⮪ All भक्त चरित्र

महादानी बलि की मार्मिक कथा
महादानी बलि की अधबुत कहानी - Full Story of महादानी बलि (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [महादानी बलि]- भक्तमाल


भक्त श्रेष्ठ प्रह्लादके पुत्र विरोचनकी पत्नी सुरोचनासे दैत्यकुलकी कीर्तिको अमर करनेवाले उदारमना बलिका जन्म हुआ था। विरोचनके पश्चात् ये ही दैत्येश्वर हुए। जब दुर्वासा ऋषिके शापसे इन्द्रकी श्री नष्ट हो गयी, तब दैत्यदानवोंकी सेना लेकर बलिने देवताओंपर चढ़ाई की और स्वर्गपर पूरा अधिकार कर लिया। देवता पराजित होकर ब्रह्माजीके पास गये। ब्रह्माजीने भगवान्की स्तुति की। वे प्रभु प्रकट हुए और उन्होंने क्षीरसिन्धुके मन्थनका आदेश दिया। भगवान् विष्णुको सम्मति से इन्द्रने बलिसे सन्धि कर ली। अमृतकी प्राप्तिके लिये देवता एवं दैत्य दोनोंने मिलकर समुद्रका मन्थन किया, परंतु सफलता तो सदा श्रीहरिके चरणोंमें ही रहती है। भगवान्का आश्रय लेनेके कारण देवताओंको अमृत मिला और भगवान्से विमुख दैत्य उससे चित ही रह गये।

भगवान्ने मोहिनीरूप धारण करके क्षीरसमुद्रमे निकले अमृत कलशको, जिसे दैत्योंने छीन लिया था, ले लिया और युक्तिपूर्वक देवताओंको अमृत पिला दिया। इस भेदके प्रकट होनेपर दैत्य बहुत ही क्रुद्ध हुए। देवताओं एवं दैत्यों में यहा भयंकर युद्ध छिड़ गया। भगवान्की कृपा देवताओंपर थी, अतः उनको बिजयी होना ही था। दैत्य पराजित हुए। बहुत से मारे गये। स्वयं दैत्यराज बलि युद्धभूमिमें वज्रद्वारा मारे गये थे। बचे हुए दैत्योंने बलि तथा दूसरे सभी अपने पक्षके सैनिकोंके मृत या घायल शरीरोंको उठा लिया और वे उन्हें अस्ताचल पर्वतपर ले गये। वहाँ दैत्यगुरु शुक्राचार्यजीने अपनी सञ्जीवनी विद्यासे सभी मृत दैत्योंको जीवित कर दिया।

बलि पहलेसे ही ब्राह्मणोंके परम भक्त थे। अब तो आचार्य शुक्रने उन्हें जीवन ही दिया था। वे सब प्रकारसे गुरु एवं विप्रोंकी सेवामें लग गये। उनकी निश्छल सेवासे आचार्य बड़े ही प्रसन्न हुए। शुक्राचार्यजीने बलिसे यज्ञ कराना प्रारम्भ किया। उस विश्वजित् यज्ञकेसम्पूर्ण होनेपर सन्तुए हुए अग्निने प्रकट होकर बलिको घोड़ोंसे जुता रथ, दिव्य धनुष, अक्षय प्रोण एवं अध कवच प्रदान किये। आचार्यकी आज्ञासे उनको प्रणाम करके बलि उस रथपर सवार हुए और उन्होंने स्वर्गपर चढ़ाई कर दी। इस बार उनका तेज असहा था। देवगुरु बृहस्पतिके आदेश से देवता बिना युद्ध किये ही स्वर्ग छोड़कर भाग गये। बलि अमरावतीको अधिकारमें करके त्रिलोकीके अधिपति हो गये। आचार्य शुक्रने उनसे अश्वमेधयज्ञ कराना प्रारम्भ किया। बिना सौ अश्वमेधयज्ञ किये कोई इन्द्र नहीं बन सकता, आचार्य शुक्र सौ अश्वमेध कराके बलिको नियमित इन्द्र बना देना चाहते थे।

