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तुम अन्नपूर्णा माँ रमा हो और हम भूखों मरें

कल सायंकालकी ही तो बात है। गाँधी मैदानमें बैठा देख रहा था भगवान् अंशुमालीकी

ओर, जो द्रुतगतिसे अस्ताचलकी ओर जा रहे थे।

अचानक एक वृद्ध बंगाली सज्जन आकर मेरी बेंचपर बैठ गये। सफेद दाढ़ी, सफेद कुर्ता-धोती, हाथमें बँगलाकाएक दैनिक ।

बात शुरू की उन्होंने । सामान्य परिचयकी चर्चा उठी तो काशीका नाम आतेही श्रद्धासे भट्टाचार्य महाशयका हृदय भर उठा। बोले 'काशी तो कैलाश है। परंतु अब कहाँ रह गयी वह काशी ? अब तो कलकत्ता-जैसी नगरी बनती जा रही है! क्या खयाल है आपका ?'

मैं क्या कहता! काशीमें भी आधुनिकताका रंग आ ही रहा है।

'बाबा विश्वनाथकी नगरीमें, माँ अन्नपूर्णाके दरबारमें कभी कोई भूखा नहीं रह सकता। इस बातकी लोगोंने परीक्षा करके देखी है।' कहते-कहते वे सुना गये ८० ८५ साल पहलेकी एक घटना।

बोले- मेरे ही पूर्वपुरुषोंके सम्बन्धी एक वृद्ध दम्पतीने काशीवासका निर्णय किया। उनका एक भतीजा था, जो कलकत्तेमें नौकरी करता था। उसने उन्हें काशी पहुँचा दिया और उनके खर्चके लिये बीस रुपया मासिक भेजने लगा।

उस जमानेमें बीस रुपयेका मूल्य बहुत था । वृद्ध ब्राह्मण दम्पती स्वयं तो मजेमें अपनी गुजर करते ही, साधु-संन्यासियोंकी भी सेवा करते, फिर भी दस-पाँच रुपया बच जाता।

अचानक भतीजेकी नौकरी छूट गयी। दो महीने के खर्चके लिये चालीस रुपये भेजते हुए उसने लिखा-'ताऊजी ! मेरी नौकरी छूट गयी है। दो महीनेकी तनखाह मिली है, इससे आपको भी दो माहका खर्च भेज रहा हूँ। कौन जाने कितने दिन बेकार रहना पड़े। इसलिये जरा हाथ रोककर खर्च करियेगा आपके आशीर्वाद से मुझे शीघ्र ही नौकरी 1 मिल जायगी, ऐसी आशा है।'वृद्ध दम्पतीको चिन्ता तो हुई, पर उन्होंने सब कुछ बाबा विश्वनाथ और अन्नपूर्णा माईपर छोड़ दिया।

पहलेकी संचित निधि और अन्तमें मिले चालीस रुपयोंसे वृद्ध दम्पतीने छः मासतक काम चलाया। अन्तमें

एक दिन ऐसा आ ही गया, जब शकरकन्दका एक टुकड़ा
घरमें बच रहा। उसीको खाकर दोनोंने पानी पी लिया।

दिन भर यों ही निकल गया।

उन दिनों कुछ मारवाड़ी सज्जन सीधा बाँटा करते थे। एक-एक सीधेमें आटा, दाल, चावल, घी आदि पर्याप्त रहता। लगभग ३) रुपयेका सामान, ऊपरसे २) रुपये दक्षिणा भी देते। सेठके कर्मचारी उन लोगोंके घर सीधा पहुँचा आते थे, जिनके प्रति सेठकी श्रद्धा होती थी।

वृद्ध ब्राह्मण दम्पतीका तो निश्चय था कि वे विश्वनाथकी नगरीमें माँ अन्नपूर्णाक रहते किसीसे भिक्षा 1 माँगकर पेट न भरेंगे। वे चुपचाप पड़े थे अपनी कोठरी में।

