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भक्त कुञ्जविहारीसिंहजी की मार्मिक कथा
भक्त कुञ्जविहारीसिंहजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त कुञ्जविहारीसिंहजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त कुञ्जविहारीसिंहजी]- भक्तमाल


वह सभी प्रकार दोन था। बाल्यकालमें तो अत्यन्त सुन्दर मनोहर एक पुष्ट बालक था, पर पीछे सभी अङ्गोंसे प्रायेण विकलाङ्ग हो गया था। उसको अब भी जब कभी स्मृति हो जाती है-विशुद्ध भगवद्भक्तका रूप हृदयमें खिंच जाता है। नम्रता और विनयकी तो मानो वह मूर्ति ही था। अधिक पढ़ा-लिखा न होनेपर भी महामना विद्वान्-जैसा था। उसके मुखमें सभी समाधानोंकेलिये 'नट मर्कट इव सबहिं नचावत। राम खगेस बेद अस गावत॥' इस चौपाईका सर्वदा वास रहता था। रामायणका हृदयसे प्रेमी था तथा शङ्का-समाधानोंमें दिव्य आनन्द पाता था। प्राय: कुछ घंटोंमें ही 'मूलरामायण' के सभी श्लोकोंको कण्ठाग्रकर उसने अपनी विलक्षण स्मरण शक्तिका परिचय दिया था। भगवान्‌की कथा जहाँ और जब भी होती हो, चाहे वह महीनोंतक क्यों न होती रहे,अस्वस्थता तथा पङ्गुकी दशामें भी पहुँच ही जाता था। भगवच्चर्चा या कथा-श्रवणमें उसके नेत्रोंसे अविरल अश्रुप्रवाह तथा कभी-कभी दिव्य हर्षोद्रेक उमड़ पड़ता था। नामका वह अकिञ्चन प्रेमी था और कहा करता था कि 'लोग बेकार ही हल्ला करते हैं। पता नहीं वे क्या चाहते हैं। यदि कुछ काम कर, किसीकी नौकरी कर भृतिमात्र प्राप्त करना ही उन्हें इट है, तब तो संसारके जीवमात्र ही भगवान्‌के कङ्कर्यमें सदाके लिये (Permanent) नियुक्ति प्राप्त कर चुके हैं। भूति भी उनसे बढ़कर कौन देगा? ये लोग क्यों नहीं बराबर 'राम राम' इस अद्भुत अमृतोपम वर्णद्वयीका जप करते हैं?'

सचमुच एक आदर्श भगवद्भक्त तो वही है, जो भगवत्कृपा प्राप्तकर, अथ च विश्वके सम्पूर्ण पदार्थोंका आधिपत्य प्राप्त कर लेनेपर भी स्वयं सुखोंसे बिलकुल दूर रहे। अपनेको तृणसे भी सुनीच तथा तरुसे भी सहिष्णु बनाये रखे और बराबर दूसरोंके उपकारों को ध्यान रखे और अपनी विद्वत्ता, आढ्यता, प्रगल्भता आदिको लेशमात्र भी प्रकट न होने दे। काम क्रोधादिकोंका तो कोई प्रश्न ही नहीं-

रमा विलासु राम अनुरागी ।

तजत बमन जिमि जन बड़भागी।।

राम चरन पंकज रति जिनहीं

विषय भोग बस करें कि तिनहीं।।

सबहि मानप्रद आy अमानी भरत प्रानसम मम ते प्रानी ॥

आढ्यताके अतिरिक्त प्रायः उसमें ये सभी लक्षण मौजूद थे। वह दुराचारियोंको भी बड़े सौम्य तथा मधुर शब्दोंमें उन्मार्गसे विरत होनेकी प्रार्थना करता था। ऐसी कितनी घटनाएँ मेरे सामने हुई हैं।

वह अत्यन्त साधारण राजपूतपरिवारमें उत्पन्न हुआ। उसका सारा प्रायः चौंतीस वर्षोंका जीवन नानाविध संकटोंमें ही गया; पर उसकी भगवद्भक्तिनिष्ठा तो 'गाङ्गैवौघमुदन्वति' की भाँति अनुदिन बढ़ती ही गयी और अन्ततक भी वह भगवत्स्मरणरत रहा। कष्टोंकी याद दिलानेपर भी वह प्रभुकी विलक्षण कृपा तथा कर्म भोगोंकी बात कहकर सबको धैर्य देता रहा। कई महीनोंकी लंबी बीमारी भोगकर 2000 विक्रमीके माघ शुक्ल पञ्चमीको वह गीता, रामायण, भगवन्नाम श्रवण करता हुआ ऐहिक शरीरसे मुक्त हुआ। उसके मरनेके समय एक विलक्षण बात तो हुई ही। उसके अनुज शिवबिहारीसिंहने भी स्वयं उसके साथ परलोक जानेकी हार्दिक प्रार्थना की और पूरा सप्ताह भी नहीं बीत पाया कि वह भी चल बसा। जो हो, आजके विषम वातावरणमें वैसी विभूतियाँ देखनेमें बहुत कम आती हैं; उसमें भी जब साम्प्रदायिकताका नाम लेकर सनातनधर्मको मिटानेके लिये ही जब भारत सरकारकी सम्पूर्ण शक्तिके व्यय करनेका डंका पीटा जाता है, तब क्या पता कि भारतमाताके नसीबमें क्या बदा है?



