⮪ All भगवान की कृपा Experiences

भगवत्कृपाके प्रत्यक्ष दर्शन

भगवत्कृपाका न नियत काल है, न नियत स्थान, वह तो सर्वत्र समानरूपसे बरस रही है। उक्त घटना परासकोल कुलियारीकी है, यह स्थान आसनसोल में है।

चंचनी कम्पनीद्वारा १९६८ ई० के नवम्बर मासकी

२६ तारीख से श्रीमद्भागवतपर प्रवचनका कार्यक्रम बड़े

उत्साहसे प्रारम्भ कराया गया। प्रवचनके लिये मुझे आमन्त्रित किया गया था।मैं अपने एक वेदपाठी मित्रके साथ वहाँ पहुँचा और कम्पनीके श्रमिक सलाहकार श्रीचतुर्वेदीजीके घरपर ठहरा उत्साहसे श्रीमद्भागवत सप्ताह सम्पन्न हुआ। १३ दिसम्बरको कथा समाप्तकर मैंने घरके लिये प्रस्थान किया। कारमें हम कुल सात व्यक्ति थे। श्रीमती चतुर्वेदी, उनका एकमात्र पुत्र श्रीमती चतुर्वेदीकी देवरानी तथा उनका एकवर्षीय पुत्र- ये पीछेकी सीटपर और आगे ड्राइवरके पास मेरे वेदपाठी मित्र और खिड़कीकेपास में बैठा था। लगभग रात्रिके नौ बज रहे थे। हम प्रसन्नतापूर्वक कारके चारों और खड़े हितैषी मित्र सज्जनोंका यथोचित अभिवादन कर रहे थे। थोड़ी दूरीपर रेलवे लाइन थी, जिसपर मालगाड़ी आ रही थी । उलटा इंजिन खींच रहा था, अतः न लाइट आ रही थी, न सीटी ही दी गयी थी तथा न फाटक ही बन्द होनेकी व्यवस्था थी। मैंने दस हाथ दूरसे ही देखकर ड्राइवरसे कहा-'अरे! कार रोको, गाड़ी आ रही है, गाड़ी आ रही है।' अन्य लोगोंने भी हो-हल्ला करना प्रारम्भ कर दिया। कोनेसे मालगाड़ी एकदम आ गयी थी, अतः किसीको इतनी शीघ्र दिखलायी न दे सकी कि कोई सुरक्षा कर सके। ड्राइवरने कारकी चाल बन्द की ब्रेक काम न दिया, उसने लाइन पार करनी चाही कि इंजिनके बफरने कारमें तेज धक्का दिया। शीशे क्षणभरमें गायब थे। खिड़की बफरपर टँग गयी। पूरी कार उसके साथ हो गयी और धक-धक-धक करते इंजिनके साथ बफरपर टंगी खिलौने -सी गाड़ी चलती रही। आउटर सिगनलोंसे टकराती गयी। कार टूटे कनस्तरकी दशाको प्राप्त कर चुकी थी। पीछे की सीटपर बैठी श्रीमती चतुर्वेदी सीटके नीचे थीं। बच्चा बाहर लटक रहा था, पैर ऊपर थे। करुण दृश्य था। दर्शकोंमें कुछ चिल्ला रहे थे 'गाड़ी रोको, गाड़ी रोको', कुछ बेहोशीकी दशामें थे, कुछ गाड़ीके साथ-साथ भाग रहे थे।

