⮪ All भगवान की कृपा Experiences

माता तपेश्वरीकी मासूम बालकपर प्रत्यक्ष कृपा

बात १९४३ ई० की है, उत्तर-प्रदेशके कानपुर शहरकी । पतितपावनी गंगाके विशाल तटपर बसा होनेके कारण वहाँके अधिकांश धार्मिक निवासी हर तीज त्यौहारपर गंगा स्नानके लिये अवश्य जाते हैं। ऐसे ही एक बार गंगादशहराके दिन मेरी माता, दादी और बुआ सभी गंगा स्नानके लिये चल दिये; संगमें मैं और मेरा छोटा भाई मोहन अँगुली पकड़े-पकड़े उन लोगोंके साथ-साथ चलते रहे। जब स्नान-ध्यान और पूजन हो गया तो पंडासे तिलक लगवाकर वापस घर जानेके लिये मुड़ गये।

प्रत्येक त्यौहारपर शिवाला (एक मार्केटका नाम) से लेकर गंगा घाटतक दोनों ओर सैकड़ोंकी संख्या में पटरीपर दरी या टाट बिछाकर छोटी-से-छोटी चीजोंकी दुकानें सजी होती थीं। त्यौहार मेलेकी शक्लमें बदल जाता था। अपार भीड़, परंतु एक भी घटना या दुर्घटना नहीं होती थी; क्योंकि लोग पैदल यात्राएँ करते थे

मेरी माँ और बुआने एक दूकानसे कटपीसके कुछ कपड़े खरीदे और कुछ अन्य आवश्यक वस्तुएँ भी लेकर थैले में रखीं और सब लोग चल दिये। तब रिक्शे वगैरह नहीं हुआ करते थे; क्योंकि कानपुरकी गलियाँ कहीं कहीं बहुत सँकरी और टेढ़ी-मेढ़ी थीं। लोग पैदल ही भ्रमण करते थे।

थोड़ी दूर और आगे बढ़े थे कि मेरी माँने देखा मोहन साथमें नहीं है। वापस उन्हीं दूकानोंपर खोजागया। लोगोंसे पूछा गया, परंतु इतनी अपार भीड़में कोई कबतक उसे खोजता ! हम सभी रोते, घबराते हुए घर लौट आये और आकर घरके पुरुषोंको सूचित किया। बाबाने दादीको सुनाकर लगभग हम सभीको बुरी तरहसे डाँटा-फटकारा, फिर चुप हो गये। तब पुलिसमें खबर देना लोग नहीं जानते थे। मुहल्लेमें शोर मच गया। जिसने सुना, वही दौड़ा चला आया। बदलेमें जितने मुँह उतनी ही दहशतभरी बातें सुन-सुनकर कलेजा काँप जाता था। कोई कारगर उपाय खोजे नहीं मिल रहा था। एक दर्दभरी बेचैनी सबके मनमें समायी हुई थी।

उस दिन घरपर चूल्हा नहीं जला। माँका तो रो रोकर बुरा हाल हो रहा था। मैं निःस्तब्ध, सब लोग मुझे ही डाँट फटकार रहे थे कि तुम्हें अपने भाईका हाथ पकड़े रहनेको कहा गया था न इस तरह सुबह से शाम हो गयी। शाम भी गतमें बदलने लगी। सभी किंकर्तव्यविमूढ़ हो, हारे-थकेसे भगवान् भगवान्‌की गुहार कर रहे थे। तख्तपर बैठे बाबा माला फेरे जा रहे थे। सबकी भूख प्यास गायब थी। बस सिर्फ भूखे-प्यासे बालक मोहनकी चिन्ता थी।

रात करीब नौ बजे मुख्य दरवाजेकी साँकल खड़की लगा कोई आया है, बाबाने सोचा शायद मुनीमजी (उनके मित्र) आये होंगे बाबाने दरवाजा | खोला तो देखा मोहन खड़ा था, पाँच वर्षका अबोध मासूम बच्चा उस जमाने में बच्चे सचमुच बच्चे होते थे,संसारकी चंटता चालाकीसे अनभिज्ञ। मैं उस समय सात वर्षकी थी, लेकिन घरका अता-पता और सबके नाम जानती थी।

