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भक्त माणिक्क वाचक की मार्मिक कथा
भक्त माणिक्क वाचक की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त माणिक्क वाचक (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त माणिक्क वाचक]- भक्तमाल


शैव भक्तोंके अग्रणी माणिक्क वाचक परमात्माकी भक्तिकी जाज्वल्यमान मूर्ति थे। डंकेकी चोट इन्होंने कहा कि 'धर्मग्रन्थोंके अनुशीलन, तपश्चर्या, उपवास, कर्मकाण्ड, यज्ञ-याग, तर्कशास्त्र और दर्शनके अध्यात्मग्रन्थोंके अध्ययन, अधिक क्या, मनुष्यके किसी भी प्रयत्नसे भगवान्की प्राप्ति असम्भव ही है। प्रभुकी प्राप्तिका एकमात्र मार्ग प्रेममार्ग ही है। यह प्रेम शुद्ध, सात्त्विक और निष्काम होना चाहिये।'

मदुराके पास वदावुर ग्राममें एक ब्राह्मणकुलमें इनका जन्म हुआ था। दस वर्षकी अवस्थामें ही इनकी विलक्षण प्रतिभाका प्रकाश फैला और तत्कालीन पाण्ड्यनरेशने इनकी विद्वत्ता और योग्यता देखकर इन्हें अपना प्रधानमन्त्री बना लिया । अवस्थामें तो ये एक बालक ही थे, परंतुइनकी कुशाग्रबुद्धिसे शासनकार्यमें बड़ी सहायता मिलती रही। ये राजाके दाहिने हाथ थे।

एक बार राजाने इनको कुछ घोड़े खरीदनेके लिये तिरुपेरुन्दुरै भेजा। यहीं आपको श्रीगुरुदेवके दर्शन हुए। घोड़े खरीदनेके लिये जो रुपये पासमें थे, उन्हें आपने गुरुदेवके लिये मन्दिर बनवानेमें लगा दिया। यह बात सुनकर राजाने इनको दण्ड दिया तथा राज्यसे बहिष्कृत कर दिया। अब ये अलमस्त होकर अपने बनाये हुए भजन गाते और मन्दिर-मन्दिर घूमा करते। इन्हें राजदण्डकी तनिक भी चिन्ता न थी । शैवोंके प्रमुख दुर्ग चिदम्बरम् में इन्होंने शास्त्रार्थमें बौद्धोंको हराया। ये नटराजकी उपासना करते थे। तमिळ देशमें आज भी माणिक्क वाचकके पद | बड़े आदर और श्रद्धासे पढ़े- सुने जाते हैं।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt maanikk vaachaka]- Bhaktmaal


shaiv bhaktonke agranee maanikk vaachak paramaatmaakee bhaktikee jaajvalyamaan moorti the. dankekee chot inhonne kaha ki 'dharmagranthonke anusheelan, tapashcharya, upavaas, karmakaand, yajna-yaag, tarkashaastr aur darshanake adhyaatmagranthonke adhyayan, adhik kya, manushyake kisee bhee prayatnase bhagavaankee praapti asambhav hee hai. prabhukee praaptika ekamaatr maarg premamaarg hee hai. yah prem shuddh, saattvik aur nishkaam hona chaahiye.'

maduraake paas vadaavur graamamen ek braahmanakulamen inaka janm hua thaa. das varshakee avasthaamen hee inakee vilakshan pratibhaaka prakaash phaila aur tatkaaleen paandyanareshane inakee vidvatta aur yogyata dekhakar inhen apana pradhaanamantree bana liya . avasthaamen to ye ek baalak hee the, parantuinakee kushaagrabuddhise shaasanakaaryamen bada़ee sahaayata milatee rahee. ye raajaake daahine haath the.

ek baar raajaane inako kuchh ghoda़e khareedaneke liye tiruperundurai bhejaa. yaheen aapako shreegurudevake darshan hue. ghoda़e khareedaneke liye jo rupaye paasamen the, unhen aapane gurudevake liye mandir banavaanemen laga diyaa. yah baat sunakar raajaane inako dand diya tatha raajyase bahishkrit kar diyaa. ab ye alamast hokar apane banaaye hue bhajan gaate aur mandira-mandir ghooma karate. inhen raajadandakee tanik bhee chinta n thee . shaivonke pramukh durg chidambaram men inhonne shaastraarthamen bauddhonko haraayaa. ye nataraajakee upaasana karate the. tamil deshamen aaj bhee maanikk vaachakake pad | bada़e aadar aur shraddhaase padha़e- sune jaate hain.

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