देवमाता अदितिको बड़ा दुःख हुआ कि मेरे पुत्रोंको स्वर्ग छोड़कर इधर-उधर पर्वतोंकी गुफाओंमें छिपे हुए बड़े | कष्टसे दिन बिताने पड़ते हैं। वे महासती अपने पति महर्षि कश्यपकी शरण गयीं और महर्षिके आदेशानुसार उन्होंने भगवान्की आराधना की। भगवान्ने दर्शन देकर देवमाताको बताया- 'माता! जिसपर देवता तथा ब्राह्मण प्रसन्न हों, जो धर्मपर स्थिर हो, उसके विरुद्ध बलप्रयोग सफल नहीं होता। वहाँ तो विरोध करके कष्ट ही मिलता है। बलि धर्मात्मा और ब्राह्मणोंके परम भक्त हैं। मैं भी उनका तिरस्कार नहीं कर सकता, किंतु मेरी आराधना कभी व्यर्थ नहीं जाती। मैं आपकी इच्छा किसी प्रकार अवश्य पूरी करूंगा।'

भगवान् वामनरूपसे देवमाता अदितिके यहाँ पुत्र बनकर प्रकट हुए। महर्षि कश्यपने ऋषियोंके साथ उन वामनजीका यज्ञोपवीत संस्कार कराया। वहाँसे भगवान् बलिकी यज्ञशालाकी ओर चले। नर्मदाके उत्तर तटपर शुक्राचार्यकी अध्यक्षतामें बलिका सौयाँ (100 याँ) अश्वमेधयज्ञ चल रहा था। निन्यानबे अश्वमेध वे पूरे कर चुके थे। सबने देखा कि सूर्यके समान तेजस्वी, वामनरूपके एक ब्रहाचारी छत्ता, पलाशदण्ड तथा कमण्डलु लिये यज्ञशाला में पदार्पण कर रहे हैं। शरीरके अनुरूप बड़े ही सुन्दर छोटे-छोटे सुकुमार अङ्गवाले भगवान्‌को देखकर सभी लोग खड़े हो गये। बलिने वामन ब्रहाचारी रूपधारी भगवान्को सिंहासनपर बैठाकर उनके चरण धोये। यह पवित्र चरणोदक मस्तकपर चढ़ाया। भलीभाँति पूजन करके बलिने कहा- 'ब्रह्मचारीजी आपके आगमनसे आजमैं कृतार्थ हो गया। मेरा कुल धन्य हो गया। अब आप जिस लिये पधारे हैं, वह निःसंकोच कहें: क्योंकि मुझे लगता है कि आप किसी उद्देश्यसे ही यहाँ आये हैं।' भगवान्ने बलिकी प्रशंसा की। उनके कुलकी शूरता, दानशीलताकी प्रशंसा की और तब तीन पद भूमि माँगी। बलिको हँसी आ गयी। उन्होंने अधिक भूमि माँग लेनेका भगवान् से आग्रह किया। भगवान्ने कहा-'राजन्। तृष्णाकी तृप्ति तो कभी होती नहीं। मनुष्यको अपने प्रयोजनसे अधिककी इच्छा नहीं करनी चाहिये; अन्यथा उसे कभी शान्ति न मिलेगी। जिसकी भूमिमें कोई तप, जप आदि किया जाता है, उस भूस्वामीको भी उसका भाग मिलता है अतः मैं तीन पद भूमि अपने लिये चाहता हूँ। मुझे इससे अधिक नहीं चाहिये।'

बलि जब भूमिदानका संकल्प देने लगे, तब आचार्य शुक्रने उन्हें रोका। शुक्राचार्यने बताया कि 'ये ब्रह्मचारीरूपमें साक्षात् विष्णु हैं और त्रिलोकी नाप लेने आये हैं।' आचार्यने यह भी कहा कि 'तीनों लोक इनके दो पदमें ही आ जायेंगे। तीसरे पदको स्थान नहीं रहनेसे दानका संकल्प पूरा न होगा और उसके फलस्वरूप तुम्हें नरक भी मिल सकता है।' परंतु बलिने सोचकर आचार्य से कह दिया कि 'मुझे ऐश्वर्यके नाश या नरकका भय नहीं है। मैं दान देनेको कहकर अस्वीकार नहीं करूंगा।' शुक्राचार्यने रुष्ट होकर बलिको शाप दे दिया- 'तू मेरी आज्ञा नहीं मानता, अतः तेरा यह ऐश्वर्य नष्ट हो जायगा।'

