⮪ All भगवान की कृपा Experiences

श्री गणेश जी की कृपया के बहुत ही सुंदर प्रसंग

भारतके अन्य भू-भागोंकी तरह राजस्थानमें भी श्रीगणेशजीकी पूरी मान्यता है। यहाँ प्रत्येक कार्यके प्रारम्भमें उनका सादर स्मरण किया जाता है। सुदृढ़ लोक-विश्वास है कि श्रीगणेशजीकी कृपा प्राप्त कर लेनेपर किसी भी कार्यमें उपस्थित होनेवाले विघ्न स्वयं समाप्त हो जाते हैं। लोक-साहित्यका एक प्रमुख अंग लोककथा भी है। यह नहीं कहा जा सकता कि किसी देशमें प्रचलित कोई लोककथा कितनी पुरानी है और समयानुसार वह किस प्रकार अपना रूप परिवर्तन करती हुई चली आ रही है। राजस्थानमें 'विनायक' विषयक अनेक लोककथाएँ भी प्रचलित हैं और उनका अपना सांस्कृतिक महत्त्व है। श्रीगणेशके जन्म और उनके विवाहकी कथाएँ तो प्रसिद्ध ही हैं। उनमें पुराण-कथाके सूत्र हैं और उनको आधारभूत मानकर राजस्थानमें काव्य-रचना भी हुई है; परंतु अन्य कथाओंमें विनायक-महिमा देखते ही बनती है।

राजस्थानमें व्रत-कथाओंका बड़ा प्रचार है। प्रत्येक व्रतके बाद उससे सम्बन्धित कथा कही जाती है। इन कथाओं में कई कथाएँ पौराणिक कथानकपर आधारित हैं तो कई सर्वथा लौकिक भी हैं। इस प्रकारकी लौकिक व्रत-कथाको राजस्थानमें सामान्यतया 'कहाणी' कहा जाता है। ध्यान रखना चाहिये कि किसी भी व्रतकी 'कहाणी' कहने-सुननेके बाद नियमसे 'विनायकजी' की 'कहाणी' कही ही जाती है। विनायकजीकी "कहाणी' कहे बिना किसी भी व्रतकी 'कहाणी' फलवती नहीं मानी जाती। इस नियमसे राजस्थानी महिलासमाजमें व्याप्त श्रीगणेश महिमाका सहज ही पता चल सकता है।

राजस्थानी कहानियोंमेंसे कुछ यहाँ संक्षिप्त रूपमें दी जाती हैं, जिससे कि इस वर्गकी कहानियोंका सारसत्यभाषिणी बुढ़ियापर बालविनायककी कृपा

एक बार विनायकजी बालकरूपमें चम्मचभर दूध और चुटकीभर चावल लिये हुए नगरकी गलियोंमें घूम रहे थे और पुकार पुकारकर कह रहे थे— 'कोई मेरे लिये खीर बना दे, कोई मेरे लिये खीर बना दे'; परंतु इतने थोड़े से दूध तथा चावलसे खीर किस प्रकार बन सकती है? अतः कोई भी व्यक्ति उस बालकका काम कर देनेके लिये तैयार नहीं हुआ। अन्तमें बालक विनायक एक बुढ़ियाके घरके सामने पहुँचा तो उसने स्नेहवश उसकी बात स्वीकार कर ली और बर्तनमें उसका दूध चावल भरकर उसे आगपर चढ़ा दिया।

चालक स्नान करनेके लिये बाहर चला गया और इधर बुढ़ियाका बड़ा बर्तन खीरसे भर गया। अब तो बुढ़ियासे खीर खाये बिना नहीं रहा गया। पहले उसने एक थाली भरकर बालकके लिये अलग रख दी और फिर अपने लिये थाली खीरसे भर ली तथा आरामसे उसे खा लिया। इसके बाद बालक स्नान करके आया और उसने खीर माँगी तो बुढ़ियाने उसके सामने खीरकी थाली रख दी। परंतु बालकने उस खीरको देखते ही कहा कि 'यह तो जूठी है'। इसपर बुढ़ियाने सारी बात प्रकट कर दी। बालक विनायक बुढ़ियाके सत्य वचनपर परम प्रसन्न हुए और उसे सब प्रकारसे सुखी बना दिया। (२)

