⮪ All भक्त चरित्र

दुर्गाभक्त पण्डित राधानाथ दूबे की मार्मिक कथा
दुर्गाभक्त पण्डित राधानाथ दूबे की अधबुत कहानी - Full Story of दुर्गाभक्त पण्डित राधानाथ दूबे (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [दुर्गाभक्त पण्डित राधानाथ दूबे]- भक्तमाल


पण्डित राधानाथजी दूबे भगवती दुर्गाके परम भक्त थे सात्विकता तेजस्विता और अलौकिक पवित्रताके सजीव समन्यय थे। उनके गेहुआं वर्ण, परिपुष्ट शरीर, अधपके केशले समलङ्कृत मुखके भोलेपनमें एक विचित्र और मधुर आकर्षण था। उनका दर्शन करते ही प्राचीनकालके तपस्वी और ऋषियोंका स्मरण हो जाता था और मस्तक श्रद्धापूर्वक उनके चरणदेशपर विनत होकर आशीर्वाद प्राप्त करनेके लिये समुत्सुक हो उठता था। गम्भीर पाण्डित्यमें अनवरत सराबोर रहते थे।

साठ वर्ष पूर्व काशीक्षेत्र पुण्यतोया भगवती भागीरथौके पावन तटपर धानापुर ग्राम में उन्होंने सरयूपारीण द्विवेदी कुलमें जन्म लिया था। मातृगर्भमें आये चार मास ही बीते होंगे कि उनके पिता श्रीफेकू दुबेका स्वर्गवास हो गया फेकू दूबे आचारनिष्ठ वैष्णव थे। संस्कृतके दिग्गज विद्वान् व्याकरण और तुलसीकृत रामचरितमानस के अच्छे जानकार थे। राधानाथजी की देख-रेखका भार उनकी तपस्विनी मातापर पड़ा। परिवारमें और कोई नहीं था। वे माताजीकी आज्ञासे विद्याध्ययन करनेके लिये काशी चले आये। पूर्ण युवा होनेपर उनका विवाह नियामताबादके प्रसिद्ध पण्डित श्रीकेदारनाथजी त्रिपाठीको कन्यासे हो गया। उनका गृहस्थजीवन अत्यन्त सुखकर था। उनके जीविका निर्वाहका मुख्य साधन खेती और पौरोहित्य था। गाँववाले उनके सादा जीवन और उच्च विचारके सिद्धान्त पूर्ण प्रभावित थे वे उनको श्रद्धा और आदरकोदृष्टिसे देखते थे, उनके वचनोंमें दृढ़ आस्था रखते थे। पण्डितजी पूर्ण वैष्णव थे। घरमें शालग्रामकी सेवा होती थी। वे नियमित रूपसे गङ्गास्नान करते तथा चन्द्रप्रभा तटपर तारकेश्वर महादेवका दर्शन करनेके लिये प्रति शिवरात्रिको अट्ठाईस मील दूर जाया करते थे। पण्डितजी वैष्णव होते हुए दुर्गा, भगवती गङ्गा और आशुतोष शिवके प्रेमी भक्त थे। तारकेश्वर मन्दिरकी छत्रछायामें निवास करनेवाले संत श्रीयज्ञनारायणजीकी उनपर बड़ी कृपा रहती थी। साधु-संत सेवाको पण्डित राधानाथजी अपने जीवनकी अक्षुण्ण निधि स्वीकार करते थे।

उन्होंने जीवनके अन्तिम दिन एकान्तमें सार्थक किये। धानापुरमें ही अपने घरसे थोड़ी दूर अपने रमणीय उद्यान में रहते थे । वहाँसे माता गङ्गाकी धाराके दर्शन होते रहते। प्रपञ्च और सांसारिक माया जालसे दूर रहकर भगवच्चिन्तन करना ही उनका नित्यकर्म था। गङ्गा स्नानमें उनकी बड़ी श्रद्धा थी, उसे वे मोक्षसे भी श्रेयस्कर मानते थे। दुर्गासप्तशतीका बिना पाठ किये वे अन्न जल - कुछ भी नहीं ग्रहण करते थे। वे जहाँ-कहीं भी जाते, दुर्गापाठकी पोथी उनके साथ रहती और पाठका क्रम चलता रहता। भगवती दुर्गाकी महिमाके गानमें उनको बड़ा रस मिलता। स्वर्गारोहणके समय दुर्गासप्तशतीकी एक पोथीपर हाथ रखकर ही उन्होंने प्राण त्याग किया। श्रीदुर्गाजीकी उनपर बड़ी कृपा थी। वे सीधे-सादे भक्त, आचारनिष्ठ ब्राह्मण और परोपकारी पुरुष थे।



