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परमाचार्य श्रीयुगलानन्यशरणजी महाराज की मार्मिक कथा
परमाचार्य श्रीयुगलानन्यशरणजी महाराज की अधबुत कहानी - Full Story of परमाचार्य श्रीयुगलानन्यशरणजी महाराज (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [परमाचार्य श्रीयुगलानन्यशरणजी महाराज]- भक्तमाल


संवत् 1875 की कार्तिक शुक्ल 7 को फल्गुनदीके तटवर्ती ईसरामपुर (इस्लामपुर) के सारस्वत ब्राह्मणवंश आपका जन्म हुआ था। उपनयन एवं विद्याध्ययनके पश्चात् आप विभिन्न भाषाओंका अध्ययन करने लगे। उस समय आप नदीके किनारे किसी झाड़ीके नीचे बैठकर भगवद्धजनमें लीन हो जाते, भूख-प्यास विसर जाती। बड़े प्रेमसे भगवान् शंकरको आराधना करते। आप संगीतविद्या एवं मल्लविद्यामें भी बड़े निपुण थे। कहते हैं। कि स्वप्रमें स्वयं भगवान् शंकरने दर्शन देकर आपको षडक्षर (ॐ रामाय नमः) मन्त्रराजका उपदेश किया था।

भक्त श्रीमालीजीकी आज्ञासे आप चिराननिवासी श्रीस्वामी जीवारामजी महाराजसे संस्कार कराकर वैष्णव हुए। तबसे अनेकों स्थानोंमें विभिन्न महापुरुषोंसे सत्सङ्ग करते रहे। अनेक तीर्थोंमें होकर श्रीअवधजी पहुँचे। वर्षोंमौन रहकर अनुष्ठान किया। सीतारामके अतिरिक्त पाँचवें अक्षरका उच्चारण नहीं करते थे। एक समय जौकी दो रोटी पाकर सरयूजलका पान करते। इनके आशीर्वादसे बहुतोंका सांसारिक कल्याण हुआ। आपने अनेकों मन्दिर बनवाये। सिपाही विद्रोहके समय इनके स्थानके पास ही छावनी बन गयी थी। आपका सुयश सुनकर फौजके कमाण्डरने गवर्नमेंन्टको लिखा और उसके फलस्वरूप निर्मलीकुण्डकी बावन बीघा जमीन सर्वदाके लिये इन्हें माफी दी गयी। रीवाँके दीवानने मन्दिर बनवाये और गाँव लगा दिये। इनके बनाये हुए एक-से-एक बढ़कर 86 ग्रन्थ हैं। मुमुक्षुजनोंको उनका अध्ययन करना चाहिये। आपके सदुपदेशोंसे बहुतों का कल्याण हुआ । 'कल्याण' के पाठक आपके उपदेशोंसे बहुत कुछ परिचित हैं।



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sanvat 1875 kee kaartik shukl 7 ko phalgunadeeke tatavartee eesaraamapur (islaamapura) ke saarasvat braahmanavansh aapaka janm hua thaa. upanayan evan vidyaadhyayanake pashchaat aap vibhinn bhaashaaonka adhyayan karane lage. us samay aap nadeeke kinaare kisee jhaada़eeke neeche baithakar bhagavaddhajanamen leen ho jaate, bhookha-pyaas visar jaatee. bada़e premase bhagavaan shankarako aaraadhana karate. aap sangeetavidya evan mallavidyaamen bhee bada़e nipun the. kahate hain. ki svapramen svayan bhagavaan shankarane darshan dekar aapako shadakshar (oM raamaay namah) mantraraajaka upadesh kiya thaa.

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