दूसरे दिन वृद्ध दम्पतीको कोठरीके बाहर एक अपरूप बालिका आ खड़ी हुई सीधा बाँटनेवाले सेठके कर्मचारी वहाँसे निकले तो उसने उन्हें पास बुलाया। उनके पास आनेपर बोली- 'देखो भाई मेरी बूढ़ी माँ और बाबा कलसे भूखे पड़े हैं। तुम एक सोधा हमें भी दे जाओ।'

कर्मचारी बोले-'सीधा हम उन्हीं लोगोंको बाँटते हैं जिनको बाँटनेकी आज्ञा हमारा सेठ देता है। बिना आज्ञा हम सीधा नहीं बाँट सकते।'

वह बालिका आँखों में आँसू भरकर बोली- 'तो क्या होगा बाबा ? मेरे बूढ़े माँ-बाबाके पास कुछ नहीं है। मर जायँगे वे बिना भोजनके ? अपने सेठसे कहो जाकर कि मेरे माँ- बाबा भूखे पड़े हैं कलसे।'

'अच्छा माँ! हम सेठसे जाकर जरूर कहेंगे।'

बालिकाकी बात टालनेकी क्षमता मानो उनमें थी हीनहीं।
सेठसे उसके कर्मचारियोंने जाकर कहा-'सेठजी! रास्ते में एक बालिका हमें मिली थी। बड़े सम्पन्न घरकीलड़की जान पड़ती थी। वह कह रही थी कि उसके बूढ़े माता-पिताने कलसे कुछ नहीं खाया है। उनके लिये उसने एक सीधा माँगा है।'

सेठजीके मनमें आ गया- चलो देखें।

सीधा लेकर वे कर्मचारियोंके साथ वृद्ध ब्राह्मण दम्पतीके मकानपर पहुँचे। कुण्डी खटखटायी। वृद्ध दम्पतीने किसी तरह दरवाजा खोला। सेठनेउनसे पूछा - 'बाबा, आपकी बेटी कहाँ है ?' वे तो हैरान। बोले-'कहाँ? हमारे तो कोई बेटीनहीं, एक भतीजा है, जो कलकत्ते रहता है।' 'अच्छा, यह तो बताइये, आपने कलसे कुछ खाया पिया है या नहीं ?'

'क्यों हमने तो किसीसे कुछ कहा नहीं!'

'आपकी बेटी कह रही थी कि मेरे माँ- बाबा कलसे

भूखे हैं। भूखसे उनके प्राण जा रहे हैं!' 'सेठजी, और किसीने कहा होगा। आप मकान भूल तो नहीं गये हैं?'

सेठने कर्मचारियोंसे पूछा। वे बोले-नहीं सेठजी, यही मकान है। हमें खूब याद है। यहींपर वह लड़की रो रोकर हमसे कह रही थी कि मेरे बूढ़े बाबा और माँ भूखे हैं कलसे। उन्हें एक सीधा दे जाओ।'

सेटके बहुत कहनेपर वृद्ध दम्पतीने बताया कि बाबा विश्वनाथ और माँ अन्नपूर्णाको छोड़कर और कोई नहीं जानता कि हम दोनोंने कलसे कुछ नहीं खाया। हमने किसीसे कहा ही नहीं।

माँ अन्नपूर्णा भला अपने भक्तोंको भूखा रहने दे

सकती हैं? यह भला हो ही कैसे सकता है "तुम अन्नपूर्ण माँ रमा हो और हम भूखों मरें ?"

