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भक्त श्रीजाम्भोजी महाराज की मार्मिक कथा
भक्त श्रीजाम्भोजी महाराज की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त श्रीजाम्भोजी महाराज (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त श्रीजाम्भोजी महाराज ]- भक्तमाल


श्रीजाम्भोजी महाराजका जन्म सं0 1508 वि0 भाद्रपद कृष्णा अष्टमीको आधी रातके समय पवार क्षत्रिय जातिमें जोधपुर राज्यके पीपासर नामक ग्राममें हुआ था। इनके पिताका नाम ठाकुर लोहटजी था और माताका नाम हाँसादेवी था। इनके विचार बहुत ऊँचे थे और ये ईश्वरकी बड़ी भक्ता थीं। बालक जाम्भोजीपर इन्हींका प्रभाव पड़ा और वे भी बचपनसे ही उन्हीं विचारोंके हो गये। वे अपने साथी बच्चोंको भक्तोंकी कथाएँ सुनाया करते थे। बालक भी उन्हें बहुत मानते थे और आपसके सब लड़ाई-झगड़े इन्हींसे तै कराते थे; तथा हर प्रकारसे इनकी आज्ञाका पालन करते थे। ये कभी झूठ नहीं बोलते थे। श्रीकृष्णभगवान्‌की लीलाएँ । बड़े चावसे सुनते थे। जब ये आठ वर्षके हुए, तब इन्हें गायें चरानेका शौक हो गया और सत्ताईस वर्षकी अवस्थातक जंगलमें गायें चराते रहे और साधु-संतोंका सत्सङ्ग करते रहे। महात्मा योगियोंके सङ्गसे इन्होंने योगाभ्यास भी किया। तदनन्तर अन्धकारमें पड़ी हुई हिंदू-जातिको ईश्वरभक्तिका प्रचार करके राहपर लानेका बीड़ा उठाया और देशाटनके लिये निकल पड़े। सिकन्दर लोदीका जमाना था। आप उससे मिले और उपदेशद्वारा गौ आदि पशुओंकी हत्या बंद करायी। इनके विचारोंपरबहुत लोग आ गये और सं0 1542 वि0 में इन्होंने बिश्नोई (वैष्णव) मत चलाया। जोधपुर, बीकानेर आदि राज्योंमें और उत्तर प्रदेश तथा पंजाब आदि प्रदेशों में आपने भ्रमण किया था। इन जगहोंमें अब भी काफी संख्यामें बिश्नोई लोग मौजूद हैं। आजन्म ब्रह्मचारी रहकर पचासी वर्षकी अवस्थामें सं0 1593 वि0में मार्गशीर्ष कृष्णपक्षकी नवमीको आपने लालासर नामक ग्रामके जंगलमें इस संसारको छोड़ दिया।

इन्होंने 1542 वि0 में जब 'बिश्नोई' मतकी स्थापना की, तब निम्नलिखित उन्तीस नियम बनाये थे। कुछ लोगोंका कहना है कि 'बीस-नौ' नियमोंके कारण ही इस मतका नाम 'बिश्नोई' पड़ा। नियम ये हैं-

1. प्रात:काल स्नान करना, 2. सदा शील- शौच सन्तोष आदिका पालन करना, 3. दोनों काल सन्ध्या करना, 4. सायंकाल ईश्वरका विशेष चिन्तन करना, 5. चतुर्वर्ग-प्राप्त्यर्थ हवन अवश्य करना, 6. दुराचारियोंके कुसङ्गसे बचना, 7. दूध तथा पानी वस्त्रसे छानकर पीना, 8. यज्ञसमिधा तथा पाकार्थ ईंधन पहले भलीभाँति देख-भालकर लेना, 9 निन्दा- अपमानको सहनकर क्षमाशील बनना, 10. हिंसा न कर जीवोंपर दया करना तथा उनके रक्षार्थ उद्यत रहना, 11. चोरीका मन-वचनकर्मसे त्याग, 12. मन-वचनसे किसीकी निन्दा न करना, 13. मिथ्या भाषण और विवाद न करना, 14. अमावस्याके दिन आत्मशुद्ध्यर्थ व्रत तथा 'देवेष्टि' करना, 15. सदैव 'विष्णु' का भजन करना, 16. शुद्ध वाणी बोलना, 17. हरे वृक्षोंको न काटना, 18. काम-क्रोध-मद लोभादि अजर शत्रुओंका तथा इन्द्रियोंका दमन करना, 19. असंस्कृतके हाथसे अन्न-जलादि ग्रहण न करना,20. पशुशालाएँ बनवाकर गौ आदिका पालन करना, 21. बैलको खस्सी न करवाना तथा कसाईको पशु न बबेचना, 22. अफीम न खाना, 23. तम्बाकू न पीना, 24. भाँग-गाँजा चरस न पीना, 25. मद्यपान न करना, 26. मांस न खाना, 27. नीला वस्त्र नहीं पहनना, 28. तीस दिनोंतक जननसूतक रखना और 29. पाँच दिनोंतक रजस्वला स्त्रीको घरके कामोंसे पृथक् रखना ।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt shreejaambhojee mahaaraaja]- Bhaktmaal