हाँ तो, मोहनको देखते ही बाबाने लपककर उसे गोदमें उठा लिया और छाती से लगाकर हिचक हिचककर रोते रहे, बीच-बीचमें कुछ बोल भी रहे थे, जो किसीकी समझमें नहीं आ रहा था। गहरे सदमें में आँसुओंका जो ज्वार उन्होंने अपने कलेजेमें दिनभर छुपा रखा था, वह मोहनको सुरक्षित पा, दरिया बनकर फूट पड़ा। जब जरा संयमित हुए तो देखा उसके हाथमें एक खिलौना, जो मिट्टीकी ग्वालिन जैसा था, उसने उसे कसकर पकड़ रखा था। बाबाने उससे पूछा तुम्हें घरतक छोड़ने कौन आया था, उसने एक शब्दमें कहा, 'चाची' फिर चुप | बाबाने पुनः पूछा ये खिलौना किसने दिया? उसने फिर वही शब्द बोला- 'चाची'। बाबूजीने गलीके नुक्कड़तक जाकर देखा, पर कोई कहीं नहीं था। तबतक मोहन बिलखती माँकी गोदमें आ चुका था। उन्होंने सबसे पहले उसे दूध पिलाया। उसका सारा शरीर सहलाया । माँकी गोदमें जाते ही मोहन खिलौना पकड़े पकड़े ही सो गया। माँने जाकर उसे बिस्तर में सुलाया और उस ग्वालिन जैसी मूर्तिको उसके सिरहाने ही रख दिया घरमें सभीके मनमें शान्ति आयी। उसके बावजूद भी उस रात मोहनके अलावा किसीको भी नींद नहीं आ सकी।

सुबह उठकर नहा-धोकर, सब अपने-अपने काम निबटाने लगे। तबतक मोहन भी जागकर, सीढ़ियाँ उतरकर नीचेकी मंजिलपर बाबाकी गोदमें आदतके अनुसार जा बैठा और पूछने लगा - 'बाबा! मेरा खिलौना कहाँ है ?' बाबाने नीचेसे ही आवाज लगायी 'बहू! इसका खिलौना दे जाओ।' बुआने जवाब दिया, लाती हूँ बाबूजी। बिस्तरमें देखा गया, आले-अलमारियोंमें खोजा गया। एक-एक कपड़े झाड़े गये, संदूकों के पीछे भी ताक-झाँक की गयी। परंतु वह खिलौना नहीं मिला। न जाने रातोंरात कहाँ चला गया! बाबाने फिरसे झिड़का-'वहीं देखो, उसके पैर तो लग नहीं गये, नजमीन निगल सकती है।' पर खके बाद भी वह मिट्टीका खिलौना न जाने कहाँ लोप हो गया। सभी आश्चर्यचकित रह गये।

अचानक बाबाको न जाने क्या सूझा, वे मोहनसे बोले- अच्छा बताओ, मस्तराम (प्यारसे बाबा मोहनको मस्तराम ही कहते थे) तुम्हारी 'चाची' जो तुम्हें धरतक छोड़ने आयी थीं, उन्होंने तुम्हें कुछ खिलाया पिलाया भी ? मोहनने 'हाँ' में सिर हिला दिया। बाबाने तपाकसे फिर एक प्रश्न उससे किया-'अच्छा मस्तराम वे चाची देखनेमें कैसी लगती थीं?' मोहनने बुआकी तरफ इशारा कर दिया और बाबाकी मालासे खेलने लगा।

बाबा सबकुछ समझ गये, उन्होंने दादीसे सलाह मशविरा किया। दादीको सहमति पूजाकी भव्य थाली सजायी गयी। माँ तपेश्वरी देवीके लिये वस्त्र आदि दादीने निकाल कर दिये। तबतक मेरी माँने भोगके लिये हलुआ पूरी बना दिया। बाबाको पूरा-पूरा विश्वास हो गया था कि ये सब चमत्कार 'देवी मैया' का ही है। माता तपेश्वरीने इस अबोध मासूमकी रक्षा को और घरतक पहुँचा भी दिया। मोहन बेचारा, जो अपने नाम के अलावा पूरा पता और घरवालोंके नामतक भी नहीं जानता था, कानपुर-जैसे विशाल जनसंख्यावाले शहरमेंसे कैसे घर लौट आया ? ये सब मैयाकी ही कृपा और चमत्कार था। उस दिन कानपुरमें विराजमान छोटी-बड़ी सभी देवियोंकी मोहनके द्वारा राजस्थानी भाषामें 'ढोक' दिलवायी गयी और अन्य सभी घरवालोंने गद्गद होकर आभार प्रदर्शन किया।

यद्यपि यह बात सत्तर- पचहत्तर साल पूर्वकी है। मेरे मायकेके वे लोग भी काल-कवलित हो चुके हैं। उस चमत्कारमयी घटनाकी एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी में शेष बची हूँ। यह दिन वह भीड़भाड़, मोहनका खो जाना, फिर एक हाथमें खिलौना लेकर आना। आज भी चलचित्रकी भाँति आँखोंमें घूम जाता है। इसे दैवीय चमत्कारके अलावा और क्या कहा जाय ?
[ सुश्री माधुरीजी शास्त्री ]