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vah sabhee prakaar don thaa. baalyakaalamen to atyant sundar manohar ek pusht baalak tha, par peechhe sabhee angonse praayen vikalaang ho gaya thaa. usako ab bhee jab kabhee smriti ho jaatee hai-vishuddh bhagavadbhaktaka roop hridayamen khinch jaata hai. namrata aur vinayakee to maano vah moorti hee thaa. adhik padha़aa-likha n honepar bhee mahaamana vidvaan-jaisa thaa. usake mukhamen sabhee samaadhaanonkeliye 'nat markat iv sabahin nachaavata. raam khages bed as gaavata..' is chaupaaeeka sarvada vaas rahata thaa. raamaayanaka hridayase premee tha tatha shankaa-samaadhaanonmen divy aanand paata thaa. praaya: kuchh ghantonmen hee 'moolaraamaayana' ke sabhee shlokonko kanthaagrakar usane apanee vilakshan smaran shaktika parichay diya thaa. bhagavaan‌kee katha jahaan aur jab bhee hotee ho, chaahe vah maheenontak kyon n hotee rahe,asvasthata tatha pangukee dashaamen bhee pahunch hee jaata thaa. bhagavachcharcha ya kathaa-shravanamen usake netronse aviral ashrupravaah tatha kabhee-kabhee divy harshodrek umada़ pada़ta thaa. naamaka vah akinchan premee tha aur kaha karata tha ki 'log bekaar hee halla karate hain. pata naheen ve kya chaahate hain. yadi kuchh kaam kar, kiseekee naukaree kar bhritimaatr praapt karana hee unhen it hai, tab to sansaarake jeevamaatr hee bhagavaan‌ke kankaryamen sadaake liye (Permanent) niyukti praapt kar chuke hain. bhooti bhee unase badha़kar kaun degaa? ye log kyon naheen baraabar 'raam raama' is adbhut amritopam varnadvayeeka jap karate hain?'

sachamuch ek aadarsh bhagavadbhakt to vahee hai, jo bhagavatkripa praaptakar, ath ch vishvake sampoorn padaarthonka aadhipaty praapt kar lenepar bhee svayan sukhonse bilakul door rahe. apaneko trinase bhee suneech tatha taruse bhee sahishnu banaaye rakhe aur baraabar doosaronke upakaaron ko dhyaan rakhe aur apanee vidvatta, aadhyata, pragalbhata aadiko leshamaatr bhee prakat n hone de. kaam krodhaadikonka to koee prashn hee naheen-

rama vilaasu raam anuraagee .

tajat baman jimi jan bada़bhaagee..

raam charan pankaj rati jinaheen

vishay bhog bas karen ki tinaheen..

sabahi maanaprad aay amaanee bharat praanasam mam te praanee ..

aadhyataake atirikt praayah usamen ye sabhee lakshan maujood the. vah duraachaariyonko bhee bada़e saumy tatha madhur shabdonmen unmaargase virat honekee praarthana karata thaa. aisee kitanee ghatanaaen mere saamane huee hain.

vah atyant saadhaaran raajapootaparivaaramen utpann huaa. usaka saara praayah chauntees varshonka jeevan naanaavidh sankatonmen hee gayaa; par usakee bhagavadbhaktinishtha to 'gaangaivaughamudanvati' kee bhaanti anudin badha़tee hee gayee aur antatak bhee vah bhagavatsmaranarat rahaa. kashtonkee yaad dilaanepar bhee vah prabhukee vilakshan kripa tatha karm bhogonkee baat kahakar sabako dhairy deta rahaa. kaee maheenonkee lanbee beemaaree bhogakar 2000 vikrameeke maagh shukl panchameeko vah geeta, raamaayan, bhagavannaam shravan karata hua aihik shareerase mukt huaa. usake maraneke samay ek vilakshan baat to huee hee. usake anuj shivabihaareesinhane bhee svayan usake saath paralok jaanekee haardik praarthana kee aur poora saptaah bhee naheen beet paaya ki vah bhee chal basaa. jo ho, aajake visham vaataavaranamen vaisee vibhootiyaan dekhanemen bahut kam aatee hain; usamen bhee jab saampradaayikataaka naam lekar sanaatanadharmako mitaaneke liye hee jab bhaarat sarakaarakee sampoorn shaktike vyay karaneka danka peeta jaata hai, tab kya pata ki bhaaratamaataake naseebamen kya bada hai?

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