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श्रीरामरक्षास्तोत्रका अद्भुत प्रभाव

मेरे एक मित्र हैं- श्रीरामनरेशजी शर्मा। आप एक सीमेंट फैक्ट्रीसे सम्बद्ध विद्यालयमें शिक्षक हैं। इसी जुलाईकी बात है, आपके इकलौते चारवर्षीय पुत्रको तेज ज्वर हो गया । ज्वरके साथ बालकको कै भी होने लगी। धीरे-धीरे बालक बेहोश होने लगा, नाड़ी मन्द पड़ने लगी तथा शरीर ठण्डा होने लगा। बालककी स्थिति उत्तरोत्तर गम्भीर होती देखकर समीपस्थ कस्बेसे सरकारी चिकित्सक महाशयको बुलवाया गया। चिकित्सक महाशयने आते ही बालककी परीक्षा की तथा एक इंजेक्शन लगाया। बालकके शरीरमें कुछ गर्मी आयी, पर स्थितिमें विशेष सुधार नहीं हुआ। घरवाले चिन्तातुर हो रहे थे। सभी बालककी ओर टकटकी लगाये हुए बैठे थे। बालककी स्थितिमें सुधार होता न देखकर रात्रिको फिर एक अनुभवी चिकित्सक महाशयको बुलाया गया। उन्होंने बताया- 'बालक मृत्युसे संघर्ष कर रहा है, स्थिति गम्भीर होती जा रही है तथा बचनेकी सम्भावना बहुत कम है।' यह सुनकर परिवारके सदस्य रोने लगे। घरमें कोहराम मच गया। बालककी पुतलियाँ स्थिर होती देखकर कुछ लोगोंको बालकके चल बसनेकी आशंका होने लगी।

बालककी इस गम्भीर अवस्थासे पड़ोसी भी चिन्तित हो गये। मैं भी सूचना प्राप्त होते ही अपने मित्रके घरकी ओर रवाना हुआ। मुझे 'कल्याण' में प्रकाशित 'श्रीरामरक्षास्तोत्र' के सम्बन्धमें पुष्पोंके प्रयोगकी घटनाका स्मरण हो आया। मैंने 'श्रीरामरक्षास्तोत्र' की पुस्तिका तथा पुष्प लिये। इसी बीच सूचना मिली कि बालककी मृत्यु हो गयी। अपने मित्रपर इस वज्रपातकी बात सुनकर मैं स्तब्ध रह गया, किंतु उसी समय एक महिलाने बताया कि 'बालककी सांस सर्वथा कम नहीं अनुसार हुई है, रुक-रुककर चल रही है।' मैं अविलम्ब बालकके पास पहुँचा। मैंने 'कल्याण' में बताये एक लोटेमें जल लिया, उसमें थोड़ा गंगाजल मिला लिया तथा लोटेमें पुष्प भी डाल लिये। सामने श्रीहनुमानजी महाराजका चित्र रख लिया तथा बहुत हा आतुरभाव प्रार्थना करके श्रीरामरक्षास्तोत्र' का पाठ करने लगा। 4 पाठ पूरा होनेपर पुष्पसे बालकपर जल छोड़ता जा रहा था तथा वहाँ बैठे सभी लोगोंसे परम पिता परमेश्वरका आर्त भावसे स्मरण करनेके लिये कह रहा था।

'श्रीरामरक्षास्तोत्र' के चार-पाँच पाठ पूरा होते होते बालकपर इसका प्रभाव दृष्टिगोचर होने लगा।" बालकने धीरे से करवट बदली सभीके मनमें आशाका संचार हुआ। मेरा भी उत्साह बढ़ गया। मैं निरन्तर " श्रीरामरक्षास्तोत्र' का पाठ करता जा रहा था। इक्कीसवाँ पाठ पूरा होते-होते बालक जल माँगने लगा। हमलोगोंकी प्रसन्नताका पार न रहा। पाठके समय जो घृतका दीपक जलाया गया था, उसकी बत्तीका ताप मैं अपने हाथोंसे बालकके शरीरपर लगाने लगा। बालक गम्भीर स्थितिको पार कर गया था। मैंने पूजाके पुष्प बालकके सिरहाने रख दिये और भगवान् श्रीरामका स्मरण करता हुआ घर
लौट आया। कुछ ही दिनोंमें वह पूर्ण स्वस्थ हो गया।

परम पिता परमेश्वरकी असीम कृपा तथा 'श्रीरामरक्षास्तोत्र' के अद्भुत प्रभावका प्रत्यक्ष अनुभव करके मेरा हृदय गद्गद हो गया।

[ श्रीभुवनेश्वरजी पाण्डेय ]



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shreeraamarakshaastotraka adbhut prabhaava

mere ek mitr hain- shreeraamanareshajee sharmaa. aap ek seement phaiktreese sambaddh vidyaalayamen shikshak hain. isee julaaeekee baat hai, aapake ikalaute chaaravarsheey putrako tej jvar ho gaya . jvarake saath baalakako kai bhee hone lagee. dheere-dheere baalak behosh hone laga, naada़ee mand pada़ne lagee tatha shareer thanda hone lagaa. baalakakee sthiti uttarottar gambheer hotee dekhakar sameepasth kasbese sarakaaree chikitsak mahaashayako bulavaaya gayaa. chikitsak mahaashayane aate hee baalakakee pareeksha kee tatha ek injekshan lagaayaa. baalakake shareeramen kuchh garmee aayee, par sthitimen vishesh sudhaar naheen huaa. gharavaale chintaatur ho rahe the. sabhee baalakakee or takatakee lagaaye hue baithe the. baalakakee sthitimen sudhaar hota n dekhakar raatriko phir ek anubhavee chikitsak mahaashayako bulaaya gayaa. unhonne bataayaa- 'baalak mrityuse sangharsh kar raha hai, sthiti gambheer hotee ja rahee hai tatha bachanekee sambhaavana bahut kam hai.' yah sunakar parivaarake sadasy rone lage. gharamen koharaam mach gayaa. baalakakee putaliyaan sthir hotee dekhakar kuchh logonko baalakake chal basanekee aashanka hone lagee.

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laut aayaa. kuchh hee dinonmen vah poorn svasth ho gayaa.

param pita parameshvarakee aseem kripa tatha 'shreeraamarakshaastotra' ke adbhut prabhaavaka pratyaksh anubhav karake mera hriday gadgad ho gayaa.

[ shreebhuvaneshvarajee paandey ]

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