⮪ All भगवान की कृपा Experiences

नर्मदामाताकी दो दिव्य कृपानुभूतियाँ

मानव सदैव अपने इष्टके बलपर बड़े-बड़े कार्य साधते हुए देखे गये हैं। जिन किन्हींका असाध्य रोग चिकित्सासे दूर नहीं हुआ, वे नर्मदाजीकी शरणमें आकर निहाल हुए हैं।अन्धोंको आँखें, पुत्रहीनको पुत्रकी प्राप्ति तथा अन्य कोई कामनाकी पूर्ति नर्मदामैयाकी कृपासे सर्वसाधारणको हुई। एक-दो उदाहरण हम यहाँ दे रहे हैं(१)

नर्मदामैयाद्वारा घुड़सवार छोटे

बालककी सँभाल

एक बार भैरोंदा (सीहोर जिले) का वैश्य व्यापारी रामचन्द्र सेठ हमें मिला। उसने अपना अनुभव सही-सही व्यक्त किया। धन, सम्पत्ति, स्त्री, मकान, दुकान सब कुछ सामान्यतया बने रहनेपर भी वह सन्तानहीन था । उसने मनौती मानी कि हे नर्मदा माई! यदि मुझे सन्तति प्राप्त हो जाय तो स्त्री-पुत्रसहित मैं आपकी एक प्रदक्षिणा करूँगा। कालान्तरमें क्रमश: एक नहीं दो पुत्र प्राप्त हो गये। चलने-फिरने लग गये, तब चार-पाँच वर्षके पीछे स्त्री और पुत्रके सहित प्रदक्षिणा आरम्भ की, साथमें बच्चोंके लिये एक घोड़ा सवारीहेतु रखा।

बड़ा बच्चा तो लगाम पकड़कर घोड़ेपर आसानीसे चढ़ता और बैठकर किसीका सहारा लिये बिना चलता रहता, किंतु छोटे बच्चेको घोड़ेपर बैठानेपर भी उसको पकड़े रखना आवश्यक रहता। पैदल चलते-चलते कभी उसकी माता या कभी पिता सँभालकर घोड़ेके साथ साथ चलते। इसमें चलनेमें प्रायः असुविधा ही रहती रही। एक दिन पिताने खीझकर कहा तू अपनी माँको अर्थात् नर्मदामैयाको क्यों नहीं बुला लेता, जो तुझे सदा । सँभालकर चले। एक दिन बच्चेने कहा, 'पिताजी ! छोड़ दो, हमारी माँ आ गयी, वह मुझे सँभालने लग गयी।' पिता भावविह्वल होकर बड़े कुतूहलसे बच्चेसे पूछता है तेरी माँ अर्थात् नर्मदामैया कैसी है? क्या वह कमीज पहने है? बच्चेने तुरंत कहा, 'माँ कहीं कमीज पहनती हैं? जैसी यह माँ वैसी ही नर्मदा माई मेरी आ गयी।' पिताने बच्चेकी सँभाल करना छोड़ ही दिया था, दोनों माता-पिता बच्चेकी बात सुनकर आनन्दमग्न हुए यात्राकरते रहे। भले ही उन्हें नर्मदा माँका साक्षात्कार न हुआ हो, पर बच्चेको सहारा देनेवाली नर्मदामैया तब वहाँ रही, इसमें सन्देह नहीं ।

(२)

नर्मदामाताकी कृपासे पुनः नेत्रज्योतिकी प्राप्ति

दूसरी घटना एक किसानकी है, वह नरसिंहपुर जिलेसे प्रदक्षिणापथमें आया था, उससे हमने पूछा क्यों भाई ! तुमने प्रदक्षिणा किसलिये उठायी ? उसने कहा, 'महाराजजी ! मेरा एक छोटा लड़का चार-पाँच सालका था, उसको चेचक निकली, देवीका प्रकोप जिसे माना जाता है, कहीं उसे छोटी माता या बड़ी माता भी कहते हैं शरीरमें सर्वांग छोटी-छोटी फुड़िया निकलने लगती हैं, वही मेरे बच्चेको निकलीं। भयंकर पीड़ा हुई, कुछ दिनोंमें वह रोग निकल तो गया किंतु बच्चा दृष्टिहीन हो गया। उसे अन्धा जानकर मैं अत्यन्त विकल हुआ। अनेक उपाय, उपचार किये किंतु आँखें पुनः नहीं मिलीं। एक दिन मैं दुखी होकर रातभर नर्मदामैयाकी पुकार करता रहा, 'माँ इस बच्चेको संसारसे उठा लेती, देवी भगवती! तो ही अच्छा था, इस अन्धेका जीवन कैसे पार लगेगा ? माँ! तुझसे मेरी यही गुहार है कि तू इसे आँखें दे। दृष्टि यदि इसे आ जाय तो मैं आपकी एक प्रदक्षिणा सहर्ष करूँगा।' प्रार्थना का परिणाम यह हुआ कि प्रातः काल उठकर बच्चेकी जब साज-सँभाल की तो देखा बच्चेकी आँखें पूर्ववत् दृष्टिसम्पन्न हो गयी हैं। मेरे आश्चर्यका ठिकाना न रहा और अपनी उस मनौतीके अनुसार मैं नर्मदामैयाकी परिक्रमामें निकल पड़ा।'