गाड़ीके दोनों ओर इंजिन लगे थे। इधरके ड्राइवरने ब्रेक दिये तो पीछे ड्राइवरने और भी जोर लगाया; क्योंकि लम्बी गाड़ी थी और उसे एक्सीडेंटका पता उस समयतक नहीं लगा था। जब उसने दर्शकोंको चिल्लाते देखा, तब गाड़ी रुकी। खींचातानीमें हम सात सौ फीटकी दूरी उसी इंजिनमें लटके-लटके पार कर चुके थे; भीड़ साथ दौड़ती आ रही थी। हम निःशब्द और बेहोश थे; परंतु पीछे की सीटपर जो बैठे थे, वे निरापद थे। फलतःतुरंत बाहर निकल आये। ड्राइवर भी सुरक्षित था। मेरे वेदपाठी मित्र सीटसे भिड़े पड़े थे। हम कारके ऊपरी और भीतरी भागमें टक्करोंसे चिपक गये थे, अतः निकलनेका कोई प्रश्न ही नहीं था। सब लोगोंने जीवनकी आशा त्याग दी। जब कारकी टीनपर हथौड़े तथा कुदाल पड़ने लगे, तब मेरे मित्रने हाथ हिलाया, लोगोंको थोड़ी खुशी हुई कि एक तो जीवित है, उन्हें निकाला गया। रातका सन्नाटा, औजारोंकी आवाज, बाहरसे करुण पुकार तथा विभिन्न उपायोंकी बौछार कारकी छत तोड़कर हमारे शरीरको निकाला गया, जीवन शेष था। सब प्रसन्न हो गये। बड़ी गाड़ीमें डालकर हम दोनोंको सबके साथ समीपके अस्पतालमें ले जाया गया। सबका परीक्षण हुआ, तात्कालिक उपचार भी हुआ। किसीके कोई सांघातिक चोट नहीं आयी थी। हाँ, मेरी छः हड्डियाँ क्रेक हुई, औरोंके शरीरमें शीशेके कुछ अंश समाये थे। मुझे ऐसा लगा था कि किसी भयंकर आत्माने हमें रेलके सामने डाला था और किसी दिव्य ज्योतिने गोदमें उठा लिया था। वह ज्योति और कुछ नहीं, जिसके आश्रयसे गये थे, श्रीमद्भागवतके नायक उन्हीं साक्षात् भगवान् श्रीकृष्णकी कृपा थी। इतने भयंकर एक्सीडेंटमें किसीके प्राण नहीं गये, वहाँके रेल कर्मचारियोंद्वारा यह रेलवेके इतिहासकी एक अभूतपूर्व घटना बतलायी गयी।

जिस प्रकार व्रज गोपिकाओंने पूतनाके वक्षःस्थलपर भगवान् श्रीकृष्णको लीला करते पाया था, उसी प्रकार चतुर्वेदी बालकको किलकारी भरते देखकर लोग आश्चर्यचकित थे।

मैं आज भी प्रभुकी उस कृपाका स्मरण करता हूँ, जिसके कारण अबतक सर्वावयवपरिपूर्ण मुझे उनके गुणगान करनेका सौभाग्य मिल रहा है। प्रभुकी कृपा धन्यातिधन्य है।

[ डॉ० श्रीवासुदेवकृष्णजी चतुर्वेदी ]



You may also like these:

Real Life Experience साधु-दम्पती


bhagavatkripaake pratyaksh darshana

bhagavatkripaaka n niyat kaal hai, n niyat sthaan, vah to sarvatr samaanaroopase baras rahee hai. ukt ghatana paraasakol kuliyaareekee hai, yah sthaan aasanasol men hai.

chanchanee kampaneedvaara 1968 ee0 ke navambar maasakee

26 taareekh se shreemadbhaagavatapar pravachanaka kaaryakram bada़e

utsaahase praarambh karaaya gayaa. pravachanake liye mujhe aamantrit kiya gaya thaa.main apane ek vedapaathee mitrake saath vahaan pahuncha aur kampaneeke shramik salaahakaar shreechaturvedeejeeke gharapar thahara utsaahase shreemadbhaagavat saptaah sampann huaa. 13 disambarako katha samaaptakar mainne gharake liye prasthaan kiyaa. kaaramen ham kul saat vyakti the. shreematee chaturvedee, unaka ekamaatr putr shreematee chaturvedeekee devaraanee tatha unaka ekavarsheey putra- ye peechhekee seetapar aur aage draaivarake paas mere vedapaathee mitr aur khida़keekepaas men baitha thaa. lagabhag raatrike nau baj rahe the. ham prasannataapoorvak kaarake chaaron aur khada़e hitaishee mitr sajjanonka yathochit abhivaadan kar rahe the. thoda़ee dooreepar relave laain thee, jisapar maalagaada़ee a rahee thee . ulata injin kheench raha tha, atah n laait a rahee thee, n seetee hee dee gayee thee tatha n phaatak hee band honekee vyavastha thee. mainne das haath doorase hee dekhakar draaivarase kahaa-'are! kaar roko, gaada़ee a rahee hai, gaada़ee a rahee hai.' any logonne bhee ho-halla karana praarambh kar diyaa. konese maalagaada़ee ekadam a gayee thee, atah kiseeko itanee sheeghr dikhalaayee n de sakee ki koee suraksha kar sake. draaivarane kaarakee chaal band kee brek kaam n diya, usane laain paar karanee chaahee ki injinake bapharane kaaramen tej dhakka diyaa. sheeshe kshanabharamen gaayab the. khida़kee bapharapar tang gayee. pooree kaar usake saath ho gayee aur dhaka-dhaka-dhak karate injinake saath bapharapar tangee khilaune -see gaada़ee chalatee rahee. aautar siganalonse takaraatee gayee. kaar toote kanastarakee dashaako praapt kar chukee thee. peechhe kee seetapar baithee shreematee chaturvedee seetake neeche theen. bachcha baahar latak raha tha, pair oopar the. karun drishy thaa. darshakonmen kuchh chilla rahe the 'gaada़ee roko, gaada़ee roko', kuchh behosheekee dashaamen the, kuchh gaada़eeke saatha-saath bhaag rahe the.