You may also like these:

Bhakt Charitra डाकू भगत


durgaabhakt pandit raadhaanaath doobe ki marmik katha
durgaabhakt pandit raadhaanaath doobe ki adhbut kahani - Full Story of durgaabhakt pandit raadhaanaath doobe (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [durgaabhakt pandit raadhaanaath doobe]- Bhaktmaal


pandit raadhaanaathajee doobe bhagavatee durgaake param bhakt the saatvikata tejasvita aur alaukik pavitrataake sajeev samanyay the. unake gehuaan varn, paripusht shareer, adhapake keshale samalankrit mukhake bholepanamen ek vichitr aur madhur aakarshan thaa. unaka darshan karate hee praacheenakaalake tapasvee aur rishiyonka smaran ho jaata tha aur mastak shraddhaapoorvak unake charanadeshapar vinat hokar aasheervaad praapt karaneke liye samutsuk ho uthata thaa. gambheer paandityamen anavarat saraabor rahate the.

saath varsh poorv kaasheekshetr punyatoya bhagavatee bhaageerathauke paavan tatapar dhaanaapur graam men unhonne sarayoopaareen dvivedee kulamen janm liya thaa. maatrigarbhamen aaye chaar maas hee beete honge ki unake pita shreephekoo dubeka svargavaas ho gaya phekoo doobe aachaaranishth vaishnav the. sanskritake diggaj vidvaan vyaakaran aur tulaseekrit raamacharitamaanas ke achchhe jaanakaar the. raadhaanaathajee kee dekha-rekhaka bhaar unakee tapasvinee maataapar pada़aa. parivaaramen aur koee naheen thaa. ve maataajeekee aajnaase vidyaadhyayan karaneke liye kaashee chale aaye. poorn yuva honepar unaka vivaah niyaamataabaadake prasiddh pandit shreekedaaranaathajee tripaatheeko kanyaase ho gayaa. unaka grihasthajeevan atyant sukhakar thaa. unake jeevika nirvaahaka mukhy saadhan khetee aur paurohity thaa. gaanvavaale unake saada jeevan aur uchch vichaarake siddhaant poorn prabhaavit the ve unako shraddha aur aadarakodrishtise dekhate the, unake vachanonmen dridha़ aastha rakhate the. panditajee poorn vaishnav the. gharamen shaalagraamakee seva hotee thee. ve niyamit roopase gangaasnaan karate tatha chandraprabha tatapar taarakeshvar mahaadevaka darshan karaneke liye prati shivaraatriko atthaaees meel door jaaya karate the. panditajee vaishnav hote hue durga, bhagavatee ganga aur aashutosh shivake premee bhakt the. taarakeshvar mandirakee chhatrachhaayaamen nivaas karanevaale sant shreeyajnanaaraayanajeekee unapar bada़ee kripa rahatee thee. saadhu-sant sevaako pandit raadhaanaathajee apane jeevanakee akshunn nidhi sveekaar karate the.

unhonne jeevanake antim din ekaantamen saarthak kiye. dhaanaapuramen hee apane gharase thoda़ee door apane ramaneey udyaan men rahate the . vahaanse maata gangaakee dhaaraake darshan hote rahate. prapanch aur saansaarik maaya jaalase door rahakar bhagavachchintan karana hee unaka nityakarm thaa. ganga snaanamen unakee bada़ee shraddha thee, use ve mokshase bhee shreyaskar maanate the. durgaasaptashateeka bina paath kiye ve ann jal - kuchh bhee naheen grahan karate the. ve jahaan-kaheen bhee jaate, durgaapaathakee pothee unake saath rahatee aur paathaka kram chalata rahataa. bhagavatee durgaakee mahimaake gaanamen unako bada़a ras milataa. svargaarohanake samay durgaasaptashateekee ek potheepar haath rakhakar hee unhonne praan tyaag kiyaa. shreedurgaajeekee unapar bada़ee kripa thee. ve seedhe-saade bhakt, aachaaranishth braahman aur paropakaaree purush the.

147 Views





Bhajan Lyrics View All

ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे

New Bhajan Lyrics View All

सात समंदर लांघ के हनुमत लंकानगरी आ गए,
हनुमत लंकानगरी आ गए...
पहली बार मैं आया,
ऊँगली पकड़ के ले चल मैया,
क्या सोच करें पागल मनवा,
जो बीत गया सो बीत गया,
श्यामा तेरा प्यार कंडे दी ए तार,
ईदे ते चलना सोखा नियो, जू नंगी तलबार,
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है