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महामृत्युंजय मन्त्रकी महिमा

यह घटना सन् १९६५ ई० के २२ दिसम्बरकी है। मेरे पतिदेव श्री एस० एन० सहाय (डिप्टी कलक्टर) प्रोजेक्ट एक्जीक्यूटिव ऑफीसर बसन्तपुर, सारना (बिहार) में पदस्थापित थे उनको २२ दिसम्बरको १० बजे दिनमें Co-ordianation Committee की बैठकमै शामिल होनेके लिये छपरा जाना था। बसन्तपुरसे उपराकी दूरी ३२ मील थी और बससे जानेपर घण्टेसे कुछ कमका समय लगता था। २१ तारीखकी शामको ही मेरे पतिदेवने छपरा जानेका निश्चय किया था, पर कार्यमें अत्यधिक व्यस्त रहनेके कारण उस समय नहीं जा सके। अतः २२ तारीखको खूब सबसे ही उठे और दैनिक कार्योंसे निवृत्त हो, सात बजेकी यस पकड़नेके खयाल से बस स्टैण्डको गये। बस मिल गयी और वे चले गये। उनके जानेके बाद मैं एक स्वेटर बुनने बैठ गयी। अभी उनको गये घड़ी देखकर १० मिनट भी नहीं हुए होंगे कि मुझे बड़ी घबराहट होने लगी। सरकारी कार्योंके निष्पादन हेतु उन्हें बराबर बाहर जाना ही पड़ता है, पर इसके पहले कभी भी मेरा मन नहीं घबराया था। मुझे लगा कुछ अनहोनी दुर्घटना मेरे पतिदेवकी यात्रामें होनेवाली है। ऐसा प्रतीत हुआ कि बस बड़ी तीव्र गतिसे जा रही है, उसपर किसी तरहका नियन्त्रण नहीं है और मेरे पतिदेवको खतरेकी सम्भावना है। तत्क्षण मुझे भगवान्का स्मरण आया और मैं 'महामृत्युंजय मन्त्र' का जप अपने पतिदेव के जीवनरक्षार्थ करने लगी। कुछ जप करनेके बाद 'जय शिव, जय शिव मन-ही-मन गुनगुनाने लगी। इस प्रकार १०-१५ मिनट और बीत गये। तबतक एक चपरासी घबराया हुआ आकर मुझसे कहने लगा-'जिस बससे साहब जा रहे थे, वह बस तो यहाँसे तीन मील जानेके बाद बिलकुल उलट गयी, बहुत लोग घायल हुए हैं। पता नहीं, साहबकी हालत कैसी है।' (बस दुर्घटनाके तुरंत बाद उधरसे एक दूसरी बस आ रही थी, उसीसे यह सूचना लोगोंको मिल गयी थी।) यह सब सुनते ही मेरा कलेजा धक्से कर गया। मन अत्यधिक घबरा गया। अभी सोच ही रही थी कि क्या करूँ कि देखती हूँ-सैकड़ों लोगों से घिरे मेरे पतिदेव काफी धीमी चालमें पैदल ही अपने क्वार्टरकी ओर आ रहे हैं। उन्हें स्वयं चलते देखकर दिलको बड़ी शान्ति मिली। निकट आनेपर देखा उनका पैंट वगैरह खून तथा पेट्रोलसे लथपथ था। शंका हुई कहीं टूट-फूट हो गयी है, जिससे इतना खून लगा है। लेकिन कुछ आश्वस्त होनेपर मेरे पतिदेव कहने लगे 'यहाँसे जानेके कुल दस मिनट बाद ही यह दुर्घटना हो गयी। मैं बिलकुल आगे ड्राइवरके बगलवाली स्टॉफ सीटपर बैठा था। मेरे देखते-देखते ही बस सड़कसे हटकर सड़क के किनारे एक बड़े गड्ढे में जा गिरी। कुछ समयतक तो कुछ ज्ञात ही नहीं हुआ कि क्या हो गया। पर कुछ होश सँभालकर मैंने जूतेसे सामनेके शीशेको तोड़ा और तब बाहर निकला। उसमें और सारे लोग तो बुरी तरह घायल हुए थे। उनकी हालत अच्छी नहीं थी। मेरे पतिदेवके साथ जा रहे चपरासीका तो सिर और पैर बुरी तरह फट गया था। लेकिन मेरे पतिदेवके शरीरसे एक बूँद भी खून नहीं निकला था। वह कपड़ोंपर लगा खून तो अगल-बगलके घायल व्यक्तियोंका खून था। मेरे पतिदेवको विशेष चोट नहीं लगी थी, केवल दाहिने हाथके अँगूठेमें एक हलका सा फ्रैक्चर होकर रह गया था। एक भीषण बस । दुर्घटनामें केवल इतना भर होकर रह जाना साक्षात् भगवत्कृपाका ही सुपरिणाम था।

मुझे तो यही लगता है कि ईश्वरको विशेष कृपासे मुझे दैवी प्रेरणा मिली, जिसके परिणाम स्वरूप मैंने उसी क्षण 'महामृत्युंजय मन्त्र का जप किया। जीवन रक्षा करनेवाले महान् प्रभावकारी इसी मन्त्रके जपका ही शुभ परिणाम हुआ कि मेरे पतिदेवकी जान बाल-बाल बच गयी। इस घटनाके बादसे मेरी आस्था इस मन्त्रमें और अधिक दृढ़ हो गयी है। इस मन्त्रकी महिमा असीम है। पूर्ण श्रद्धा और विश्वासके साथ इसमें आस्था रखना नाना संकटों से मुक्त करनेवाला है। [ श्रीमती आनन्दमयीजी सहाय ]