आचार्यके शापसे भी बलि डरे नहीं उन्होंने स्थिर चितसे श्रद्धापूर्वक वामन भगवान्‌को भूमिका दान किया। भूमि दानका संकल्प हो जानेपर वामनभगवान्ने अपना रूप बढ़ाया। वे विराट्रूप हो गये। उन्होंने एक पदमें समस्त पृथ्वी नाप ली और उनका दूसरा चरण ब्रह्मलोकतक पहुँच गया। आक्रमणके लिये उद्यत दैत्योंको भगवान्के पार्षदोंने मारकर भगा दिया। वे सब पाताल चले गये। भगवान्‌की आज्ञासे गरुड़जीने बलिको वरुणपाशमें बाँध लिया। अब भगवान्ने कहा- 'बलि तुम्हें अपनी सम्पत्तिका बड़ा गर्व था। तुमने मुझे तीन पद भूमि दी थी; किंतु तुम्हारा समस्त राज्य दो पदमें तुम्हारे सामने मैंने नाप लिया। अब मेरी एक पद भूमि और दो।'

धर्मात्मा, सत्यवादी, ब्राह्मण-भक्त बलि राज्य छिनजाने और बन्धनमें होनेपर भी स्थिर थे। उन्हें तनिक दुःख या क्षोभ नहीं हुआ था। उन्होंने कहा भगव सम्पत्तिका स्वामी उस सम्पत्तिसे बड़ा होता है। आपने दो पदमें मेरा राज्य ले लिया, अब एक पदमें मेरा शरीर ले से। तीसरा पद आप मेरे मस्तकपर रखें।' बलि धन्य हो गये।

भगवान्ने तीसरा पद बलिके मस्तकपर रख दिया। भगवान् ब्रह्मा यह सब देखकर स्वयं आये। यदि धर्मात्मा पुरुष बन्धनमें पड़े तो धर्मके आधारपर स्थित विश्व रहेगा। ब्रह्माजीने भगवान् प्रार्थना की 'प्रभो। आपके चरणोंमें जो श्रद्धापूर्वक एक चुल्लू जल और दूर्वाक कुछ अंकुर चढ़ाता है वह भी सम्पूर्ण बन्धनोंसे सदा के लिये छूट जाता है, फिर जिसने स्थिरचित्तसे श्रद्धापूर्वक आपको त्रिलोकीका राज्य दान कर दिया, वह बन्धनमें कैसे रह सकता है।'

यह बलिका बन्धन थोड़े ही था, यह तो वस्तुतः भगवान्ने स्वयं अपने बँधनेके लिये ही अपने मनका एक प्रकारका बन्धन-रज्जु प्रस्तुत किया था।

भगवान्ने ब्रह्माजीकी ओर देखा और फिर स्नेहसे बलिकी ओर देखते हुए वे बोले-'ब्रह्माजी धर्मका फल ही है मुझे सन्तुष्ट करना। मैं प्रह्लादके इस धर्मात्मा पौत्रकी परीक्षा ले रहा था। आप जानते ही हैं कि जो अपने-आपको मुझे दे देता है, मैं भी अपनेको उसे दे देता हूँ। इस बलिने मुझे जीत लिया है। बेटा बलि। उठो! अब तुम अपने पितामह प्रह्लादके साथ सुतलमें जाओ। उस सुतलका राज्य करो, जिसके वैभवकी तुलनामें स्वर्ग किसी गणनामें नहीं है। मैं स्वयं अथ बराबर गदा लिये वहाँ सदा-सर्वदा तुम्हारे द्वारपर उपस्थित रहूंगा। जो भी दैत्यदानव तुम्हारी आज्ञा नहीं मानेंगे, उन्हें मेरा चक्र दण्ड देगा। तुम्हें नित्य मेरे दर्शन होंगे। पुत्र तुम्हें इन्द्र ही तो होना था। मैं स्वयं तुम्हें अगले सावर्णि मन्वन्तरमें इन्द्रपदपर बैठाऊंगा।'

