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प्रह्लादकृत श्रीनृसिंहजीकी स्तुति की मार्मिक कथा
प्रह्लादकृत श्रीनृसिंहजीकी स्तुति की अधबुत कहानी - Full Story of प्रह्लादकृत श्रीनृसिंहजीकी स्तुति (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [प्रह्लादकृत श्रीनृसिंहजीकी स्तुति]- भक्तमाल


नरहरि कर परसत तुरत, झरत नयन ते नीर।
करन लगे प्रह्लादजी अस्तुति गिरा गंभीर ॥
जब परौ जननीपै भीर तबहिं दुख टारे
हे कृपानाथ! करुणेश! जगत रखवारे ।।
नितः सत्त्व-प्रकृति सुर तुमहि रिझायें, ध्यायें अज-सिव-सनकादिक पार न पावें, गावें ॥
हम नीच असुर अति क्रूर, अधम कहलावें।
क्यों करी कृपा शुभ दरशन दीन्हे प्यारे ॥
हे कृपा नहिं कोई तुमकूँ तप प्रभाव तं पायें।
यदि भक्त होय तो पशु हू पै दुरि जावें ॥
हॉ भक्तहीन द्विज, नहिँ तिन मख महँ आवें।
अगनित खलश्वपचहु भक्त भक्तितें तारे ॥
हे कृपा0 जो जैसे तुमकूँ नरहरि भगवन्! ध्यावै।
वह तैसो दरशन नाथ तुम्हारो पावै ॥
ज्यों दरपनमें प्रतिविम्य स्वरूप लखा है
प्रकट खंते मेटे दुःख हमारे ॥ हे कृपा0
भक्तनि हित नित नव कच्छ-मच्छ वपु धारी
जो शत्रु भावते भर्जे तिनहिं संहारी ।।
असुरनिकं देकै मुक्ति सुरनि दुख टारे
जग जीवनि हित अति मधुर चरित विस्तारे।। हे कृपा0
नित तुमरे चरितनि भक्तजनन में गाऊँ
नित रूप मनोहर तुमरो नरहरि! ध्याऊँ ।
भव तरनि चरन गहि नाथ! पार है जाऊँ
हैं जग-जीवन अति सुखमय चरन तिहारे ।। हे कृपा0
यह जीव जगतमें तुमको तजिकै भटक्यो
मायाके फंदे फँस्यो गुननिमहँ अटक्यो ।
चौरासी चक्कर माहि अविद्या पटक्यो ।
हो तुम ही नरहरि केवल एक सहारे । हे कृपा0
नहि उत्तम मध्यम अधम बुद्धि है तुमरी
है तुम सृष्टि समान चराचर सबरी ॥
हम कालव्यालसे इसे लेउ सुधि हमरी
ये काम-क्रोध मद लोभ-मोह अहि कारे।। हे कृपा0
यह मन मेरो है नरहरि चंचल भारी ।
नहिं सुन तुम्हारी कथा सकल अपहारी ।।
हाँ दोन होन अति छोन गंवार भिखारी
हे नाथ लगाओ डूबत नाव किनारे ॥ हे कृपा0
हे कृपानाथ, करुणेश, जगत रखवारे।
जब परी जननिये भीर, तबहिं दुख टारे ।।
है माया अपरम्पार तुम्हारी स्वामी
कैसे पायें हम तुम्हें असुर खल कामी ॥
हो घटपट व्यापी प्रभुवर अन्तरयामी
निगमागम सबरे नेति नेति कहि हारे।। हे कृपा0

- श्रीप्रभुदत्तजी ब्रह्मचारीकृत 'श्रीभागवत चरित' से



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narahari kar parasat turat, jharat nayan te neera.
karan lage prahlaadajee astuti gira ganbheer ..
jab parau jananeepai bheer tabahin dukh taare
he kripaanaatha! karunesha! jagat rakhavaare ..
nitah sattva-prakriti sur tumahi rijhaayen, dhyaayen aja-siva-sanakaadik paar n paaven, gaaven ..
ham neech asur ati kroor, adham kahalaaven.
kyon karee kripa shubh darashan deenhe pyaare ..
he kripa nahin koee tumakoon tap prabhaav tan paayen.
yadi bhakt hoy to pashu hoo pai duri jaaven ..
haॉ bhaktaheen dvij, nahin tin makh mahan aaven.
aganit khalashvapachahu bhakt bhaktiten taare ..
he kripaa0 jo jaise tumakoon narahari bhagavan! dhyaavai.
vah taiso darashan naath tumhaaro paavai ..
jyon darapanamen prativimy svaroop lakha hai
prakat khante mete duhkh hamaare .. he kripaa0
bhaktani hit nit nav kachchha-machchh vapu dhaaree
jo shatru bhaavate bharje tinahin sanhaaree ..
asuranikan dekai mukti surani dukh taare
jag jeevani hit ati madhur charit vistaare.. he kripaa0
nit tumare charitani bhaktajanan men gaaoon
nit roop manohar tumaro narahari! dhyaaoon .
bhav tarani charan gahi naatha! paar hai jaaoon
hain jaga-jeevan ati sukhamay charan tihaare .. he kripaa0
yah jeev jagatamen tumako tajikai bhatakyo
maayaake phande phansyo gunanimahan atakyo .
chauraasee chakkar maahi avidya patakyo .
ho tum hee narahari keval ek sahaare . he kripaa0
nahi uttam madhyam adham buddhi hai tumaree
hai tum srishti samaan charaachar sabaree ..
ham kaalavyaalase ise leu sudhi hamaree
ye kaama-krodh mad lobha-moh ahi kaare.. he kripaa0
yah man mero hai narahari chanchal bhaaree .
nahin sun tumhaaree katha sakal apahaaree ..
haan don hon ati chhon ganvaar bhikhaaree
he naath lagaao doobat naav kinaare .. he kripaa0
he kripaanaath, karunesh, jagat rakhavaare.
jab paree jananiye bheer, tabahin dukh taare ..
hai maaya aparampaar tumhaaree svaamee
kaise paayen ham tumhen asur khal kaamee ..
ho ghatapat vyaapee prabhuvar antarayaamee
nigamaagam sabare neti neti kahi haare.. he kripaa0

- shreeprabhudattajee brahmachaareekrit 'shreebhaagavat charita' se

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विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
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हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
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