सेठका आग्रह स्वीकार कर वृद्ध दम्पतीको उसकासीधा लेना ही पड़ा और तबसे नियमित रूपसे वहाँसे ही

सीधा आने लगा।

कुछ दिनोंके बाद भतीजेका पत्र आया जिसमें लिखा

था-'ताऊजी आपलोगोंके आशीर्वादसे मुझे पहले से भीअच्छी नौकरी मिल गयी है। अब मैं आपको तीस रुपये मासिक भेजा करूँगा। खाना बनाने में आपको बड़ा कष्ट होता होगा। कोई दाई आदि रख लीजियेगा।'


वृद्ध दम्पतीको भतीजेका पत्र पाकर प्रसन्नता हुई। उन्होंने सेठकी कोठीपर जाकर उनसे भेंट की और उनसे अनुरोध किया कि वे अब उनको मिलनेवाला सीधा किसी अन्य व्यक्तिको दे दिया करें; क्योंकि अब उनके भतीजेको काम मिल गया।

भतीजेका पत्र भी उन्होंने सेठको दिखाया। पर सेठ बोला-'यह नहीं हो सकता बाबा आप नाराज न हों। जैसा आपका वह भतीजा, वैसे ही मैं आपका बेटा। आपको तो यह सीधा लेना ही होगा!'

वृद्ध दम्पति सेठके आग्रहको टाल नहीं सके। सेठके यहाँसे सीधा आता रहा। भतीजेके यहाँसे आनेवाले पैसे से वे साधु-संन्यासियों और दोनोंकी सेवा करने लगे। श्रद्धा और विश्वासकी कैसी अद्भुत कहानी।

'यह सारा खेल श्रद्धा और विश्वासका ही तो है।' कहते हुए भट्टाचार्य महाशयने एक और घटना सुनायी। घटना है उनकी माताकी मौसीके सम्बन्धमें।

वैधव्यके दिन बिता रही थीं बेचारी। बाबा विश्वनाथजीके दर्शनोंकी, काशी पहुँचनेकी बड़ी लालसा थी उनकी। गरीबका जाल बिछा था श्रीरामपुरसे काशी पहुँचन विषम समस्या थी।

उनकी एक ही रट थी 'विश्वनाथ बाबा टाका दाओ, देखा दाओ!'

(हे बाबा विश्वनाथ ! पैसा दो, दर्शन दो!)

अचानक एक दिन उन्हें एक पत्र मिला जिसमें लिखा था कि रेलवे कम्पनी एक नयी लाइन खोल रही है उसके लिये तुम्हारी ससुरालकी जमीन रेलवेने ले ली है। उसका मुआविजा कलकत्ता आकर ले जाओ।

कलकत्ता जाते ही सात-आठ सौ रुपये मिल गये। फिर विश्वनाथ बाबाके दर्शन करनेके लिये काशी जानेसे उन्हें कौन रोक सकता था ?

[[[[श्रीकृष्णादमी भट्ट ]



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Real Life Experience साधु-दम्पती


tum annapoorna maan rama ho aur ham bhookhon maren

kal saayankaalakee hee to baat hai. gaandhee maidaanamen baitha dekh raha tha bhagavaan anshumaaleekee

or, jo drutagatise astaachalakee or ja rahe the.

achaanak ek vriddh bangaalee sajjan aakar meree benchapar baith gaye. saphed daadha़ee, saphed kurtaa-dhotee, haathamen bangalaakaaek dainik .

baat shuroo kee unhonne . saamaany parichayakee charcha uthee to kaasheeka naam aatehee shraddhaase bhattaachaary mahaashayaka hriday bhar uthaa. bole 'kaashee to kailaash hai. parantu ab kahaan rah gayee vah kaashee ? ab to kalakattaa-jaisee nagaree banatee ja rahee hai! kya khayaal hai aapaka ?'

main kya kahataa! kaasheemen bhee aadhunikataaka rang a hee raha hai.