shreejaambhojee mahaaraajaka janm san0 1508 vi0 bhaadrapad krishna ashtameeko aadhee raatake samay pavaar kshatriy jaatimen jodhapur raajyake peepaasar naamak graamamen hua thaa. inake pitaaka naam thaakur lohatajee tha aur maataaka naam haansaadevee thaa. inake vichaar bahut oonche the aur ye eeshvarakee bada़ee bhakta theen. baalak jaambhojeepar inheenka prabhaav pada़a aur ve bhee bachapanase hee unheen vichaaronke ho gaye. ve apane saathee bachchonko bhaktonkee kathaaen sunaaya karate the. baalak bhee unhen bahut maanate the aur aapasake sab lada़aaee-jhagada़e inheense tai karaate the; tatha har prakaarase inakee aajnaaka paalan karate the. ye kabhee jhooth naheen bolate the. shreekrishnabhagavaan‌kee leelaaen . bada़e chaavase sunate the. jab ye aath varshake hue, tab inhen gaayen charaaneka shauk ho gaya aur sattaaees varshakee avasthaatak jangalamen gaayen charaate rahe aur saadhu-santonka satsang karate rahe. mahaatma yogiyonke sangase inhonne yogaabhyaas bhee kiyaa. tadanantar andhakaaramen pada़ee huee hindoo-jaatiko eeshvarabhaktika prachaar karake raahapar laaneka beeda़a uthaaya aur deshaatanake liye nikal pada़e. sikandar lodeeka jamaana thaa. aap usase mile aur upadeshadvaara gau aadi pashuonkee hatya band karaayee. inake vichaaronparabahut log a gaye aur san0 1542 vi0 men inhonne bishnoee (vaishnava) mat chalaayaa. jodhapur, beekaaner aadi raajyonmen aur uttar pradesh tatha panjaab aadi pradeshon men aapane bhraman kiya thaa. in jagahonmen ab bhee kaaphee sankhyaamen bishnoee log maujood hain. aajanm brahmachaaree rahakar pachaasee varshakee avasthaamen san0 1593 vi0men maargasheersh krishnapakshakee navameeko aapane laalaasar naamak graamake jangalamen is sansaarako chhoda़ diyaa.

inhonne 1542 vi0 men jab 'bishnoee' matakee sthaapana kee, tab nimnalikhit untees niyam banaaye the. kuchh logonka kahana hai ki 'beesa-nau' niyamonke kaaran hee is mataka naam 'bishnoee' pada़aa. niyam ye hain-

1. praata:kaal snaan karana, 2. sada sheela- shauch santosh aadika paalan karana, 3. donon kaal sandhya karana, 4. saayankaal eeshvaraka vishesh chintan karana, 5. chaturvarga-praaptyarth havan avashy karana, 6. duraachaariyonke kusangase bachana, 7. doodh tatha paanee vastrase chhaanakar peena, 8. yajnasamidha tatha paakaarth eendhan pahale bhaleebhaanti dekha-bhaalakar lena, 9 nindaa- apamaanako sahanakar kshamaasheel banana, 10. hinsa n kar jeevonpar daya karana tatha unake rakshaarth udyat rahana, 11. choreeka mana-vachanakarmase tyaag, 12. mana-vachanase kiseekee ninda n karana, 13. mithya bhaashan aur vivaad n karana, 14. amaavasyaake din aatmashuddhyarth vrat tatha 'deveshti' karana, 15. sadaiv 'vishnu' ka bhajan karana, 16. shuddh vaanee bolana, 17. hare vrikshonko n kaatana, 18. kaama-krodha-mad lobhaadi ajar shatruonka tatha indriyonka daman karana, 19. asanskritake haathase anna-jalaadi grahan n karana,20. pashushaalaaen banavaakar gau aadika paalan karana, 21. bailako khassee n karavaana tatha kasaaeeko pashu n babechana, 22. apheem n khaana, 23. tambaakoo n peena, 24. bhaanga-gaanja charas n peena, 25. madyapaan n karana, 26. maans n khaana, 27. neela vastr naheen pahanana, 28. tees dinontak jananasootak rakhana aur 29. paanch dinontak rajasvala streeko gharake kaamonse prithak rakhana .

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