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mahaamrityunjay mantrakee mahimaa

yah ghatana san 1965 ee0 ke 22 disambarakee hai. mere patidev shree esa0 ena0 sahaay (diptee kalaktara) projekt ekjeekyootiv ऑpheesar basantapur, saarana (bihaara) men padasthaapit the unako 22 disambarako 10 baje dinamen Co-ordianation Committee kee baithakamai shaamil honeke liye chhapara jaana thaa. basantapurase uparaakee dooree 32 meel thee aur basase jaanepar ghantese kuchh kamaka samay lagata thaa. 21 taareekhakee shaamako hee mere patidevane chhapara jaaneka nishchay kiya tha, par kaaryamen atyadhik vyast rahaneke kaaran us samay naheen ja sake. atah 22 taareekhako khoob sabase hee uthe aur dainik kaaryonse nivritt ho, saat bajekee yas pakada़neke khayaal se bas staindako gaye. bas mil gayee aur ve chale gaye. unake jaaneke baad main ek svetar bunane baith gayee. abhee unako gaye ghada़ee dekhakar 10 minat bhee naheen hue honge ki mujhe bada़ee ghabaraahat hone lagee. sarakaaree kaaryonke nishpaadan hetu unhen baraabar baahar jaana hee pada़ta hai, par isake pahale kabhee bhee mera man naheen ghabaraaya thaa. mujhe laga kuchh anahonee durghatana mere patidevakee yaatraamen honevaalee hai. aisa prateet hua ki bas bada़ee teevr gatise ja rahee hai, usapar kisee tarahaka niyantran naheen hai aur mere patidevako khatarekee sambhaavana hai. tatkshan mujhe bhagavaanka smaran aaya aur main 'mahaamrityunjay mantra' ka jap apane patidev ke jeevanarakshaarth karane lagee. kuchh jap karaneke baad 'jay shiv, jay shiv mana-hee-man gunagunaane lagee. is prakaar 10-15 minat aur beet gaye. tabatak ek chaparaasee ghabaraaya hua aakar mujhase kahane lagaa-'jis basase saahab ja rahe the, vah bas to yahaanse teen meel jaaneke baad bilakul ulat gayee, bahut log ghaayal hue hain. pata naheen, saahabakee haalat kaisee hai.' (bas durghatanaake turant baad udharase ek doosaree bas a rahee thee, useese yah soochana logonko mil gayee thee.) yah sab sunate hee mera kaleja dhakse kar gayaa. man atyadhik ghabara gayaa. abhee soch hee rahee thee ki kya karoon ki dekhatee hoon-saikada़on logon se ghire mere patidev kaaphee dheemee chaalamen paidal hee apane kvaartarakee or a rahe hain. unhen svayan chalate dekhakar dilako bada़ee shaanti milee. nikat aanepar dekha unaka paint vagairah khoon tatha petrolase lathapath thaa. shanka huee kaheen toota-phoot ho gayee hai, jisase itana khoon laga hai. lekin kuchh aashvast honepar mere patidev kahane lage 'yahaanse jaaneke kul das minat baad hee yah durghatana ho gayee. main bilakul aage draaivarake bagalavaalee staॉph seetapar baitha thaa. mere dekhate-dekhate hee bas sada़kase hatakar sada़k ke kinaare ek bada़e gaddhe men ja giree. kuchh samayatak to kuchh jnaat hee naheen hua ki kya ho gayaa. par kuchh hosh sanbhaalakar mainne jootese saamaneke sheesheko toda़a aur tab baahar nikalaa. usamen aur saare log to buree tarah ghaayal hue the. unakee haalat achchhee naheen thee. mere patidevake saath ja rahe chaparaaseeka to sir aur pair buree tarah phat gaya thaa. lekin mere patidevake shareerase ek boond bhee khoon naheen nikala thaa. vah kapada़onpar laga khoon to agala-bagalake ghaayal vyaktiyonka khoon thaa. mere patidevako vishesh chot naheen lagee thee, keval daahine haathake angoothemen ek halaka sa phraikchar hokar rah gaya thaa. ek bheeshan bas . durghatanaamen keval itana bhar hokar rah jaana saakshaat bhagavatkripaaka hee suparinaam thaa.

mujhe to yahee lagata hai ki eeshvarako vishesh kripaase mujhe daivee prerana milee, jisake parinaam svaroop mainne usee kshan 'mahaamrityunjay mantr ka jap kiyaa. jeevan raksha karanevaale mahaan prabhaavakaaree isee mantrake japaka hee shubh parinaam hua ki mere patidevakee jaan baala-baal bach gayee. is ghatanaake baadase meree aastha is mantramen aur adhik dridha़ ho gayee hai. is mantrakee mahima aseem hai. poorn shraddha aur vishvaasake saath isamen aastha rakhana naana sankaton se mukt karanevaala hai. [ shreematee aanandamayeejee sahaay ]

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