[ ब्रह्मलीन स्वामी श्रीओंकारानन्दजी गिरि ]



You may also like these:



narmadaamaataakee do divy kripaanubhootiyaan

maanav sadaiv apane ishtake balapar bada़e-bada़e kaary saadhate hue dekhe gaye hain. jin kinheenka asaadhy rog chikitsaase door naheen hua, ve narmadaajeekee sharanamen aakar nihaal hue hain.andhonko aankhen, putraheenako putrakee praapti tatha any koee kaamanaakee poorti narmadaamaiyaakee kripaase sarvasaadhaaranako huee. eka-do udaaharan ham yahaan de rahe hain(1)

narmadaamaiyaadvaara ghuda़savaar chhote

baalakakee sanbhaala

ek baar bhaironda (seehor jile) ka vaishy vyaapaaree raamachandr seth hamen milaa. usane apana anubhav sahee-sahee vyakt kiyaa. dhan, sampatti, stree, makaan, dukaan sab kuchh saamaanyataya bane rahanepar bhee vah santaanaheen tha . usane manautee maanee ki he narmada maaee! yadi mujhe santati praapt ho jaay to stree-putrasahit main aapakee ek pradakshina karoongaa. kaalaantaramen kramasha: ek naheen do putr praapt ho gaye. chalane-phirane lag gaye, tab chaara-paanch varshake peechhe stree aur putrake sahit pradakshina aarambh kee, saathamen bachchonke liye ek ghoda़a savaareehetu rakhaa.

bada़a bachcha to lagaam pakada़kar ghoda़epar aasaaneese chadha़ta aur baithakar kiseeka sahaara liye bina chalata rahata, kintu chhote bachcheko ghoda़epar baithaanepar bhee usako pakada़e rakhana aavashyak rahataa. paidal chalate-chalate kabhee usakee maata ya kabhee pita sanbhaalakar ghoda़eke saath saath chalate. isamen chalanemen praayah asuvidha hee rahatee rahee. ek din pitaane kheejhakar kaha too apanee maanko arthaat narmadaamaiyaako kyon naheen bula leta, jo tujhe sada . sanbhaalakar chale. ek din bachchene kaha, 'pitaajee ! chhoda़ do, hamaaree maan a gayee, vah mujhe sanbhaalane lag gayee.' pita bhaavavihval hokar bada़e kutoohalase bachchese poochhata hai teree maan arthaat narmadaamaiya kaisee hai? kya vah kameej pahane hai? bachchene turant kaha, 'maan kaheen kameej pahanatee hain? jaisee yah maan vaisee hee narmada maaee meree a gayee.' pitaane bachchekee sanbhaal karana chhoda़ hee diya tha, donon maataa-pita bachchekee baat sunakar aanandamagn hue yaatraakarate rahe. bhale hee unhen narmada maanka saakshaatkaar n hua ho, par bachcheko sahaara denevaalee narmadaamaiya tab vahaan rahee, isamen sandeh naheen .

(2)

narmadaamaataakee kripaase punah netrajyotikee praapti

doosaree ghatana ek kisaanakee hai, vah narasinhapur jilese pradakshinaapathamen aaya tha, usase hamane poochha kyon bhaaee ! tumane pradakshina kisaliye uthaayee ? usane kaha, 'mahaaraajajee ! mera ek chhota lada़ka chaara-paanch saalaka tha, usako chechak nikalee, deveeka prakop jise maana jaata hai, kaheen use chhotee maata ya bada़ee maata bhee kahate hain shareeramen sarvaang chhotee-chhotee phuda़iya nikalane lagatee hain, vahee mere bachcheko nikaleen. bhayankar peeda़a huee, kuchh dinonmen vah rog nikal to gaya kintu bachcha drishtiheen ho gayaa. use andha jaanakar main atyant vikal huaa. anek upaay, upachaar kiye kintu aankhen punah naheen mileen. ek din main dukhee hokar raatabhar narmadaamaiyaakee pukaar karata raha, 'maan is bachcheko sansaarase utha letee, devee bhagavatee! to hee achchha tha, is andheka jeevan kaise paar lagega ? maan! tujhase meree yahee guhaar hai ki too ise aankhen de. drishti yadi ise a jaay to main aapakee ek pradakshina saharsh karoongaa.' praarthana ka parinaam yah hua ki praatah kaal uthakar bachchekee jab saaja-sanbhaal kee to dekha bachchekee aankhen poorvavat drishtisampann ho gayee hain. mere aashcharyaka thikaana n raha aur apanee us manauteeke anusaar main narmadaamaiyaakee parikramaamen nikal pada़aa.'

[ brahmaleen svaamee shreeonkaaraanandajee giri ]

119 Views





Bhajan Lyrics View All

जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा

New Bhajan Lyrics View All

सतगुरु दाता दयाल है,
जिस नु दया सदा होये,
बीरा मारा रामदेव ,
राणी नेतल रा भरतार,
वृन्दावनधाम पुनीत परम, इसकी महिमा का
श्रीश्यामाश्याम जहाँ बसते, उस
साँवरे प्यारे दर पे तुम्हारे तेरे
प्रीत पुरानी दिल की कहानी तुमको
मेरा अवगुण भरा शरीर मैया जी कैसे
मै हुँ इसीलिऐ दिल्लगीर,