बलिके नेत्रोंसे अनुका प्रवाह चलने लगा। गोलनेमें असमर्थ हो गये। 'ये करुणामय प्रभु इतनी तुच्छ सेवासे द्रवित हो गये। वे सम्पूर्ण भुवनोंके स्वामी अब दैत्योंके द्वारपर द्वाररक्षक बनेंगे।' बलिने भगवान्के चरणोंपर मस्तक रख दिया। भगवान्का शुक्राचार्य वह यज्ञ पूर्ण कराया। बलि अब सुतलमें भगवान् वामनके द्वारा सुरक्षित विराजते हैं।



You may also like these:



mahaadaanee bali ki marmik katha
mahaadaanee bali ki adhbut kahani - Full Story of mahaadaanee bali (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [mahaadaanee bali]- Bhaktmaal


bhakt shreshth prahlaadake putr virochanakee patnee surochanaase daityakulakee keertiko amar karanevaale udaaramana balika janm hua thaa. virochanake pashchaat ye hee daityeshvar hue. jab durvaasa rishike shaapase indrakee shree nasht ho gayee, tab daityadaanavonkee sena lekar baline devataaonpar chadha़aaee kee aur svargapar poora adhikaar kar liyaa. devata paraajit hokar brahmaajeeke paas gaye. brahmaajeene bhagavaankee stuti kee. ve prabhu prakat hue aur unhonne ksheerasindhuke manthanaka aadesh diyaa. bhagavaan vishnuko sammati se indrane balise sandhi kar lee. amritakee praaptike liye devata evan daity dononne milakar samudraka manthan kiya, parantu saphalata to sada shreeharike charanonmen hee rahatee hai. bhagavaanka aashray leneke kaaran devataaonko amrit mila aur bhagavaanse vimukh daity usase chit hee rah gaye.

bhagavaanne mohineeroop dhaaran karake ksheerasamudrame nikale amrit kalashako, jise daityonne chheen liya tha, le liya aur yuktipoorvak devataaonko amrit pila diyaa. is bhedake prakat honepar daity bahut hee kruddh hue. devataaon evan daityon men yaha bhayankar yuddh chhida़ gayaa. bhagavaankee kripa devataaonpar thee, atah unako bijayee hona hee thaa. daity paraajit hue. bahut se maare gaye. svayan daityaraaj bali yuddhabhoomimen vajradvaara maare gaye the. bache hue daityonne bali tatha doosare sabhee apane pakshake sainikonke mrit ya ghaayal shareeronko utha liya aur ve unhen astaachal parvatapar le gaye. vahaan daityaguru shukraachaaryajeene apanee sanjeevanee vidyaase sabhee mrit daityonko jeevit kar diyaa.

bali pahalese hee braahmanonke param bhakt the. ab to aachaary shukrane unhen jeevan hee diya thaa. ve sab prakaarase guru evan vipronkee sevaamen lag gaye. unakee nishchhal sevaase aachaary bada़e hee prasann hue. shukraachaaryajeene balise yajn karaana praarambh kiyaa. us vishvajit yajnakesampoorn honepar santue hue agnine prakat hokar baliko ghoda़onse juta rath, divy dhanush, akshay pron evan adh kavach pradaan kiye. aachaaryakee aajnaase unako pranaam karake bali us rathapar savaar hue aur unhonne svargapar chadha़aaee kar dee. is baar unaka tej asaha thaa. devaguru brihaspatike aadesh se devata bina yuddh kiye hee svarg chhoda़kar bhaag gaye. bali amaraavateeko adhikaaramen karake trilokeeke adhipati ho gaye. aachaary shukrane unase ashvamedhayajn karaana praarambh kiyaa. bina sau ashvamedhayajn kiye koee indr naheen ban sakata, aachaary shukr sau ashvamedh karaake baliko niyamit indr bana dena chaahate the.