'baaba vishvanaathakee nagareemen, maan annapoornaake darabaaramen kabhee koee bhookha naheen rah sakataa. is baatakee logonne pareeksha karake dekhee hai.' kahate-kahate ve suna gaye 80 85 saal pahalekee ek ghatanaa.

bole- mere hee poorvapurushonke sambandhee ek vriddh dampateene kaasheevaasaka nirnay kiyaa. unaka ek bhateeja tha, jo kalakattemen naukaree karata thaa. usane unhen kaashee pahuncha diya aur unake kharchake liye bees rupaya maasik bhejane lagaa.

us jamaanemen bees rupayeka mooly bahut tha . vriddh braahman dampatee svayan to majemen apanee gujar karate hee, saadhu-sannyaasiyonkee bhee seva karate, phir bhee dasa-paanch rupaya bach jaataa.

achaanak bhateejekee naukaree chhoot gayee. do maheene ke kharchake liye chaalees rupaye bhejate hue usane likhaa-'taaoojee ! meree naukaree chhoot gayee hai. do maheenekee tanakhaah milee hai, isase aapako bhee do maahaka kharch bhej raha hoon. kaun jaane kitane din bekaar rahana pada़e. isaliye jara haath rokakar kharch kariyega aapake aasheervaad se mujhe sheeghr hee naukaree 1 mil jaayagee, aisee aasha hai.'vriddh dampateeko chinta to huee, par unhonne sab kuchh baaba vishvanaath aur annapoorna maaeepar chhoda़ diyaa.

pahalekee sanchit nidhi aur antamen mile chaalees rupayonse vriddh dampateene chhah maasatak kaam chalaayaa. antamen

ek din aisa a hee gaya, jab shakarakandaka ek tukada़aa
gharamen bach rahaa. useeko khaakar dononne paanee pee liyaa.

din bhar yon hee nikal gayaa.

un dinon kuchh maaravaada़ee sajjan seedha baanta karate the. eka-ek seedhemen aata, daal, chaaval, ghee aadi paryaapt rahataa. lagabhag 3) rupayeka saamaan, ooparase 2) rupaye dakshina bhee dete. sethake karmachaaree un logonke ghar seedha pahuncha aate the, jinake prati sethakee shraddha hotee thee.

vriddh braahman dampateeka to nishchay tha ki ve vishvanaathakee nagareemen maan annapoornaak rahate kiseese bhiksha 1 maangakar pet n bharenge. ve chupachaap pada़e the apanee kotharee men.

doosare din vriddh dampateeko kothareeke baahar ek aparoop baalika a khada़ee huee seedha baantanevaale sethake karmachaaree vahaanse nikale to usane unhen paas bulaayaa. unake paas aanepar bolee- 'dekho bhaaee meree booढ़ee maan aur baaba kalase bhookhe pada़e hain. tum ek sodha hamen bhee de jaao.'

karmachaaree bole-'seedha ham unheen logonko baantate hain jinako baantanekee aajna hamaara seth deta hai. bina aajna ham seedha naheen baant sakate.'

vah baalika aankhon men aansoo bharakar bolee- 'to kya hoga baaba ? mere boodha़e maan-baabaake paas kuchh naheen hai. mar jaayange ve bina bhojanake ? apane sethase kaho jaakar ki mere maan- baaba bhookhe pada़e hain kalase.'

'achchha maan! ham sethase jaakar jaroor kahenge.'

baalikaakee baat taalanekee kshamata maano unamen thee heenaheen.
sethase usake karmachaariyonne jaakar kahaa-'sethajee! raaste men ek baalika hamen milee thee. bada़e sampann gharakeelada़kee jaan pada़tee thee. vah kah rahee thee ki usake boodha़e maataa-pitaane kalase kuchh naheen khaaya hai. unake liye usane ek seedha maanga hai.'

sethajeeke manamen a gayaa- chalo dekhen.

seedha lekar ve karmachaariyonke saath vriddh braahman dampateeke makaanapar pahunche. kundee khatakhataayee. vriddh dampateene kisee tarah daravaaja kholaa. sethaneunase poochha - 'baaba, aapakee betee kahaan hai ?' ve to hairaana. bole-'kahaan? hamaare to koee beteenaheen, ek bhateeja hai, jo kalakatte rahata hai.' 'achchha, yah to bataaiye, aapane kalase kuchh khaaya piya hai ya naheen ?'