बालिकाकी भक्तिसे प्रसन्न गणेशजीकी कृपा किसी गाँव में एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे; परंतु दुर्भाग्यवश वे दोनों ही अन्धे हो गये। उनके घरमें एक पुत्रीके अतिरिक्त अन्य कोई भी न था। वहबालिका ही अपने माता-पिताको सेवा करती थी। एक बार गणेशजीके मेलेका दिन आया तो छोटी लड़कीने अपने माता-पिताके सामने मेलेमें जानेकी इच्छा प्रकट की। पिताने उसे दो पैसे दिये और वह मेलेमें जा पहुँची। वहाँ कोई कुछ खरीद रहा था और कोई कुछ खा रहा था; परंतु लड़कोंने किसी ओर भी ध्यान नहीं दिया। वह तो केवल गणेशजीकी प्रतिमाकी ओर ही टकटकी लगाये खड़ी रही। बालिकाकी इस भक्ति भावनासे गणेशजी बड़े प्रसन्न हुए और उससे वरदान माँगने के लिये कहा। लड़की बुद्धिमानी की और वह एक साथ ही कह गयो- 'मैं अंगुली पकड़े हुए दो भाई माँगती हूँ माता-पिताके लिये नेत्र ज्योति मांगती हूँ, जरी बादलके वस्त्र मांगती हूँ और मोती मँगोंका जेवर मांगती हूँ।' गणेशजीने कहा 'तथास्तु' और उसी समय दो बालकोंने आकर उस बालिकाके दोनों हाथों की अँगुलियाँ पकड़ लो। अब लड़की घरकी और चली तो उसे ध्यान आया कि कई बार उसकी अन्धी माता गरम वर्तन पकड़ लेती है और उसके हाथ जल जाते हैं; अतः उसने अपनी मायके लिये दो पैसोंका एक 'चिमटा' खरीद लिया। जब वह घर पहुँची तो अपने माता-पिताको चिमटा देखनेके लिये कहा। उसी समय उन दोनोंके नेत्रोंमें ज्योति आ गयी। भाई दो साथ थे हो। वह घर धनसे भी भरा-पूरा हो गया।

(३)

मनौती पूरी नहीं करनेपर विनायकका रुष्ट होना और मनौती पूरी करनेपर कृपानुभूति

किसी बनियेके बेटेकी बहूके कोई संतान न थी । उसकी सासने विनायकजीकी मनौती मानी कि 'यदि उसकी पुत्रवधू गर्भ धारण कर ले तो वह उनको सवा सेरका चूरमा चढ़ायेगी।' देवकृपासे ऐसा ही हो गया। उसकी पुत्रवधू गर्भवती हुई तो फिर सामने विनायकजीकी मनौती मानी कि 'यदि उसके घरमें पोता जन्म लेगा तो वह देवताको अढ़ाई सेरका भोग चढ़ा देगी।' समयपर उसकीबहूने पुत्रको जन्म दिया, परंतु उसने अपनी मनौती पूरी नहीं की और कहा कि 'जब पोता पैरों चलने लगेगा तो एक साथ ही सवा पाँच सेरका भोग चढ़ा दिया जायगा।' इससे विनायकजी रुष्ट हो गये और उसके पोतेको उन्होंने सूक्ष्मरूप देकर उसीके घरकी चौखटमें छिपा दिया। जब शिशुकी खोज हुई तो शिशु बोल उठा - 'चरड़क चूं विनायकजी के ही हूं'। इस आवाजको सुनकर सब चकित हो गये तो फिर नयी आवाज आयी 'चरड़क चूं, चौखट में छू।'

सबने विनायकजीकी वन्दना की और तत्काल मनौती पूरी की गयी तो उन्होंने सुरक्षित रूपमें शिशुको लाकर पालनेमें लिटा दिया।

इसी प्रकार अन्य भी कई लघुकथाएँ लोकमुखपर अवस्थित हैं और वे व्रत-कथाके बाद बड़ी ही श्रद्धा भक्ति के साथ कही जाती हैं। इनमें विनायकजीकी प्रसन्नताका मधुर फल प्रकट किया गया है; परंतु नाराज होनेपर वे बाधा भी उत्पन्न कर देते हैं, ऐसा उनका स्वभाव है। अतः प्रत्येक कार्यके प्रारम्भमें उनका श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाता है। विवाहके अवसरपर तो एक छोटे बालकको वरके साथ रहनेवाला विनायक बनानेकी प्रथा भी है। इन लोककथाओंमें लोकहृदयकी सरलता देखते ही बनती है। साथ ही यह भी ध्यानमें रखना चाहिये कि इन पुण्यकथाओंमें सुखी एवं सम्पन्न गृहस्थीकी कामना के साथ ही लोकमंगलकी भावना भी व्याप्त है, जो भारतीय संस्कृतिका एक प्रकाशमान तत्त्व है। प्रत्येक व्रत-कथाके अन्तमें नियमपूर्वक कहा जाता है' हे विनायक महाराज! जिस प्रकार आपने इस कथाके पात्रपर प्रसन्न होकर उसे सब प्रकारसे सुखी बना दिया, उसी प्रकार सबपर कृपा कीजियेगा-कथा कहनेवालेपर, कथा सुननेवालेपर और हुंकारा देनेवालेपर।