devamaata aditiko baड़a duhkh hua ki mere putronko svarg chhoda़kar idhara-udhar parvatonkee guphaaonmen chhipe hue bada़e | kashtase din bitaane pada़te hain. ve mahaasatee apane pati maharshi kashyapakee sharan gayeen aur maharshike aadeshaanusaar unhonne bhagavaankee aaraadhana kee. bhagavaanne darshan dekar devamaataako bataayaa- 'maataa! jisapar devata tatha braahman prasann hon, jo dharmapar sthir ho, usake viruddh balaprayog saphal naheen hotaa. vahaan to virodh karake kasht hee milata hai. bali dharmaatma aur braahmanonke param bhakt hain. main bhee unaka tiraskaar naheen kar sakata, kintu meree aaraadhana kabhee vyarth naheen jaatee. main aapakee ichchha kisee prakaar avashy pooree karoongaa.'

bhagavaan vaamanaroopase devamaata aditike yahaan putr banakar prakat hue. maharshi kashyapane rishiyonke saath un vaamanajeeka yajnopaveet sanskaar karaayaa. vahaanse bhagavaan balikee yajnashaalaakee or chale. narmadaake uttar tatapar shukraachaaryakee adhyakshataamen balika sauyaan (100 yaan) ashvamedhayajn chal raha thaa. ninyaanabe ashvamedh ve poore kar chuke the. sabane dekha ki sooryake samaan tejasvee, vaamanaroopake ek brahaachaaree chhatta, palaashadand tatha kamandalu liye yajnashaala men padaarpan kar rahe hain. shareerake anuroop bada़e hee sundar chhote-chhote sukumaar angavaale bhagavaan‌ko dekhakar sabhee log khada़e ho gaye. baline vaaman brahaachaaree roopadhaaree bhagavaanko sinhaasanapar baithaakar unake charan dhoye. yah pavitr charanodak mastakapar chadha़aayaa. bhaleebhaanti poojan karake baline kahaa- 'brahmachaareejee aapake aagamanase aajamain kritaarth ho gayaa. mera kul dhany ho gayaa. ab aap jis liye padhaare hain, vah nihsankoch kahen: kyonki mujhe lagata hai ki aap kisee uddeshyase hee yahaan aaye hain.' bhagavaanne balikee prashansa kee. unake kulakee shoorata, daanasheelataakee prashansa kee aur tab teen pad bhoomi maangee. baliko hansee a gayee. unhonne adhik bhoomi maang leneka bhagavaan se aagrah kiyaa. bhagavaanne kahaa-'raajan. trishnaakee tripti to kabhee hotee naheen. manushyako apane prayojanase adhikakee ichchha naheen karanee chaahiye; anyatha use kabhee shaanti n milegee. jisakee bhoomimen koee tap, jap aadi kiya jaata hai, us bhoosvaameeko bhee usaka bhaag milata hai atah main teen pad bhoomi apane liye chaahata hoon. mujhe isase adhik naheen chaahiye.'

bali jab bhoomidaanaka sankalp dene lage, tab aachaary shukrane unhen rokaa. shukraachaaryane bataaya ki 'ye brahmachaareeroopamen saakshaat vishnu hain aur trilokee naap lene aaye hain.' aachaaryane yah bhee kaha ki 'teenon lok inake do padamen hee a jaayenge. teesare padako sthaan naheen rahanese daanaka sankalp poora n hoga aur usake phalasvaroop tumhen narak bhee mil sakata hai.' parantu baline sochakar aachaary se kah diya ki 'mujhe aishvaryake naash ya narakaka bhay naheen hai. main daan deneko kahakar asveekaar naheen karoongaa.' shukraachaaryane rusht hokar baliko shaap de diyaa- 'too meree aajna naheen maanata, atah tera yah aishvary nasht ho jaayagaa.'