You may also like these:

Real Life Experience साधु-दम्पती
Real Life Experience प्रभु दर्शन


maata tapeshvareekee maasoom baalakapar pratyaksh kripaa

baat 1943 ee0 kee hai, uttara-pradeshake kaanapur shaharakee . patitapaavanee gangaake vishaal tatapar basa honeke kaaran vahaanke adhikaansh dhaarmik nivaasee har teej tyauhaarapar ganga snaanake liye avashy jaate hain. aise hee ek baar gangaadashaharaake din meree maata, daadee aur bua sabhee ganga snaanake liye chal diye; sangamen main aur mera chhota bhaaee mohan angulee pakada़e-pakada़e un logonke saatha-saath chalate rahe. jab snaana-dhyaan aur poojan ho gaya to pandaase tilak lagavaakar vaapas ghar jaaneke liye muda़ gaye.

pratyek tyauhaarapar shivaala (ek maarketaka naama) se lekar ganga ghaatatak donon or saikada़onkee sankhya men patareepar daree ya taat bichhaakar chhotee-se-chhotee cheejonkee dukaanen sajee hotee theen. tyauhaar melekee shaklamen badal jaata thaa. apaar bheeda़, parantu ek bhee ghatana ya durghatana naheen hotee thee; kyonki log paidal yaatraaen karate the

meree maan aur buaane ek dookaanase katapeesake kuchh kapada़e khareede aur kuchh any aavashyak vastuen bhee lekar thaile men rakheen aur sab log chal diye. tab rikshe vagairah naheen hua karate the; kyonki kaanapurakee galiyaan kaheen kaheen bahut sankaree aur tedha़ee-medha़ee theen. log paidal hee bhraman karate the.

thoda़ee door aur aage badha़e the ki meree maanne dekha mohan saathamen naheen hai. vaapas unheen dookaanonpar khojaagayaa. logonse poochha gaya, parantu itanee apaar bheeda़men koee kabatak use khojata ! ham sabhee rote, ghabaraate hue ghar laut aaye aur aakar gharake purushonko soochit kiyaa. baabaane daadeeko sunaakar lagabhag ham sabheeko buree tarahase daantaa-phatakaara, phir chup ho gaye. tab pulisamen khabar dena log naheen jaanate the. muhallemen shor mach gayaa. jisane suna, vahee dauda़a chala aayaa. badalemen jitane munh utanee hee dahashatabharee baaten suna-sunakar kaleja kaanp jaata thaa. koee kaaragar upaay khoje naheen mil raha thaa. ek dardabharee bechainee sabake manamen samaayee huee thee.

us din gharapar choolha naheen jalaa. maanka to ro rokar bura haal ho raha thaa. main nihstabdh, sab log mujhe hee daant phatakaar rahe the ki tumhen apane bhaaeeka haath pakada़e rahaneko kaha gaya tha n is tarah subah se shaam ho gayee. shaam bhee gatamen badalane lagee. sabhee kinkartavyavimooढ़ ho, haare-thakese bhagavaan bhagavaan‌kee guhaar kar rahe the. takhtapar baithe baaba maala phere ja rahe the. sabakee bhookh pyaas gaayab thee. bas sirph bhookhe-pyaase baalak mohanakee chinta thee.

raat kareeb nau baje mukhy daravaajekee saankal khada़kee laga koee aaya hai, baabaane socha shaayad muneemajee (unake mitra) aaye honge baabaane daravaaja | khola to dekha mohan khada़a tha, paanch varshaka abodh maasoom bachcha us jamaane men bachche sachamuch bachche hote the,sansaarakee chantata chaalaakeese anabhijna. main us samay saat varshakee thee, lekin gharaka ataa-pata aur sabake naam jaanatee thee.

haan to, mohanako dekhate hee baabaane lapakakar use godamen utha liya aur chhaatee se lagaakar hichak hichakakar rote rahe, beecha-beechamen kuchh bol bhee rahe the, jo kiseekee samajhamen naheen a raha thaa. gahare sadamen men aansuonka jo jvaar unhonne apane kalejemen dinabhar chhupa rakha tha, vah mohanako surakshit pa, dariya banakar phoot pada़aa. jab jara sanyamit hue to dekha usake haathamen ek khilauna, jo mitteekee gvaalin jaisa tha, usane use kasakar pakada़ rakha thaa. baabaane usase poochha tumhen gharatak chhoda़ne kaun aaya tha, usane ek shabdamen kaha, 'chaachee' phir chup | baabaane punah poochha ye khilauna kisane diyaa? usane phir vahee shabd bolaa- 'chaachee'. baaboojeene galeeke nukkada़tak jaakar dekha, par koee kaheen naheen thaa. tabatak mohan bilakhatee maankee godamen a chuka thaa. unhonne sabase pahale use doodh pilaayaa. usaka saara shareer sahalaaya . maankee godamen jaate hee mohan khilauna pakada़e pakada़e hee so gayaa. maanne jaakar use bistar men sulaaya aur us gvaalin jaisee moortiko usake sirahaane hee rakh diya gharamen sabheeke manamen shaanti aayee. usake baavajood bhee us raat mohanake alaava kiseeko bhee neend naheen a sakee.