'kyon hamane to kiseese kuchh kaha naheen!'

'aapakee betee kah rahee thee ki mere maan- baaba kalase

bhookhe hain. bhookhase unake praan ja rahe hain!' 'sethajee, aur kiseene kaha hogaa. aap makaan bhool to naheen gaye hain?'

sethane karmachaariyonse poochhaa. ve bole-naheen sethajee, yahee makaan hai. hamen khoob yaad hai. yaheenpar vah lada़kee ro rokar hamase kah rahee thee ki mere boodha़e baaba aur maan bhookhe hain kalase. unhen ek seedha de jaao.'

setake bahut kahanepar vriddh dampateene bataaya ki baaba vishvanaath aur maan annapoornaako chhoda़kar aur koee naheen jaanata ki ham dononne kalase kuchh naheen khaayaa. hamane kiseese kaha hee naheen.

maan annapoorna bhala apane bhaktonko bhookha rahane de

sakatee hain? yah bhala ho hee kaise sakata hai "tum annapoorn maan rama ho aur ham bhookhon maren ?"

sethaka aagrah sveekaar kar vriddh dampateeko usakaaseedha lena hee pada़a aur tabase niyamit roopase vahaanse hee

seedha aane lagaa.

kuchh dinonke baad bhateejeka patr aaya jisamen likhaa

thaa-'taaoojee aapalogonke aasheervaadase mujhe pahale se bheeachchhee naukaree mil gayee hai. ab main aapako tees rupaye maasik bheja karoongaa. khaana banaane men aapako bada़a kasht hota hogaa. koee daaee aadi rakh leejiyegaa.'


vriddh dampateeko bhateejeka patr paakar prasannata huee. unhonne sethakee kotheepar jaakar unase bhent kee aur unase anurodh kiya ki ve ab unako milanevaala seedha kisee any vyaktiko de diya karen; kyonki ab unake bhateejeko kaam mil gayaa.

bhateejeka patr bhee unhonne sethako dikhaayaa. par seth bolaa-'yah naheen ho sakata baaba aap naaraaj n hon. jaisa aapaka vah bhateeja, vaise hee main aapaka betaa. aapako to yah seedha lena hee hogaa!'

vriddh dampati sethake aagrahako taal naheen sake. sethake yahaanse seedha aata rahaa. bhateejeke yahaanse aanevaale paise se ve saadhu-sannyaasiyon aur dononkee seva karane lage. shraddha aur vishvaasakee kaisee adbhut kahaanee.

'yah saara khel shraddha aur vishvaasaka hee to hai.' kahate hue bhattaachaary mahaashayane ek aur ghatana sunaayee. ghatana hai unakee maataakee mauseeke sambandhamen.

vaidhavyake din bita rahee theen bechaaree. baaba vishvanaathajeeke darshanonkee, kaashee pahunchanekee bada़ee laalasa thee unakee. gareebaka jaal bichha tha shreeraamapurase kaashee pahunchan visham samasya thee.

unakee ek hee rat thee 'vishvanaath baaba taaka daao, dekha daao!'

(he baaba vishvanaath ! paisa do, darshan do!)

achaanak ek din unhen ek patr mila jisamen likha tha ki relave kampanee ek nayee laain khol rahee hai usake liye tumhaaree sasuraalakee jameen relavene le lee hai. usaka muaavija kalakatta aakar le jaao.

kalakatta jaate hee saata-aath sau rupaye mil gaye. phir vishvanaath baabaake darshan karaneke liye kaashee jaanese unhen kaun rok sakata tha ?

[[[[shreekrishnaadamee bhatt ]

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सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
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राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
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