aachaaryake shaapase bhee bali dare naheen unhonne sthir chitase shraddhaapoorvak vaaman bhagavaan‌ko bhoomika daan kiyaa. bhoomi daanaka sankalp ho jaanepar vaamanabhagavaanne apana roop badha़aayaa. ve viraatroop ho gaye. unhonne ek padamen samast prithvee naap lee aur unaka doosara charan brahmalokatak pahunch gayaa. aakramanake liye udyat daityonko bhagavaanke paarshadonne maarakar bhaga diyaa. ve sab paataal chale gaye. bhagavaan‌kee aajnaase garuda़jeene baliko varunapaashamen baandh liyaa. ab bhagavaanne kahaa- 'bali tumhen apanee sampattika bada़a garv thaa. tumane mujhe teen pad bhoomi dee thee; kintu tumhaara samast raajy do padamen tumhaare saamane mainne naap liyaa. ab meree ek pad bhoomi aur do.'

dharmaatma, satyavaadee, braahmana-bhakt bali raajy chhinajaane aur bandhanamen honepar bhee sthir the. unhen tanik duhkh ya kshobh naheen hua thaa. unhonne kaha bhagav sampattika svaamee us sampattise bada़a hota hai. aapane do padamen mera raajy le liya, ab ek padamen mera shareer le se. teesara pad aap mere mastakapar rakhen.' bali dhany ho gaye.

bhagavaanne teesara pad balike mastakapar rakh diyaa. bhagavaan brahma yah sab dekhakar svayan aaye. yadi dharmaatma purush bandhanamen pada़e to dharmake aadhaarapar sthit vishv rahegaa. brahmaajeene bhagavaan praarthana kee 'prabho. aapake charanonmen jo shraddhaapoorvak ek chulloo jal aur doorvaak kuchh ankur chaढ़aata hai vah bhee sampoorn bandhanonse sada ke liye chhoot jaata hai, phir jisane sthirachittase shraddhaapoorvak aapako trilokeeka raajy daan kar diya, vah bandhanamen kaise rah sakata hai.'

yah balika bandhan thoda़e hee tha, yah to vastutah bhagavaanne svayan apane bandhaneke liye hee apane manaka ek prakaaraka bandhana-rajju prastut kiya thaa.

bhagavaanne brahmaajeekee or dekha aur phir snehase balikee or dekhate hue ve bole-'brahmaajee dharmaka phal hee hai mujhe santusht karanaa. main prahlaadake is dharmaatma pautrakee pareeksha le raha thaa. aap jaanate hee hain ki jo apane-aapako mujhe de deta hai, main bhee apaneko use de deta hoon. is baline mujhe jeet liya hai. beta bali. utho! ab tum apane pitaamah prahlaadake saath sutalamen jaao. us sutalaka raajy karo, jisake vaibhavakee tulanaamen svarg kisee gananaamen naheen hai. main svayan ath baraabar gada liye vahaan sadaa-sarvada tumhaare dvaarapar upasthit rahoongaa. jo bhee daityadaanav tumhaaree aajna naheen maanenge, unhen mera chakr dand degaa. tumhen nity mere darshan honge. putr tumhen indr hee to hona thaa. main svayan tumhen agale saavarni manvantaramen indrapadapar baithaaoongaa.'

balike netronse anuka pravaah chalane lagaa. golanemen asamarth ho gaye. 'ye karunaamay prabhu itanee tuchchh sevaase dravit ho gaye. ve sampoorn bhuvanonke svaamee ab daityonke dvaarapar dvaararakshak banenge.' baline bhagavaanke charanonpar mastak rakh diyaa. bhagavaanka shukraachaary vah yajn poorn karaayaa. bali ab sutalamen bhagavaan vaamanake dvaara surakshit viraajate hain.

571 Views





Bhajan Lyrics View All

नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे

New Bhajan Lyrics View All

मेरी जिंदगी संवर जाए श्याम तुम मिलने आ
तमन्ना फिर मचल जाए अगर तुम मिलने आ
अ र र, तेरे खेल निराले,
बाबोसा चुरू वाले,
बता सांवरे मेरी क्या है खता,
जो मुझको मिली है इतनी सज़ा...
मेरी अश्वन भीगे साड़ी आ जाओ कृष्ण
एक तेरा सहारा रहे सांवरे,
फिर जगत के सहारे रहे ना रहे,