gaada़eeke donon or injin lage the. idharake draaivarane brek diye to peechhe draaivarane aur bhee jor lagaayaa; kyonki lambee gaada़ee thee aur use ekseedentaka pata us samayatak naheen laga thaa. jab usane darshakonko chillaate dekha, tab gaada़ee rukee. kheenchaataaneemen ham saat sau pheetakee dooree usee injinamen latake-latake paar kar chuke the; bheeda़ saath dauda़tee a rahee thee. ham nihshabd aur behosh the; parantu peechhe kee seetapar jo baithe the, ve niraapad the. phalatahturant baahar nikal aaye. draaivar bhee surakshit thaa. mere vedapaathee mitr seetase bhida़e pada़e the. ham kaarake ooparee aur bheetaree bhaagamen takkaronse chipak gaye the, atah nikalaneka koee prashn hee naheen thaa. sab logonne jeevanakee aasha tyaag dee. jab kaarakee teenapar hathauda़e tatha kudaal pada़ne lage, tab mere mitrane haath hilaaya, logonko thoda़ee khushee huee ki ek to jeevit hai, unhen nikaala gayaa. raataka sannaata, aujaaronkee aavaaj, baaharase karun pukaar tatha vibhinn upaayonkee bauchhaar kaarakee chhat toda़kar hamaare shareerako nikaala gaya, jeevan shesh thaa. sab prasann ho gaye. bada़ee gaada़eemen daalakar ham dononko sabake saath sameepake aspataalamen le jaaya gayaa. sabaka pareekshan hua, taatkaalik upachaar bhee huaa. kiseeke koee saanghaatik chot naheen aayee thee. haan, meree chhah haddiyaan krek huee, auronke shareeramen sheesheke kuchh ansh samaaye the. mujhe aisa laga tha ki kisee bhayankar aatmaane hamen relake saamane daala tha aur kisee divy jyotine godamen utha liya thaa. vah jyoti aur kuchh naheen, jisake aashrayase gaye the, shreemadbhaagavatake naayak unheen saakshaat bhagavaan shreekrishnakee kripa thee. itane bhayankar ekseedentamen kiseeke praan naheen gaye, vahaanke rel karmachaariyondvaara yah relaveke itihaasakee ek abhootapoorv ghatana batalaayee gayee.

jis prakaar vraj gopikaaonne pootanaake vakshahsthalapar bhagavaan shreekrishnako leela karate paaya tha, usee prakaar chaturvedee baalakako kilakaaree bharate dekhakar log aashcharyachakit the.

main aaj bhee prabhukee us kripaaka smaran karata hoon, jisake kaaran abatak sarvaavayavaparipoorn mujhe unake gunagaan karaneka saubhaagy mil raha hai. prabhukee kripa dhanyaatidhany hai.

[ daॉ0 shreevaasudevakrishnajee chaturvedee ]

83 Views





Bhajan Lyrics View All

सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने

New Bhajan Lyrics View All

पवित्र आत्मा उतर आओ,
अभिषेक से हमें भर दो,
मैया तेरे प्यार में तेरे इंतज़ार में,
ऐसा मेरा हाल कर दिया,
चोटी के ऊपर चोटी, चोटी पर गुफा है छोटी,
बैठी गुफा में माता रानी, जो नित करामात
ये सारे खेल तुम्हारे है, जग कहता खेल
मैं तुझसे दौलत क्यूँ मांगू , मैंने
भक्ति कर लेना ईश्वर की बंदे हंस हंस के,
बंदे हंस हंस के मुख से बोल बोल के,