असल में यह अन्तिम वाक्य इन व्रत-कथाओंका माहात्म्य प्रकट करता है, जिससे सहज ही लोकहृदयमें श्रद्धा उत्पन्न हो जाती है।



You may also like these:



shree ganesh jee kee kripaya ke bahut hee sundar prasanga

bhaaratake any bhoo-bhaagonkee tarah raajasthaanamen bhee shreeganeshajeekee pooree maanyata hai. yahaan pratyek kaaryake praarambhamen unaka saadar smaran kiya jaata hai. sudridha़ loka-vishvaas hai ki shreeganeshajeekee kripa praapt kar lenepar kisee bhee kaaryamen upasthit honevaale vighn svayan samaapt ho jaate hain. loka-saahityaka ek pramukh ang lokakatha bhee hai. yah naheen kaha ja sakata ki kisee deshamen prachalit koee lokakatha kitanee puraanee hai aur samayaanusaar vah kis prakaar apana roop parivartan karatee huee chalee a rahee hai. raajasthaanamen 'vinaayaka' vishayak anek lokakathaaen bhee prachalit hain aur unaka apana saanskritik mahattv hai. shreeganeshake janm aur unake vivaahakee kathaaen to prasiddh hee hain. unamen puraana-kathaake sootr hain aur unako aadhaarabhoot maanakar raajasthaanamen kaavya-rachana bhee huee hai; parantu any kathaaonmen vinaayaka-mahima dekhate hee banatee hai.

raajasthaanamen vrata-kathaaonka bada़a prachaar hai. pratyek vratake baad usase sambandhit katha kahee jaatee hai. in kathaaon men kaee kathaaen pauraanik kathaanakapar aadhaarit hain to kaee sarvatha laukik bhee hain. is prakaarakee laukik vrata-kathaako raajasthaanamen saamaanyataya 'kahaanee' kaha jaata hai. dhyaan rakhana chaahiye ki kisee bhee vratakee 'kahaanee' kahane-sunaneke baad niyamase 'vinaayakajee' kee 'kahaanee' kahee hee jaatee hai. vinaayakajeekee "kahaanee' kahe bina kisee bhee vratakee 'kahaanee' phalavatee naheen maanee jaatee. is niyamase raajasthaanee mahilaasamaajamen vyaapt shreeganesh mahimaaka sahaj hee pata chal sakata hai.

raajasthaanee kahaaniyonmense kuchh yahaan sankshipt roopamen dee jaatee hain, jisase ki is vargakee kahaaniyonka saarasatyabhaashinee buढ़iyaapar baalavinaayakakee kripaa

ek baar vinaayakajee baalakaroopamen chammachabhar doodh aur chutakeebhar chaaval liye hue nagarakee galiyonmen ghoom rahe the aur pukaar pukaarakar kah rahe the— 'koee mere liye kheer bana de, koee mere liye kheer bana de'; parantu itane thoda़e se doodh tatha chaavalase kheer kis prakaar ban sakatee hai? atah koee bhee vyakti us baalakaka kaam kar deneke liye taiyaar naheen huaa. antamen baalak vinaayak ek budha़iyaake gharake saamane pahuncha to usane snehavash usakee baat sveekaar kar lee aur bartanamen usaka doodh chaaval bharakar use aagapar chadha़a diyaa.

chaalak snaan karaneke liye baahar chala gaya aur idhar buढ़iyaaka bada़a bartan kheerase bhar gayaa. ab to buढ़iyaase kheer khaaye bina naheen raha gayaa. pahale usane ek thaalee bharakar baalakake liye alag rakh dee aur phir apane liye thaalee kheerase bhar lee tatha aaraamase use kha liyaa. isake baad baalak snaan karake aaya aur usane kheer maangee to buढ़iyaane usake saamane kheerakee thaalee rakh dee. parantu baalakane us kheerako dekhate hee kaha ki 'yah to joothee hai'. isapar budha़iyaane saaree baat prakat kar dee. baalak vinaayak budha़iyaake saty vachanapar param prasann hue aur use sab prakaarase sukhee bana diyaa. (2)