subah uthakar nahaa-dhokar, sab apane-apane kaam nibataane lage. tabatak mohan bhee jaagakar, seedha़iyaan utarakar neechekee manjilapar baabaakee godamen aadatake anusaar ja baitha aur poochhane laga - 'baabaa! mera khilauna kahaan hai ?' baabaane neechese hee aavaaj lagaayee 'bahoo! isaka khilauna de jaao.' buaane javaab diya, laatee hoon baaboojee. bistaramen dekha gaya, aale-alamaariyonmen khoja gayaa. eka-ek kapada़e jhaada़e gaye, sandookon ke peechhe bhee taaka-jhaank kee gayee. parantu vah khilauna naheen milaa. n jaane raatonraat kahaan chala gayaa! baabaane phirase jhida़kaa-'vaheen dekho, usake pair to lag naheen gaye, najameen nigal sakatee hai.' par khake baad bhee vah mitteeka khilauna n jaane kahaan lop ho gayaa. sabhee aashcharyachakit rah gaye.

achaanak baabaako n jaane kya soojha, ve mohanase bole- achchha bataao, mastaraam (pyaarase baaba mohanako mastaraam hee kahate the) tumhaaree 'chaachee' jo tumhen dharatak chhoda़ne aayee theen, unhonne tumhen kuchh khilaaya pilaaya bhee ? mohanane 'haan' men sir hila diyaa. baabaane tapaakase phir ek prashn usase kiyaa-'achchha mastaraam ve chaachee dekhanemen kaisee lagatee theen?' mohanane buaakee taraph ishaara kar diya aur baabaakee maalaase khelane lagaa.

baaba sabakuchh samajh gaye, unhonne daadeese salaah mashavira kiyaa. daadeeko sahamati poojaakee bhavy thaalee sajaayee gayee. maan tapeshvaree deveeke liye vastr aadi daadeene nikaal kar diye. tabatak meree maanne bhogake liye halua pooree bana diyaa. baabaako pooraa-poora vishvaas ho gaya tha ki ye sab chamatkaar 'devee maiyaa' ka hee hai. maata tapeshvareene is abodh maasoomakee raksha ko aur gharatak pahuncha bhee diyaa. mohan bechaara, jo apane naam ke alaava poora pata aur gharavaalonke naamatak bhee naheen jaanata tha, kaanapura-jaise vishaal janasankhyaavaale shaharamense kaise ghar laut aaya ? ye sab maiyaakee hee kripa aur chamatkaar thaa. us din kaanapuramen viraajamaan chhotee-bada़ee sabhee deviyonkee mohanake dvaara raajasthaanee bhaashaamen 'dhoka' dilavaayee gayee aur any sabhee gharavaalonne gadgad hokar aabhaar pradarshan kiyaa.

yadyapi yah baat sattara- pachahattar saal poorvakee hai. mere maayakeke ve log bhee kaala-kavalit ho chuke hain. us chamatkaaramayee ghatanaakee ekamaatr pratyakshadarshee men shesh bachee hoon. yah din vah bheeda़bhaada़, mohanaka kho jaana, phir ek haathamen khilauna lekar aanaa. aaj bhee chalachitrakee bhaanti aankhonmen ghoom jaata hai. ise daiveey chamatkaarake alaava aur kya kaha jaay ?
[ sushree maadhureejee shaastree ]

133 Views





Bhajan Lyrics View All

मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो

New Bhajan Lyrics View All

सतगुरु दर बजे बधाई, खुशियों की घड़ियां
खुशियों की घड़ियां आई, खुशियों की
थोड़ी जही मखनी दे दे नी गवालने, थोड़ी
आज मेरा रास्ता छड दे मुरारिया, आज मेरा
धुन तुझको पुकारे तेरा प्यार आजा
तेरी हम करते है पूजा संकट हर जाओ,
भगतो पे माँ लक्ष्मी कृपा कर जाओ...
गजानन आए गयो, मेरे मेरे अँगने में
ब्रह्माणी संग ब्रहमाजी आहे.