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श्रीगणेशस्तोत्रकी महिमा

घटना ३० जुलाई, सन् १९७६ ई० की है। जैसलमेर (राजस्थान) - निवासी आसकन्द्राके रहनेवाले मेरे अभिन्न मित्र श्रीदुर्गाराम गर्गकी धर्मपत्नी करीब डेढ़ सालसे बीमार थीं। इससे उनका शरीर अत्यन्त दुबला पतला हो गया था और वे उठने-बैठने योग्यतक न रहीं । डॉक्टरोंसे भी मदद ली गयी, पर कोई लाभ न हुआ। गर्गजीने आखिर हारकर श्रीगणेशजीका जप किया। वैसे भी वे श्रीगणेशजीकी स्तुति हमेशा किया करते हैं। उनका उनपर दृढ़ विश्वास है ।

एक रात बुखारके साथ-साथ अचानक उनकी
धर्मपत्नीके पेटमें दर्द भी होने लगा और धीरे-धीरे वह दर्द बढ़ता ही गया। करीब चौबीस घंटेतक पेटका दर्द रहा। तब उन्होंने श्रीगणेशजीका पूजा-पाठ करके श्रीगणेशस्तोत्र का पाँच बार पाठ किया तथा श्रीगणेशजीके कलशका जल अपनी धर्मपत्नीको पिलाया। उसी समय, कुछ ही मिनटोंमें श्रीगणेशजीकी असीम कृपासे उनकी धर्मपत्नीका पेट दर्द तथा बुखार बिलकुल ठीक हो गया। सारे घरमें आनन्दकी लहर फैल गयी। यह है, श्रीगणेशस्तोत्रकी महिमा !

[ श्रीवीरमारामजी जयपाल ]



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shreeganeshastotrakee mahimaa

ghatana 30 julaaee, san 1976 ee0 kee hai. jaisalamer (raajasthaana) - nivaasee aasakandraake rahanevaale mere abhinn mitr shreedurgaaraam gargakee dharmapatnee kareeb dedha़ saalase beemaar theen. isase unaka shareer atyant dubala patala ho gaya tha aur ve uthane-baithane yogyatak n raheen . daॉktaronse bhee madad lee gayee, par koee laabh n huaa. gargajeene aakhir haarakar shreeganeshajeeka jap kiyaa. vaise bhee ve shreeganeshajeekee stuti hamesha kiya karate hain. unaka unapar dridha़ vishvaas hai .

ek raat bukhaarake saatha-saath achaanak unakee
dharmapatneeke petamen dard bhee hone laga aur dheere-dheere vah dard badha़ta hee gayaa. kareeb chaubees ghantetak petaka dard rahaa. tab unhonne shreeganeshajeeka poojaa-paath karake shreeganeshastotr ka paanch baar paath kiya tatha shreeganeshajeeke kalashaka jal apanee dharmapatneeko pilaayaa. usee samay, kuchh hee minatonmen shreeganeshajeekee aseem kripaase unakee dharmapatneeka pet dard tatha bukhaar bilakul theek ho gayaa. saare gharamen aanandakee lahar phail gayee. yah hai, shreeganeshastotrakee mahima !

[ shreeveeramaaraamajee jayapaal ]

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