baalikaakee bhaktise prasann ganeshajeekee kripa kisee gaanv men ek braahman aur usakee patnee rahate the; parantu durbhaagyavash ve donon hee andhe ho gaye. unake gharamen ek putreeke atirikt any koee bhee n thaa. vahabaalika hee apane maataa-pitaako seva karatee thee. ek baar ganeshajeeke meleka din aaya to chhotee lada़keene apane maataa-pitaake saamane melemen jaanekee ichchha prakat kee. pitaane use do paise diye aur vah melemen ja pahunchee. vahaan koee kuchh khareed raha tha aur koee kuchh kha raha thaa; parantu lada़konne kisee or bhee dhyaan naheen diyaa. vah to keval ganeshajeekee pratimaakee or hee takatakee lagaaye khaड़ee rahee. baalikaakee is bhakti bhaavanaase ganeshajee bada़e prasann hue aur usase varadaan maangane ke liye kahaa. lada़kee buddhimaanee kee aur vah ek saath hee kah gayo- 'main angulee pakada़e hue do bhaaee maangatee hoon maataa-pitaake liye netr jyoti maangatee hoon, jaree baadalake vastr maangatee hoon aur motee mangonka jevar maangatee hoon.' ganeshajeene kaha 'tathaastu' aur usee samay do baalakonne aakar us baalikaake donon haathon kee anguliyaan pakada़ lo. ab lada़kee gharakee aur chalee to use dhyaan aaya ki kaee baar usakee andhee maata garam vartan pakada़ letee hai aur usake haath jal jaate hain; atah usane apanee maayake liye do paisonka ek 'chimataa' khareed liyaa. jab vah ghar pahunchee to apane maataa-pitaako chimata dekhaneke liye kahaa. usee samay un dononke netronmen jyoti a gayee. bhaaee do saath the ho. vah ghar dhanase bhee bharaa-poora ho gayaa.

(3)

manautee pooree naheen karanepar vinaayakaka rusht hona aur manautee pooree karanepar kripaanubhooti

kisee baniyeke betekee bahooke koee santaan n thee . usakee saasane vinaayakajeekee manautee maanee ki 'yadi usakee putravadhoo garbh dhaaran kar le to vah unako sava seraka choorama chadha़aayegee.' devakripaase aisa hee ho gayaa. usakee putravadhoo garbhavatee huee to phir saamane vinaayakajeekee manautee maanee ki 'yadi usake gharamen pota janm lega to vah devataako adha़aaee seraka bhog chadha़a degee.' samayapar usakeebahoone putrako janm diya, parantu usane apanee manautee pooree naheen kee aur kaha ki 'jab pota pairon chalane lagega to ek saath hee sava paanch seraka bhog chadha़a diya jaayagaa.' isase vinaayakajee rusht ho gaye aur usake poteko unhonne sookshmaroop dekar useeke gharakee chaukhatamen chhipa diyaa. jab shishukee khoj huee to shishu bol utha - 'charada़k choon vinaayakajee ke hee hoon'. is aavaajako sunakar sab chakit ho gaye to phir nayee aavaaj aayee 'charada़k choon, chaukhat men chhoo.'

sabane vinaayakajeekee vandana kee aur tatkaal manautee pooree kee gayee to unhonne surakshit roopamen shishuko laakar paalanemen lita diyaa.

isee prakaar any bhee kaee laghukathaaen lokamukhapar avasthit hain aur ve vrata-kathaake baad bada़ee hee shraddha bhakti ke saath kahee jaatee hain. inamen vinaayakajeekee prasannataaka madhur phal prakat kiya gaya hai; parantu naaraaj honepar ve baadha bhee utpann kar dete hain, aisa unaka svabhaav hai. atah pratyek kaaryake praarambhamen unaka shraddhaapoorvak smaran kiya jaata hai. vivaahake avasarapar to ek chhote baalakako varake saath rahanevaala vinaayak banaanekee pratha bhee hai. in lokakathaaonmen lokahridayakee saralata dekhate hee banatee hai. saath hee yah bhee dhyaanamen rakhana chaahiye ki in punyakathaaonmen sukhee evan sampann grihastheekee kaamana ke saath hee lokamangalakee bhaavana bhee vyaapt hai, jo bhaarateey sanskritika ek prakaashamaan tattv hai. pratyek vrata-kathaake antamen niyamapoorvak kaha jaata hai' he vinaayak mahaaraaja! jis prakaar aapane is kathaake paatrapar prasann hokar use sab prakaarase sukhee bana diya, usee prakaar sabapar kripa keejiyegaa-katha kahanevaalepar, katha sunanevaalepar aur hunkaara denevaalepara.

asal men yah antim vaaky in vrata-kathaaonka maahaatmy prakat karata hai, jisase sahaj hee lokahridayamen shraddha utpann ho jaatee hai.

177 Views





Bhajan Lyrics View All

सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही

New Bhajan Lyrics View All

रंग भरा है जी फूलों में,
मैया मेरी झूल रही,
अर्ज करा हां थाने, द्वारे खड़या म्हे
अर्ज करा हाँ थाने, द्वारे खड़या म्हे
खाटूवाले श्याम का दीवाना हो गया,
दुनिया से भक्तों बेगाना हो गया ॥
श्री कृष्णा गोपाला, आये शरण हम
हे नंदलाला मेरे गोपाला,
फागण का नज़ारा है,
आयी है खाटु से चिट्ठियाँ, श्याम बाबा