़ायी। एक समय उनके अड़ोस-पड़ोसके ग्रामोंके निवासी अकालसे आशङ्कित होकर मालवाकी ओर जानेकी तैयारी करने लगे। उन्होंने रामसुखजी महाराजका चरण-स्पर्श किया। संत उनकी मार्मिक वेदनासे पिघल उठे, उन्होंने लोगोंको घर छोड़कर बाहर जानेकी मनाही कर दी। कुछ ही समयके बाद भगवान्‌की कृपासे मूसलधार जलवृष्टि हुई ।

श्रीरामसुखजी महाराज बहुत बड़े त्यागी, भक्त और महात्मा थे। वे अपने पास एक फटा-पुराना कन्था और तूम्बा ही रखते थे। उन्होंने आजसे दो सौ साल पहले टोंक में नश्वर शरीर छोड़ दिया।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [mahaatma raamasukhajee]- Bhaktmaal


mahaatma raamasukhajee mahaaraaj uchch kotike bhagavadbhakt the. ve raamasnehee sampradaayake aachaary raamacharanadaasajee mahaaraajake shishy the. unhonne khvaas graamamen shraavak vaishyajaatimen janm liya thaa. baalyakaalase hee bhagavaan‌ke prati premabhaav thaa. sant aur saadhuonkee sevaamen unaka man bahut lagata thaa. kuchh dinonke baad unhonne shaahapura men raamacharanadaasajee mahaaraajake darshan kiye aur deekshit hokar baarah saalatak nitaant ekaant sthaanamen ghor tapasya kee. dheere-dheere unaka vairaagy, tap aur tyaagapoorn jeevan ada़osa-pada़osake logonke liye ek aakarshak padaarth ho gayaa. ve tapasyaakee avadhimen mauna-vratee ho gaye the L

ek baar marahathonkee sena ek jangalase ja rahee thee ki usane dekha ek purush kuchh doorapar baitha hai. raamasukhajee mahaaraaj bhajanamen leen the. bhagavaan‌ke dhyaanamen samaadhisth the. senaake kuchh sainikonne unhen thag samajhakaraunapar talavaarase prahaar kiye, chauraasee vaar nishphal ho gaye. antamen senaapatine prahaar kiya, tab raamasukh - mahaaraajake shareerase doodh nikalane lagaa. khoon naamamaatrako bhee n deekh pada़a . senaapatine samast senaasahit kshama maangee. santakee charana-dhooli mastakapar chadha़aayee. ek samay unake ada़osa-pada़osake graamonke nivaasee akaalase aashankit hokar maalavaakee or jaanekee taiyaaree karane lage. unhonne raamasukhajee mahaaraajaka charana-sparsh kiyaa. sant unakee maarmik vedanaase pighal uthe, unhonne logonko ghar chhoda़kar baahar jaanekee manaahee kar dee. kuchh hee samayake baad bhagavaan‌kee kripaase moosaladhaar jalavrishti huee .

shreeraamasukhajee mahaaraaj bahut bada़e tyaagee, bhakt aur mahaatma the. ve apane paas ek phataa-puraana kantha aur toomba hee rakhate the. unhonne aajase do sau saal pahale tonk men nashvar shareer chhoda़ diyaa.

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